झारखण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया कवरेज के लिए गाइड लाइन
झारखण्ड राज्य विधानसभा के लिए आम चुनाव 2019 कराने का कार्यक्रम 1 नवम्बर, 2019 को घोषित कर दिया गया है। राज्य में मतदान 05 (पांच) चरणों में 30.11.2019, 07.12.2019, 12.12.2019, 16.12.2019 और 20.12.2019 आयोजित किया जाना है। किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान समापन के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान टेलीविजन या किसी तरह की डिवाइस के माध्यम से किसी भी तरह की चुनावी सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है।.मतदान के समापन के लिए निर्धारित 48 घंटे की अवधि के दौरान सार्वजनिक बैठक की मनाही।।
सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह की अन्य डिवाइस के माध्यम से जनता के समक्ष किसी भी चुनावी सामग्री का प्रदर्शन ;मतदान क्षेत्र में किसी भी चुनाव के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान किसी भी मतदान क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति जो उप-धारा (1) के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे उतनी अवधि के लिए जेल की सजा दी जाएगी, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों एक साथ हो सकते हैं। इस धारा में, "चुनावी सामग्री" का अर्थ है किसी चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने के उद्देश्य वाली सामग्री)चुनावों के दौरान टीवी चैनलों द्वारा अपनी पैनल परिचर्चा/बहस और अन्य समाचारों और समसामयिक कार्यक्रमों के प्रसारण में कभी-कभी जनप्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम, 1951 की धारा 126 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप लगाए जाते हैं। आयोग ने अतीत में स्पष्ट किया है कि उक्त धारा 126 के तहत टेलीविजन या इसी तरह की डिवाइस के माध्यम से किसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान किसी भी चुनावी सामग्री को प्रदर्शित करने की मनाही है।
इस धारा में दी गई परिभाषा के अनुसार "चुनावी सामग्री" से आशय ऐसी सामग्री से है, जिसका उद्देश्य चुनाव के नतीजे को प्रभावित करना है। धारा 126 के उपर्युक्त प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दो वर्ष की अवधि तक कारावास या जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकते हैं। आयोग ने एक बार फिर दोहराया है कि टीवी/रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में निर्दिष्ट 48 घंटे की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों में पैनलिस्ट/प्रतिभागियों के विचार/अपील सहित ऐसी कोई भी सामग्री शामिल नहीं है, जिसका उद्देश्य किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवार की संभावना को बढ़ावा देना/उसके प्रति पूर्वाग्रह या चुनाव के नतीजे को प्रभावित करना है। इसमें अन्य बातों के अलावा किसी भी जनमत सर्वेक्षण और मानक वाद-विवाद, विश्लेषण, दृश्य और साउंड-बाइट का प्रदर्शन करना शामिल होगा।
इस संबंध में, आरपी अधिनियम 1951 की धारा 126ए की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया गया है, जिसके तहत एक्जिट पोल कराने और दोनों राज्यों में निर्धारित अवधि अर्थात मतदान शुरू होने के लिए तय समय और मतदान समापन के लिए निर्धारित समय के बाद आधे घंटे की अवधि के दौरान इसके नतीजों का प्रचार-प्रसार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जो अवधि धारा 126 द्वारा कवर नहीं की गई है, उस अवधि के दौरान संबंधित टीवी/रेडियो/केबल/एफएम चैनल/इंटरनेट वेबसाइट/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रसारण/टेलीकास्ट से संबंधित किसी भी ऐसे आयोजन (एक्जिट पोल के अतिरिक्त) के संचालन हेतु आवश्यक अनुमति के लिए राज्य/जिले/स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के तहत शालीनता, सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखने इत्यादि के संबंध में निर्धारित कार्यक्रम कोड के अनुरूप होना चाहिए। सभी इंटरनेट वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को भी अपने प्लेटफॉर्म पर सभी राजनीतिक सामग्री के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और ईसीआई दिशा-निर्देश संख्या-491/एसएम/2013/पत्र व्यवहार, दिनांक 25 अक्टूबर 2013, के प्रावधानों का भी पालन करना चाहिए।
