जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने और बढ़ाई 

नयी दिल्ली -  केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल की रिपोर्ट में दी गई राज्य की वर्तमान स्थिति की जानकारी के आधार पर जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 3 जुलाई से छह महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।


            मंत्रिमंडल के निर्णय का अर्थ यह है कि 3 जुलाई, 2019  से जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि आगे छह महीनों के लिए बढ़ाई जाएगी।


      राष्ट्रपति शासन की वर्तमान अवधि 2 जुलाई, 2019 को समाप्त हो रही है और राज्यपाल ने सिफारिश की है कि 3 जुलाई, 2019 से राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि आगे छह महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है।


      मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तावित को स्वीकृति दिए जाने के बाद संसद के आगामी सत्र में दोनों सदनों में इसकी मंजूरी का प्रस्ताव पेश किया जाएगा।


      जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल ने भारत के राष्ट्रपति की सहमति से 20.06.2018 को जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा 92 के अंतर्गत राज्य के सरकारी और विधायी कार्यभार संभालने की घोषणा की और कुछ आकस्मिक तथा परिणामकारी प्रावधान किए। प्रारंभ में राज्य विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित रखी गई और राज्यपाल द्वारा 21.11.2018 को विधानसभा भंग कर दी गई।


      राज्यपाल द्वारा 20.06.2018 को जारी घोषणा छह महीनों के बाद 19.12.2018 को निरस्त हो गई। जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा 92 के अंतर्गत ऐसी घोषणा को आगे छह महीने के लिए जारी रखने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए राज्यपाल की सिफारिश पर तथा राज्य की वर्तमान स्थिति पर विचार करके राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा की। इसके बाद राष्ट्रपति की घोषणा की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव 28.12.2018 को लोकसभा में पारित हुआ और यह प्रस्ताव 03.01.2019 को राज्यसभा में पारित हुआ।


      राष्ट्रपति शासन की वर्तमान अवधि 2 जुलाई को समाप्त हो रही है और राज्यपाल ने सिफारिश की है कि 3 जुलाई से राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि आगे छह महीने के लिए बढ़ाई जा सकती है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

वाणी का डिक्टेटर – कबीर