बिना विपक्ष के पक्ष का लिया गया निर्णय महत्वहीन है
पक्ष और विपक्ष की चेतना शक्ति एक जैसी होनी चाहिए,तर्क सार्थक हो उसको कुतर्क में नहीं लेना चाहिए। पक्ष और विपक्ष प्रकृति के अभिन्न अंश हैं। एक सिक्के दो पहलू।इसका स्पष्ट अर्थ है बिना विपक्ष के पक्ष का लिया गया निर्णय महत्व हीन है क्योंकि उसमें आलोचना,समालोचना और प्रत्यालोचना का कोई स्थान नहीं था। यह एक बिशुद्ध प्रक्रिया है।इसी लिए संसद के दो सदन हैं जहां सार्वभौमिक रूप से किसी भी विषय की शुद्धता के साथ गहनता से अध्ययन किया जाता है।
आज ऐसा दिखाई नहीं देता। क्योंकि पक्ष अपने को शासक और विपक्ष दंमित समझने लगता है।
यह मात्र अहंकार और अहंकारी होना सावित करता है उदाहरण के लिए हमारे मुंह में दंत पंक्ति भी विपक्षी बन जाते हैं, तो वह काट खाते हैं नुकसान किसका हुआ,हम खा नहीं पाते फिर शरीर कमजोर तो होगा। यही हमारे समाज में भी जातिवाद ऊंच नीच आरक्षण पार्टी और चाटुकारिता के संमोहन में समाज को काटता जा रहा है।
इतिहास की नजर में आज देश अनपढ़ लोगों का नहीं जहां एक ने जो कहा सबने भेड़ चाल में मान लिया। आज पढ़े-लिखे विद्वान वैज्ञानिक,इंन्जीनियर सैनिक , किसान और समाज का उच्चस्तरीय नागरिक निवास करता है। जिस के पास सोचने समझने का माद्दा है। किंतु वह पक्ष और विपक्ष की राजनीतिक चक्की में पिस जाता है। पक्ष में सदैव राजा सिंह की तरह होता है। वह सब पर राज करता है।
उसके सभासद भी शक्ति वान होते हैं। विपक्ष विखरा और शक्तिहीन होता है। वे चूहों की तरह बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे को चरितार्थ करते हैं। नेतृत्व विहीन होना इस का लक्षण है। जैसा वर्तमान में दिखाई देता है।
अराजकता का होना इसी का रूप होता है सच्चे अर्थों में यदि देश केवल दो पार्टियों का हो तो सबल और परिपक्व देश होगा।
संसद में चुनाव आयोग को मात्र दो पार्टियों को मान्यता देने का प्रस्ताव रखना चाहिए।
आज कौमिनिकेशन और सूचना प्रौद्योगिकी की प्रचुरता के बाद आधार से लिंक करते हुए मतदान का अधिकार दिया जाय परिणाम स्वरूप राजनीति में आने वाले समय में स्वच्छछवि के लोग आयेंगे।ऐसी स्थिति में जैसे बार बार कहा जाता है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। समुद्र मंथन की तरह अमृत निकला जा सकता है। राजनीति की परख देव और दानव की तरह की जा सकती है। परिवर्तन पक्ष और विपक्ष के सिक्के की तरह उछाला जा सकता है। भ्रष्टाचार परिवारवाद,अयोग्य राजनीति का अंत किया जा सकता है नव निर्माण में नव युवाओं की भागीदारी होगी। आखिर देश भविष्य निर्माताओं के लिए ही है।
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