दिल्ली में व्यापारियों की राष्ट्रीय बैठक ई कामर्स कंपनियों के साथ सहभागिता अस्वीकार
नयी दिल्ली - कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि अभी तक हमें सरकार की ओर से ऐसा कोई सन्देश नहीं मिला है और न ही किसी ई-कॉमर्स इकाई के साथ हाथ मिलाने के लिए कोई बातचीत हुई है। ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और सरकार की एफडीआई नीति का उल्लंघन करने के कारण हाल ही में दिवाली के त्योहारी सीजन में ऑफलाइन कारोबार को लगभग 50% के व्यापार का नुकसान झेलना पड़ा है !
इन ई कामर्स कंपनियों ने लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना ,हानि वित्तपोषणबिकने वाले माल पर नियंत्रण तथा अपने पोर्टल पर कुछ विशेष विक्रेताओं को प्रमुखता देने जैसी व्यापार पद्दति अपनाई जा रही है जो सरकार की एफडीआई नीति का सरासर उल्लंघन हैं। एक अनुमान के अनुसार दिवाली के त्योहारी सीजन में देश भर में लगभग 6 लाख करोड़ का व्यापार होता है जबकि इस साल देश के व्यापारियों ने लगभग 3 लाख करोड़ का व्यापार ही किया है !
मीडिया में छपे विभिन्न समाचार जिसमें ई कॉमर्स कंपनियों को सरकार ने सलाह दी है की वो अपने व्यापार की वृद्धि में ऑफ़लाइन व्यापार को हिस्सा बनायें जाने के प्रस्ताव को कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने एक सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी किसी भी कम्पनी जो सरकार की नीति का पालन नहीं करती है के साथ व्यापारियों का हाथ मिलाने का कोई सवाल ही नहीं है ! कैट ने कहा की यदि यह समाचार सही है, तो यह सबसे आश्चर्यजनक है कि ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियों को नीति के सख्त पालन के निर्देश देने के बजाय सरकार उन्हें अपने मौजूदा व्यवसाय मॉडल के साथ व्यापार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
हालांकि कैट ने पहले ही इन ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की हुई है और जिसके लिए कैट ने 10 नवम्बर को दिल्ली में देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक आपात राष्ट्रीय बैठक बुलाई है जिसमें आगामी 13 नवम्बर से देश भर में अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट सहित अन्य ई कामर्स कंपनियों के खिलाफ एक आंदोलन शुरू करने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा ! बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेता बैठक में भाग लेंगे। कैट ने ट्रांसपोर्ट , लघु उद्योग,हॉकर्स किसानों, उपभोक्ताओं, स्व-नियोजित समूहों और महिला उद्यमियों के राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं के साथ स्वदेशी जागरण मंच को भी बैठक में आमंत्रित किया है।
खंडेलवाल ने कहा कि ऐसी स्थिति में ई-कॉमर्स कंपनियां जिन्होंने ऑफ़लाइन व्यापार को तहस नहस किया है और देश के खुदरा व्यापार को एक मोनोपोली में बदलने का इरादा रखती हैं के साथ देश का व्यापारी वर्ग कैसे उनके साथ जुड़ सकते हैं और उनकी अनैतिक विकास की कहानी का हिस्सा बन सकते हैं। श्री खंडेलवाल ने कहा की यदि जरूरत पड़ती भी है तो कैट इन ई कॉमर्स कंपनियों के बजाय देश के व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी घरेलू ई-कॉमर्स या बड़े रिटेलर के साथ हाथ ज्यादा उचित समझेगा समान भागीदारी के आधार पर समावेशी और व्यापारियों का एक साथ विकास सुनिश्चित करेगा!
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने कहा कि कैट सरकार के साथ जल्द ही ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को लागू करने के लिए मजबूती से आगे बढ़ेगा और भारतीय ई-कॉमर्स व्यापार की निगरानी और विनियमन के लिए "ई-कॉमर्स" रेगुलेटरी अथॉरिटी अथवा एक ई कामर्स लोकपाल के गठन की पुरजोर मांग करेगा।
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