‘राइजिंग हिमाचल 2019’ धर्मशाला में 7 नवम्बर से
नयी दिल्ली - भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सुविधा एजेंसी 'इन्वेस्ट इंडिया' दरअसल इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) के जरिए 'राइजिंग हिमाचल समिट' का प्रचार-प्रसार कर रही है। इस शिखर सम्मेलन के दौरान इन्वेस्ट इंडिया इसमें भाग लेने वाले निवेशकों को पारस्परिक संवादात्मक डिजिटल अनुभव कराएगी और आईआईजी पोर्टल के जरिए राज्य में उपलब्ध निवेश अवसरों को दर्शाएगी। प्रदर्शनी स्थल में विभिन्न अवयव या घटक होंगे जो इन्वेस्ट इंडिया को राष्ट्रीय निवेश सुविधा एजेंसी के रूप में पेश करेंगे और हिमाचल प्रदेश की निवेश संभावनाओं को दर्शाएंगे।:
· आईआईजी पोर्टल का डिजिटल ऑनलाइन डिस्प्ले होगा जिससे कुछ इस तरह का पारस्परिक संवादात्मक अनुभव संभव हो पाएगा जिसके तहत उपयोगकर्ता (यूजर) वास्तविक समय पर हिमाचल प्रदेश में विभिन्न सेक्टरों में उपलब्ध निवेश अवसरों की तलाश (ब्राउज) कर सकेंगे।
· प्रदर्शनी बूथ पर इच्छुक भारतीय निजी कपंनियों और निवेशकों के लिए ऑन-साइट पंजीकरण सुविधा उपलब्ध होगी, ताकि वे प्रासंगिक अवसरों से जुड़ने का काम तत्काल शुरू कर सकें।
· इन्वेस्ट इंडिया द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए विकसित वीडियो को दिखाने के लिए यहां पर डिजिटल स्क्रीन लगी होंगी। इसका मुख्य उद्देश्य एक निवेश गंतव्य के रूप में हिमाचल प्रदेश का प्रचार-प्रसार करना और हिमाचल प्रदेश के फोकस क्षेत्रों के साथ-साथ राज्य से जुड़े प्रमुख तथ्यों को दर्शाना है।
· विभिन्न सेक्टरों में उपलब्ध निवेश अवसरों से संबंधित सहायक जानकारियों को दर्शाया जाएगा, ताकि निवेशकों के साथ इन्हें साझा किया जा सके।
इस दो दिवसीय वैश्विक निवेशक बैठक के दौरान 'इन्वेस्ट इंडिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच बढ़ते आर्थिक संबंध' विषय पर एक सत्र आयोजित किया जाएगा जिसकी सह-अध्यक्षता वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, भारत में यूएई के राजदूत श्री अहमद अल्बाना और हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री श्री वीरेन्द्र कंवर करेंगे।
इस दौरान 'कारोबार में सुगमता', पर्यटन, वेलनेस एवं आयुष पर समानान्तर क्षेत्रवार सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश की सरकार 7-8 नवम्बर, 2019 को धर्मशाला में 'वैश्विक निवेशक बैठक 2019' का आयोजन करेगी जो एक प्रमुख बिजनेस इवेंट यानी कारोबारी आयोजन है। इस बैठक के दौरान राज्य में विनिर्माण एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए वहां के नीतिगत एवं नियामकीय परिवेश के साथ-साथ आठ फोकस क्षेत्रों (सेक्टर) में उपलब्ध निवेश अवसरों को भी दर्शाया जाएगा। आठ फोकस क्षेत्रों में कृषि-व्यवसाय एवं कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी, विनिर्माण एवं फार्मास्युटिकल्स, पर्यटन एवं आतिथ्य, नागरिक उड्डयन, पनबिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा, वेलनेस, स्वास्थ्य सेवा व आयुष, आवास एवं शहरी विकास, आईटी एवं इस पर आधारित सेवाएं (आईटीईएस) व इलेक्ट्रॉनिक्स, शिक्षा और कौशल विकास शामिल हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल 'राइजिंग हिमाचल ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2019' में शिरकत करेंगे और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ भारत के पहाड़ी राज्यों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की नीतियों के बारे में आवश्यक जानकारियां देंगे। वैश्विक निवेशक बैठक में विभिन्न राजनयिकों, कॉरपोरेट जगत की हस्तियों, वरिष्ठ नीति-निर्माताओं व विकास एजेंसियों के साथ-साथ विश्व भर के निवेशक भाग लेंगे।
इस आयोजन से पहले इन्वेस्ट इंडिया ने जर्मनी, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात में अंतर्राष्ट्रीय रोडशो आयोजित किए थे, ताकि हिमाचल प्रदेश की विशिष्टता वाले क्षेत्रों का प्रचार-प्रसार किया जा सके। इस तरह छह घरेलू रोडशो बेंगलुरू, हैदराबाद, मुम्बई, दिल्ली, चंडीगढ़ एवं अहमदाबाद में आयोजित करने के अलावा शिमला एवं मनाली में विशेष सम्मेलन और दिल्ली में राजदूतों की गोलमेज बैठक आयोजित की जाएगी। इन्वेस्ट इंडिया ने चार सेक्टरों की 25 कंपनियों की एक सूची भी तैयार की है जिन्हें वैश्विक निवेशक बैठक के दौरान आयोजित की जाने वाली कारोबारी संगोष्ठियों में भाग लेने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाएगा। इन्वेस्ट इंडिया ने हिमाचल प्रदेश के लक्षित बाजारों में प्रासंगिक हितधारकों का विवरण भी साझा किया है। हिमाचल प्रदेश के स्टार्टअप्स के लिए एक लाइव चैलेंज की मेजबानी करने के लिए इन्वेस्ट इंडिया ने एक स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज की परिकल्पना की थी।
हिमाचल प्रदेश ने ऑनलाइन एकल खिड़की प्रणाली लागू की है जो सभी सेक्टरों में निवेश के लिए आवश्यक मंजूरी एवं नवीकरण प्रदान करती है। निवेशक अब हिमाचल प्रदेश किरायेदारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत जमीन की खरीद हेतु अनुमति पाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन कर सकते हैं। राज्य सरकार ने आवश्यक अनापत्ति प्रमाण-पत्रों (एनओसी) की संख्या कम करके निर्माण परमिट पाने की प्रक्रिया आसान कर दी है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 'एचपी एमएसएमई (स्थापना और परिचालन की सुविधा) अध्यादेश, 2019' जारी किया है जिसके तहत मंजूरी/एनओसी/अनुमति की प्रतीक्षा किए बगैर ही एमएसएमई के लिए परियोजना के कार्यान्वयन की अनुमति दी गई है, ताकि राज्य की रीढ़ समझे जाने वाले एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) सेक्टर को सुदृढ़ किया जा सके।
पर्यटन क्षेत्र को सतत रूप से बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 'एचपी पर्यटन नीति 2019' को अधिसूचित किया है, ताकि पूंजीगत निवेश सब्सिडी मुहैया कराकर नए पर्यटन गंतव्यों के विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
राज्य सरकार ने आईटी एवं ईएसडीएम नीति, फिल्म नीति और इलेक्ट्रिक वाहन नीति जैसी अन्य क्षेत्र-विशिष्ट नीतियां भी पेश की हैं।
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