प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत को सशक्त बनाने पर प्रदर्शनी लगाई गई


नयी दिल्ली - भारत सरकार का परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई)  के न्यू मोतीबाग के रिक्रियेशन क्लब में गैर-बिजली एप्लीकेशनों के लिए डीएई स्पिन-ऑफ टेक्नोलॉजिज पर दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया ।


प्रदर्शनी भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बीएआरसी), राजा रमन्ना उन्नत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इन्दौर एवं परमाणु ऊर्जा विभाग (बीएई) की अन्य इकाइयों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को कवर कर रही है जो स्वास्थ्य, कृषि, जल, खाद्य सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में रोजमर्रा के जीवन में आम लोगों के लिए उपयोगी हैं।


स्वास्थ्यः स्वास्थ्य क्षेत्र में तीन वर्ग हैं- (i) रेडियो फार्मास्युटिकल्स का विकास (ii) उत्पादन एवं वितरण (iii) डाइग्नोसिस के लिए इसका कार्यान्वयन एवं थेयराप्युटिक एप्लीकेशन। कैंसर का उपचार टाटा मैमोरियल हॉस्पिटल (टीएमएच), जो डीएई का एक पूर्ण रूपेण स्वायतशासी समर्थित संस्थान हैं, कैंसर रोगियों को व्यापक उपचार उपलब्ध कराता है। टेली-ईसीजी, भाभा ट्रोन-एरेडीएशन टेलीथिरेपी मशीन, तपेदिक एवं कैंसर की जांच के लिए चिकित्सकीय उपकरणों को प्रदर्शित किया गया ।


कृषिः डीएई ने देशभर में स्थानीय मौसम स्थितियों के अनुकूल परिवर्तन लाने के द्वारा 44 उच्च उपज देने वाली बीच किस्मों का विकास किया है। डीएई ने बायोस्लज से उर्वरक उत्पादन की प्रौद्योगिकियों का भी विकास किया है और जैविक खेती को प्रोत्साहित करता है। रोग प्रतिरोधी, निम्न परिपक्वता अवधि और उच्च उपज देने वाली फसलों को किसानों द्वारा अच्छी तरह स्वीकार किया गया है। “आकृति” कार्यक्रम के जरिए ग्रामीण युवकों को ग्रामीण प्रौद्योगिकियों को भी उपलब्ध कराया गया है।


जलः डीएई ने विभागीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्वच्छ जल हेतु प्रौद्योगिकियों का विकास किया गया है और उपोत्पाद के रूप में कई तकनीकों का भी विकास किया है जिनमें अलट्रा-फिल्ट्रेशन मेमब्रेन, आरो मेमब्रेन, मल्टीस्टेज फ्लैश वाष्पीकरण एवं रेडियो ट्रेसर्स पर आधारित वाटर हाइड्रोलॉजी में एप्लीकेशन्स शामिल हैं। पीने के पानी से सभी प्रकार के प्रदूषणों को हटाने के लिए निम्न लागत जल फिल्टरों को भी प्रदर्शित किया गया है।


पर्यावरणः डीएई प्रौद्योगिकियां स्वच्छ भारत मिशन के लिए कई एप्लीकेशन प्राप्त कर रही हैं जहां बायो-मिथेनाइजेशन एवं अर्बन स्लज हाइजिनेशन प्रौद्योगिकियां को देश भर में तैनात किया गया है। “निसारग्रुणा” संयंत्र रसोई खाद्य अपशिष्ट एवं कृषि बाजारों के हरित सब्जी अपशिष्टों को व्यवस्थित कर मिथेन गैस बनाने का एक बायो-मिथेनाइजेशन संयंत्र है जिसका उपयोग कुकिंग / बिजली उत्पादन या बॉयोगैस वाहनों के परिचालन के लिए किया जा सकता है। यह संयंत्र बुचड़खानों से पशु अपशिष्ट को भी प्रबंधित कर सकता है।


प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के दौरान  राकेश गुप्ता ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि ऐसी प्रदर्शनी नई दिल्ली में आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि ये प्रौद्योगिकियां आम लोगों के लिए उनके रोजमर्रा के जीवन में सहायक होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी अधिकारी अभिमत नेताओं के रूप में काम करते हैं इसलिए उन्हें प्रदर्शनी का दौरा करना चाहिए और इन प्रौद्योगिकियों को समझना चाहिए। गुप्ता ने जोर देकर कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर पूरे देश में अपनाया जाना चाहिए।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

राजा बहिरवाणी बने सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया दुबई चैप्टर के अध्यक्ष

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"