तंजावूर में कम्प्यूटेशन मॉडलिंग और नेनोस्केल प्रोसेसिंग इकाई का उद्घाटन हुआ
तमिलनाडु - केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने तंजावूर, तमिलनाडु में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएफपीटी) में कम्प्यूटेशन मॉडलिंग और नेनोस्केल प्रोसेसिंग इकाई का उद्घाटन किया। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण में उभरती हुई तकनीक के बारे में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का भी उद्घाटन किया।
रामेश्वर तेली ने कहा कि भारत विश्व में खाद्यान्न उत्पादन के अग्रणी देशों में है और उन्होंने वैज्ञानिकों को आबादी की भोजन जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उत्पादन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पास खाद्यान्न का बाजार है, खुदरा खाद्य के मामले में जिसके 2020 तक 61 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत दूध, केला, आम, मसाले, झींगा, दालों के उत्पादन में विश्व में अग्रणी है; और अनाजों,सब्जियों और चाय के मामले में दूसरे नम्बर पर है।
उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला उद्योग फसल कटाई के बाद नुकसान से ग्रस्त है और यह हताश करने वाली बात है कि हर वर्ष बहुत अधिक मात्रा में उत्पाद का नुकसान होता है। टिकाऊ वस्तुओं का अनुमानित नुकसान 3-10 प्रतिशत,आधी खराब होने वाली वस्तुओं और दूध, मछली, मांस तथा अंडे जैसी वस्तुओं का नुकसान करीब 10-20 प्रतिशत;और फलों और सब्जियों का नुकसान 10-20 प्रतिशत; तथा बागवानी उत्पाद में नुकसान 5-16 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को देखते हुए यह समझना जरूरी है कि किसानों की संपदा के जरिए उनकी आमदनी कैसे बढ़ाई जा सकती है।
इस योजना को 6000 हजार करोड़ रुपये के बजट से शुरू किया गया है और इसका उद्देश्य किसानों की खराब हालत को बेहतर बनाना तथा उनके उत्पाद का सही मूल्य दिलाने में मदद करना है। भारत के कुल खाद्य बाजार का करीब 32 प्रतिशत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हैं। खाद्य प्रसंस्करण निरंतर बदलने वाला क्षेत्र है जहां करीब-करीब प्रतिदिन नई खोज देखने को मिलती है और नई तकनीक जुड़ती है, जिससे खाद्य उत्पादों का बेहतर प्रसंस्करण, संरक्षण और उन्हें समृद्ध करने में मदद मिलती है।
किसानों के कल्याण के बारे में चर्चा करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय किसानों की मदद करने का नेक कार्य कर रही है और उसने 42 मेगा फूड पार्कों को मंजूरी दी है। मंत्रालय विकास को बढ़ावा देने के लिए संयंत्र और मशीनरी की कुल लागत का 35 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। साथ ही सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के आर्थिक प्रबंध/पुनर्वित्तीयन/ के लिए विशेषज्ञता प्राप्त एग्रो प्रोसेसिंग वित्तीय संस्थान सौपें हैं और आधुनिक पहलों जैसे 'ऑपरेशन ग्रीन्स' की शुरुआत की है, ताकि कीमतों में उतार-चढ़ाव पर नजर रखी जा सके। सरकार ने नीतिगत पहलें भी शुरू की हैं जैसे नाबार्ड के लिए 2000 करोड़ रुपये का निधियन।
रामेश्वर तेली ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में आईआईएफपीटी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। अत्यधिक पौष्टिक ज्वार की आइसक्रीम से लेकर, प्याज मिशन कार्यक्रम, कम्प्यूटेशन मॉडलिंग और नेनोटेक्नोलॉजी में उन्नति, नीरा के साथ पौष्टिक उत्पाद और 3डी प्रिंटिंग का उभरता क्षेत्र। उन्होंने कहा कि आईआईएफपीटी ने खाद्य प्रसंस्करण इंजीनियरिंग के सभी क्षेत्रों में पिछले 50 वर्षों में उल्लेखनीय और सराहनीय प्रगति की है। हम कामना करते हैं कि संस्थान द्वारा निकट भविष्य में राष्ट्र और मानवता के लिए अनेक अधिक उपयोगी टेक्नोलॉजी विकसित की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सभी शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, उद्योग से जुड़े कर्मियों और छात्रों के लिए एक अच्छा अवसर होगा, जिसमें वे अपने अनुसंधान के विचारों को साझा कर सकते हैं, जिससे हम बेहतर प्रक्रिया और खाद्य प्रसंस्करण का इस्तेमाल करने वाले उत्पादों की ओर बढ़ सकेंगे।
आईआईएफपीटी के निदेशक डॉ. सी. आनन्दहरमकृष्णन, आईसीएआर-केन्द्रीय मत्स्य टेक्नोलॉजी संस्थान के निदेशक डॉ. सी.एन. रवि शंकर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
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