गांधी फिर से तुम आ जाते
गांधी की 150 वीं जयंती पर गीत
गांधी फिर से तुम आ जाते।
हर चेहरे पर खुशियां लाते।
पाठ अहिंसा भूल गए जो,
उनको फिर से पाठ पढ़ाते,
गांधी फिर से तुम आ जाते...
बना आज उपहास तुम्हारा,
मानव मानव से अब हारा,
मोब्लिंचिंग के भाग जगे अब,
कमजोरों का छिना सहारा।
मानवता की बुझी आग को
फिर से तुम इक लौ दिखलाते।
गांधी फिर से तुम आ जाते..
नाथू अब फल फूल रहा है।
फंदे पर सच झूल रहा है।
व्यभिचारी का महिमामंडन
आमजनों को शूल रहा है।
बिना ढाल बिन खड्ग चलाकर
हकदारों को हक़ दिलवाते।
गांधी फिर से तुम आ जाते..
देश सभी का है यह अपना।
यही सत्य है न एक सपना।
पर कुछ का यह काम हुआ अब,
देश भूल दुश्मन को जपना।
ऐसे गद्दारों को फिर से
अब्दुल का तुम विजन दिखाते।
गांधी फिर से तुम आ जाते..
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई।
यहां सभी थे भाई भाई।
आज बने बैरी आपस में,
कैसी है यह विपदा आई।
सब भारत माँ की संतानें।
आकर फिर सबको समझाते।
गांधी फिर से तुम आ जाते..
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