महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर ‘डिजिटल चरखे’ का अनावरण
नयी दिल्ली - महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रसाद ने 'डिजिटल चरखे' का अनावरण किया जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में एक भव्य कलात्मक अधिष्ठापन या आकृति है। अपने तिरंगे वैभव में चमकता डिजिटल चरखा दरअसल डिजिटल चक्रण और पारंपरिक डिजाइन का एक अनूठा संगम है।
चरखे का पहिया महीन धागों के स्थान पर आपस में जुड़े डिजिटल ग्रिड से बना है, अत: यह इस बात को दर्शाता है कि डिजिटल इंडिया का मूल मुख्य रूप से समानता, एकता, भ्रष्टाचार मुक्त और आम नागरिकों के सशक्तिकरण के गांधीवादी दर्शन में निहित है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बड़े उत्साह एवं सच्ची भावना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई। इस अवसर पर मंत्रालय ने 23 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक 'स्वच्छता ही सेवा' की थीम के साथ पूरे सप्ताह अनेक गतिविधियां आयोजित कीं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सक्रियतापूर्वक भाग लिया। कार्यान्वयन के लिए दिन-वार कार्य योजना तैयार की गई जिसके तहत 'प्लास्टिक कचरे का निपटान और एकल उपयोग प्लास्टिक पर कारगर प्रतिबंध' एक महत्वपूर्ण अभियान था और जिसमें बड़े पैमाने पर समुदाय को शामिल किया गया।
इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी,संचार और विधि व न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम प्लास्टिक मुक्त कार्य स्थल की ओर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्ष 2020 तक एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी के लिए सरकारी मशीनरी जोर-शोर से लगी हुई है।'
उन्होंने कहा कि गांधीवादी दर्शन समाज के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिए अब भी समान रूप से प्रासंगिक है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीनस्थ विभागों को गांधी के उपदेशों को दिन-प्रतिदिन के जीवन में लागू करना चाहिए। इससे न केवल स्वच्छ भारत लक्ष्य को जल्द प्राप्त करने, बल्कि महिलाओं का सशक्तिकरण और बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। श्री प्रसाद ने एनआईसी को निर्देश दिया कि वह स्वयं के द्वारा प्रबंधित की जाने वाली प्रत्येक वेबसाइट में कम से कम एक गांधीवादी विचारधारा को प्रमुखता के साथ प्रस्तुत करे। उन्होंने कहा कि इससे सरकार के कामकाज में गांधीवादी अवधारणा आएगी।
प्रसाद ने एक फिल्म भी लॉन्च की जिसमें मंत्रालय के उन कार्यकलापों को दर्शाया गया है जो स्वच्छता, देश में हाशिये पर पड़े लोगों के समावेश, कड़ी मेहनत और देश को सुशासन की ओर ले जाने के लिए समर्पण से संबंधित गांधीवादी दर्शन के अनुरूप हैं।
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