जहां तक राजनीतिक विज्ञापन का सवाल है, इन्हें आयोग की आदेश संख्या 509/75/2004/जेएस-1, दिनांक 15 अप्रैल, 2004 के अनुसार राज्य/जिला स्तर पर गठित समितियों से पूर्व-प्रमाणन लेने की आवश्यकता है। चुनाव के दौरान पालन करने के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी किए गए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों की ओर सभी प्रिंट मीडिया का भी ध्यान आकृष्ट किया गया है: चुनाव और उम्मीदवारों के बारे में वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट देना प्रेस का कर्तव्य होगा। समाचार पत्रों से अनुचित चुनाव अभियानों में शामिल होने, चुनाव के दौरान किसी भी उम्मीदवार/पार्टी या घटना के बारे में अतिरंजित रिपोर्ट दिए जाने की अपेक्षा नहीं की जाती है। व्यावहारिक रूप से ऐसे दो या तीन उम्मीदवार सभी मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं जिनके बीच कांटे की टक्कर होती है। किसी भी समाचार पत्र को वास्तविक चुनाव अभियान पर रिपोर्टिंग करते समय किसी उम्मीदवार द्वारा उठाए गए किसी भी महत्वपूर्ण बिंदु को नहीं छोड़ना चाहिए और उसके प्रतिद्वंद्वी पर हमला करना चाहिए।.चुनाव नियमों के तहत सांप्रदायिक या जातिगत तरीके से चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इसलिए, प्रेस को उन रिपोर्टों से बचना चाहिए, जो धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी या नफरत की भावनाओं को बढ़ावा देती हैं।
चुनाव में किसी भी उम्मीदवार के व्यक्तिगत चरित्र और आचरण के संबंध में या किसी भी उम्मीदवार या उसकी उम्मीदवारी को वापस लेने या चुनाव में उस उम्मीदवार की संभावनाओं के प्रति पूर्वाग्रह के संबंध में प्रेस को गलत या आलोचनात्मक बयान प्रकाशित करने से बचना चाहिए। प्रेस को किसी भी उम्मीदवार/पार्टी के खिलाफ गैर सत्यापित आरोपों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए। प्रेस को किस उम्मीदवार/पार्टी को उभारने के लिए किसी भी प्रकार का वित्तीय या अन्य कोई प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए। प्रेस को किसी भी उम्मीदवार/पार्टी की ओर से प्रस्तावित आतिथ्य या अन्य सुविधाओं को स्वीकार नहीं करना चाहिए। प्रेस से किसी विशेष उम्मीदवार/पार्टी के प्रचार में शामिल होने की अपेक्षा नहीं की जाती है। यदि ऐसा होता है, तो यह दूसरे उम्मीदवार/पार्टी को जवाब देने के अधिकार की अनुमति देगा।
3) प्रेस को किसी पार्टी/सत्तारूढ़ सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खर्च पर किसी भी विज्ञापन को स्वीकार/प्रकाशित नहीं करना चाहिए। प्रेस को निर्वाचन आयोग/रिटर्निंग अधिकारियों या मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले सभी दिशा-निर्देशों/आदेशों/निर्देशों का पालन करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ध्यान एनबीएसए द्वारा दिनांक 3 मार्च, 2014 को जारी किए गए "चुनाव प्रसारण के लिए दिशानिर्देशों" की ओर आकर्षित किया जाता है।
समाचार प्रसारकों को प्रासंगिक चुनावी सामग्री, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, अभियान के मुद्दों के साथ-साथ उन मतदान प्रक्रियाओं के बारे में निष्पक्ष तरीके से जनता को सूचित करने का प्रयास करना चाहिए, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार तय की जाती हैं। समाचार चैनल किसी भी राजनीतिक संबद्धता, चाहे वह किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के प्रति हो, का खुलासा करेंगे। जब तक वे सार्वजनिक रूप से किसी विशेष पार्टी या उम्मीदवार का समर्थन नहीं करते हैं, तब तक समाचार प्रसारकों का कर्तव्य है कि वे खासकर अपनी चुनावी रिपोर्टिंग में संतुलित और निष्पक्ष हों। समाचार प्रसारकों को अफवाह, आधारहीन अटकलों और दुष्प्रचार के सभी रूपों से बचने का प्रयास करना चाहिए, खासकर जब ये विशिष्ट राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों से संबंधित हों। किसी भी उम्मीदवार/राजनीतिक पार्टी, जिसे बदनाम किया गया हो या गलतबयानी या गलत सूचना का शिकार हुआ हो अथवा सूचना प्रसारण के जरिए इसी तरह के अन्य आघात का सामना किया हो, को तत्काल गलती सुधारनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।
समाचार प्रसारकों को उन सभी राजनीतिक और वित्तीय दबावों का विरोध करना चाहिए जो चुनाव और चुनाव संबंधी मामलों की कवरेज को प्रभावित कर सकते हैं। समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों पर प्रस्तुत किए गए संपादकीय और विशेषज्ञ राय के बीच स्पष्ट अंतर को बनाए रखना चाहिए। राजनीतिक दलों से प्राप्त वीडियो फीड्स का उपयोग करने वाले समाचार प्रसारक उसका प्रकटन करेंगे और उसे उपयुक्त रूप से अंकित किया जाना चाहिए।
यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि चुनावों और चुनाव संबंधी मामलों से संबंधित समाचारों/कार्यक्रमों का प्रत्येक घटक घटनाओं, तिथियों, स्थानों और उद्धरणों की दृष्टि से सही होना चाहिए। यदि गलती या लापरवाही से किसी भी गलत सूचना को प्रसारित कर दिया जाता है, तो यह बात प्रसारक के ध्यानार्थ लाए जाने पर जल्द से जल्द उसमें सुधार करना होगा और उसे वैसे ही प्रमुखता दी जाएगी, जैसी मूल प्रसारण के समय दी गई थी। समाचार प्रसारकों, उनके पत्रकारों और अधिकारियों को ऐसा कोई भी धन या मूल्यवान उपहार या उपकार स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो प्रसारक या उनके कर्मियों को प्रभावित कर सकते हैं या प्रभावित करते प्रतीत होते हों, हितों का टकराव उत्पन्न करते हों या विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकते हों।
समाचार प्रसारकों को किसी भी प्रकार के 'वैमनस्य फैलाने वाले भाषण' या अप्रिय सामग्री का प्रसारण नहीं करना चाहिए, जिससे हिंसा भड़क सकती है या सार्वजनिक अशांति या अव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता हो, क्योंकि चुनाव नियमों के तहत सांप्रदायिक या जातिगत कारकों के आधार पर चुनाव प्रचार प्रतिबंधित हैं। समाचार प्रसारकों को उन रिपोर्टों से सख्ती से बचना चाहिए जो धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय, क्षेत्र या भाषा के आधार पर लोगों में दुश्मनी या घृणा की भावनाओं को बढ़ावा देती हैं। समाचार प्रसारकों के लिए समाचार और पेड कॉन्टेंट के बीच अंतर बनाए रखना आवश्यक हैं। सभी तरह के पेड कॉन्टेंट को 'पेड विज्ञापन' या 'पेड कॉन्टेंट' के रूप में स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जाना चाहिए : और पेड कॉन्टेंट एनबीए द्वारा दिनांक 24.11.2011 को जारी 'पेड न्यूज से संबंधित नियम एवं दिशानिर्देश' का अनुपालन करते हुए किया जाना चाहिए।
दर्शकों के समक्ष ओपिनियन पोल्स को सही और निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करते समय इस बात के विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इन ओपिनियन पोल्स को किसने कमिशन, संचालित और भुगतान और प्रसारण किया है। यदि कोई समाचार प्रसारक एक ओपिनियन पोल या चुनाव पूर्वानुमान के परिणामों को प्रसारिक करता है, तो उसे इस तरह के चुनावों का संदर्भ और उनका दायरा और सीमाएं भी उनकी समितता के साथ समझानी होगी। ओपिनियन पोल के साथ दर्शकों की सहायता के लिए कार्यप्रणाली, नमूना आकार, त्रुटि का मार्जिन, फील्डवर्क की तिथियों और उपयोग में लाये गए आंकड़ों जैसी सूचना भी प्रसारित की जानी चाहिए, ताकि मतदाता इसके महत्व को समझ सकें। प्रसारकों को यह भी बताना चाहिए कि वोट शेयर किस प्रकार सीट शेयर में बदल जाता है। प्रसारकों को ऐसी किसी भी 'चुनावी सामग्री' का प्रसारण नहीं करना चाहिए जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 (1) (बी) का उल्लंघन करते हुए मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों के दौरान किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने की मंशा या चुनाव के परिणाम को प्रेरित या प्रभावित कर सकती हो।
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) चुनावों की घोषणा से लेकर चुनाव परिणामों के समापन और उनकी घोषणा होने तक समाचार प्रसारकों द्वारा किए गए प्रसारणों की निगरानी करेगा। सदस्य प्रसारकों द्वारा किए गए किसी भी उल्लंघन को समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को निर्वाचन आयोग द्वारा रिर्पोट किया जाएगा जिससे एनबीएसए द्वारा अपने नियमों के तहत निपटा जाएगा। प्रसारकों को, जहां तक हो सके, मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया, मतदान करने के महत्व, मतदान कैसे, कम और कहां करना है, मत देने के लिए पंजीकरण, मतपत्र की गोपनीयता के बारे में मतदाता शिक्षण कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से सूचित करना चाहिए। समाचार प्रसारकों को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा औपचारिक रूप से चुनाव परिणाम घोषित किए जाने तक किसी भी अंतिम, औपचारिक और निश्चित परिणामों को प्रसारित नहीं करना चाहिए, जब तक कि ऐसे, परिणामों को इस स्पष्ट अस्वीकरण के साथ नहीं प्रसारित किया जाता है कि ये अनाधिकारिक या अपूर्ण या आंशिक परिणाम या पूर्वानुमान हैं, जिन्हें अंतिम परिणाम के रूप में नहीं लिया जाए।