सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए लेखक अग्रणी भूमिका निभाएं
विशाखापत्तनम -उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने लेखकों और साहित्यकारों से समाज में होने वाली घटनाओं को दर्शाने के साथ-साथ लोगों के बीच प्रगतिशील और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
आंध्र के राजा राम मोहन राय के नाम से प्रख्यात समाज सुधारक कंदुकूरि वीरेशलिंगम् की मृत्यु के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर विशाखापत्तनम में आंध्र यूनिवर्सिटी और मोज़ेक साहित्य संस्था द्वारा आयोजित समापन समारोह में श्री नायडू ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वीरेशलिंगम का नजरिया दूरदर्शिता से परिपूर्ण था। वह अपने समय से आगे थे और कट्टरता व अंधविश्वासों के खिलाफ थे। वह विधवा पुनर्विवाह के प्रबल पक्षधर तथा दहेज, जाति प्रथा और बाल विवाह के विरोधी थे और उन्होंने शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की वकालत की थी।
नायडू ने कहा कि आज के लेखकों, कवियों और स्तंभकारों के बीच हमारी संस्कृति और विरासत को संरक्षित करते हुए लोगों के बीच आधुनिक और सुधारोन्मुखी सोच को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि महज किसी समाज में होने वाली घटनाओं का ब्यौरा प्रस्तुत करना ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि लेखकों को समाज की दुर्बलताओं की ओर भी इशारा करना चाहिए और सुधार के सुझाव देने चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि देश ने विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है, लेकिन उसके समक्ष अनेक चुनौतियां हैं। सामाजिक और लड़के-लड़कियों में भेदभाव की घटनाओं पर पीड़ा व्यक्त करते हुए, उन्होंने लेखकों से सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहने और लोगों के नजरिए में बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लेखकों को समाज में विभाजन नहीं, बल्कि सामंजस्य को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए।
मूल भाषाओं की रक्षा और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और पत्रकारों से लोगों में प्रगतिशील सोच को बढ़ावा देने और सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए उनके नजरिए में बदलाव लाने का प्रयास करने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने रायना गिरिधर गौड़ द्वारा चित्रित श्री कंदुकूरि वीरेशलिंगम् के चित्र का अनावरण किया और कंदुकूरि सतवर्धंति के समन्वयक टी. संजीव राव द्वारा संकलित 'कंदुकूरि स्मृतिलहरी' (मृत्यु के सौ वर्ष पूरे होने संबंधी संस्करण) का विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर टी. संजीव राव को सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति कर्नल प्रो.जी.नागेश्वर राव, भारतीय प्रबंधन संस्थान, विशाखापत्तनम के निदेशक प्रो. एम. चंद्रशेखर, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित एल.आर. स्वामी, कंदुकूरि सतवर्धंति के समन्वयक टी. संजीव राव और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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