कैट ने हवाई किराया नियंत्रण बोर्ड गठित करने का सुझाव दिया

नयी दिल्ली - केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को  भेजे  एक ज्ञापन में  हवाई किराए में अत्यधिक वृद्धि पर गहरीचिंता व्यक्त करते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडियाट्रेडर्स (कैट ) ने कहा कि जेट एयरवेज के बंद होने के बाद से विभिन्न एयरलाइन कंपनियों ने अपने हवाई किराए में अत्यधिक वृद्धि की है जो किफायती मूल्य निर्धारण के सिद्धांतके खिलाफ है ! विभिन्न एयरलाइन कंपनियां बिना किसी ठोस तर्क अथवा बुनियादी ढांचे में किसी परिवर्तन के डायनामिक मूल्य नीति के बहाने अनुचित किराए ले रही हैं। किसीभी एक एयरलाइन में कुछ दिनों के भीतर एक ही सीट के लिए किराए का बड़ा अंतर हो जाता है जो इस तथ्य को स्थापित करता है कि एयरलाइन अनुचित लाभ कमा रही हैंजिससे हवाई यात्रा करने वाले व्यापारियों एवं  सामान्य वर्ग को बेहद परेशानी हो रही है! 


 कैट  के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने अपने ज्ञापन में प्रभु का ध्यान  इस तथ्य की ओर आकर्षित किया है कि पिछले कुछमहीनों में देश भर में हवाई यात्रा के किराए में अचानक अत्यधिक वृद्धि हुई है जो गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह न केवल एक आम नागरिक पर ज्यादा पासी का बोझबढ़ाता है बल्कि यह व्यापार और व्यापार के विकास के लिए एक गंभीर बाधा है। यह मौजूदा स्थिति डायनामिक किराया मूल्य तंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ भी है। यहदेखा गया है कि जेट एयरवेज के बंद होने के बाद, अन्य एयरलाइंस मांग का अनुचित लाभ उठा रही  हैं और अपने हवाई किरायों को अनैतिक रूप से बढ़ा रहे हैं। यहां तक किबजट एयरलाइंस भी कीमतें बढ़ाने में आगे हैं।


 भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने कहा कि हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि देश के भीतर हवाई यात्रा कोई अधिक लग्जरी नहीं है, बल्कि कुशल और त्वरित गतिशीलताके लिए अधिक आवश्यक है और यह आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा देती है। व्यापार और व्यापारिक समुदाय द्वारा की जाने वाली अधिकांश यात्रा की योजना पहले से नहींहोती है और वे अंतिम मिनट बुकिंग के लिए सहारा लेते हैं। वर्तमान परिदृश्य में, अंतिम मिनट के स्पॉट किराए में  दिल्ली- मुंबई सेक्टर या दिल्ली- चेन्नई सेक्टर के लिए एकतरफ का हवाई किराया रुपये 20,000 हो रहा है जो बिलकुल अविश्वसनीय है ! इस तरह के हवाई किराये  छोटे व्यापारी या भारत के किसी भी आम नागरिक के लिए बेहदअनुचित है !


  भरतिया एवं खंडेलवाल ने प्रभु को सुझाव दिया की हवाई किरायों पर नियंत्रण रखने के लिए एक मूल्य नियंत्रण तंत्र विकसित किया जाए  जो एयरलाइनों द्वारा लगाएजाने वाले किराए की ऊपरी सीमा पर नियंत्रण रखे । भले ही किराया प्रणाली डायनामिक है और मांग की आपूर्ति पर आधारित है, लेकिन किराया बढ़ाने के लिए कुछ बुनियादीऔर  मौलिक तर्क होने चाहिए। उपभोक्ताओं को पेंच लगाने के लिए मनमाना और अत्यधिक मूल्य वृद्धि की अनुमति नहीं दी जा सकती है। "हम मानते हैं कि सरकार किराए केलिए अधिकतम  सीमा तय कर सकती है! यह न केवल एयरलाइंस को अत्यधिक किराया वसूलने से रोकेगा, बल्कि हर आम नागरिक के लिए उड़ान सस्ती करने में एक मजबूत विकल्प होगा।" 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

वाणी का डिक्टेटर – कबीर