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने भी लोक सभा के लिए आम चुनाव 2019 के दौरान चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के उद्देश्य से अपने प्लेटफॉर्मों का स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु इसमें भाग लेने वाले सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के लिए "स्वैच्छिक आचार संहिता" बनाई है। जैसा कि आईएएमएआई द्वारा सहमति व्यक्त की गई है, दिनांक 23.09.2019 का पत्र देखें, सभी चुनावों के दौरान "स्वैच्छिक आचार संहिता" का पालन किया जाएगा। तदनुसार, यह संहिता हरियाणा एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और विभिन्न संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों तथा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक साथ हो रहे उपचुनावों और सभी भावी चुनावों में भी लागू होगी। सभी संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का ध्यान "स्वैच्छिक आचार संहिता" दिनांक 20 मार्च, 2019 की ओर आकृष्ट किया गया है:
.जहां तक उपयुक्त और संभव हो, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागी अपने उत्पादों और/या सेवाओं पर चुनावी सामग्री के बारे में जानकारी को सुविधाजनक बनाने के लिए उपयुक्त नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागी चुनावी कानूनों और अन्य संबंधित निर्देशों सहित जागरूकता पैदा करने के लिए स्वेच्छा से सूचना, शिक्षा और संचार अभियान शुरू करने का प्रयास करेंगे। प्रतिभागी उत्पादों/सेवाओं पर ईसीआई के नोडल अधिकारी को प्रशिक्षण देने का भी प्रयास करेंगे, जिसमें कानूनी प्रक्रिया के अनुसार अनुरोध भेजने की व्यवस्था भी शामिल है। प्रतिभागियों और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक अधिसूचना तंत्र विकसित किया है जिसके द्वारा ईसीआई, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के संभावित उल्लंघनों और स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार अन्य लागू चुनावी कानूनों के प्रासंगिक प्लेटफार्मों को अधिसूचित कर सकता है। सिन्हा समिति की सिफारिशों के अनुसार धारा 126 के तहत किसी भी तरह के उल्लंघन के बारे में जानकारी मिलने के 3 घंटे के भीतर इन वैध कानूनी आदेशों को माना जाएगा और/अथवा प्रोसेसिंग की जाएगी। संबंधित उल्लंघन के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों द्वारा सभी अन्य वैध कानूनी अनुरोधों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
प्रतिभागी ईसीआई के लिए उच्च प्राथमिकता वाले समर्पित रिपोर्टिंग तंत्र का निर्माण/कार्यान्वयन कर रहे हैं और निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के बाद ईसीआई से इस तरह के वैध अनुरोध प्राप्त होने पर त्वरित कार्रवाई करने में सहायता के लिए आवश्यक जानकारियों के आदान-प्रदान हेतु आम चुनावों की अवधि के दौरान समर्पित व्यक्तियों की नियुक्ति/टीमों का गठन करते हैं।
प्रतिभागियों को हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और विभिन्न संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों और विधानसभा क्षेत्रों के एक साथ हो जा रहे उपचुनावों के लिए राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और दर्शाने वाले चुनाव विज्ञापनों के संबंध में ईसीआई और/या ईसीआई की मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) द्वारा जारी किए गए पूर्व-प्रमाण पत्र दाखिल कराने के लिए कानून के तहत अपने दायित्वों के अनुसार, उपयुक्त राजनीतिक विज्ञापनदाताओं के लिए एक तंत्र प्रदान करना होगा। इसके अलावा ईसीआई को प्रतिभागियों द्वारा वैध तरीके से सूचित किए गए पेड राजनीतिक विज्ञापनों को तेजी से प्रॉसेस/एक्शन करना होगा, जो इस प्रकार के प्रमाणन को प्रदर्शित नहीं करते।
प्रतिभागी इस प्रकार के विज्ञापनों के लिए पहले से मौजूद अपने लेबल्स/ प्रकटन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पेड राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।.इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के माध्यम से प्रतिभागियों को ईसीआई से प्राप्त वैध अनुरोध के अनुरूप प्रतिभागी अपने-अपने प्लेटफॉर्मों के दुरुपयोग को रोकने के लिए अपने द्वारा किए गए उपायों पर अद्यतन प्रस्तुत करेंगे। .आईएएमएआई इस संहिता के तहत उठाये गये कदमों पर प्रतिभागियों के साथ समन्वय करेगी और आईएएमएआई के साथ-साथ प्रतिभागी भी चुनाव अवधि के दौरान ईसीआई के साथ निरंतर संचार जारी रखेंगे।
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