हम बाहरी खूबसूरती और आडम्बर से प्रभावित होते हैं
गुड़गाँव -शिर्डी साईं ग्लोबल फाउन्डेशन के तत्ववाधान में गुड़गाँव स्थित साईं का आँगन मंदिर में 18वें वार्षिकोत्सव के रूप में वसंत उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों और भक्तों द्वारा बनाए पेपर फ़ाॅल्डिंग फूलों से पूरे मंदिर को सजाया गया।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि,डाॅ0 चन्द्र भानु सत्पथी, शिर्डी साईं ग्लोबल फाउन्डेशन के फाउन्डर चैयरमैन, ने द्वीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। “मल्टी फैथ पेनोरमा“ के माध्यम से आँगन के भक्तों ने दर्शार्या कि ईश्वर एक है। उड़िसा प्रान्त की प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गायिका, सुश्री स्निती मिश्रा ने अपने मधुर भजनों से सबको भाव- विभोर किया। गुड़गाँव के परिंदे स्टोरीटैलर थिएटर ग्रुप के फाउन्डर, प्रखर गौतम के निर्देशन में आँगन के भक्तों ने स्वामी विवेकानन्द और राम कृष्ण परंहंस के जीवन पर आधारित एक लघु नाटिका, ”समय की नज़रों से” का बहुत ही खूबसूरती से मंचन किया।
टेलीविज़न सीरीयल महाभारत में समय की आवाज देने वाले सुप्रसिद्ध एन्कर और कलाकार, हरीश भिमानी जी ने इस नाटिका में भी समय को अपनी मधुर आवाज़ से सजाया। ओडिसी शास्त्रीय नृत्य शैली की नृत्यांगना ममता टंडन और उनकी पु़़त्री अर्पिता टंडन द्वारा निर्देशित, लोटस डान्स प्रस्तुत किया गया। जिसमें डाॅ0 सत्पथी द्वारा रचित उड़िया पुस्तक, श्री गुरु भागवत के दोहों को एक माला में गूंथ कर राग बसंत से सजा कर मंदिर के उभरते कलाकारों ने सुन्दर नृत्य प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया।
इस अवसर पर डाॅ0 सत्पथी ने उपस्थित सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम दूसरों के सामने अपनी बढ़ाई करने के लिए जो अनावश्यक झूठ बोलते हैं हमें उससे बचना चाहिए। हम बिना कारण दूसरों की उन्नति से जलते हैं जिससे हमारा कोई मतलब भी नहीं होता। हमें ऐसी बातों से दूर रहकर अपना मन साफ करना होगा और ये हम बिना किसी खर्चे के कर सकते हैं। हम हमेशा बाहरी खूबसूरती और आडम्बर से प्रभावित होते हैं जबकि हमें लोगों के गुणों को देखना चाहिए, हृदय से प्रेम करना चाहिए और धैर्य पूर्वक उनको सहन करके उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि हम बस भगवान का नाम लेके अध्यात्मिक हो जाएगें किन्तु ये असम्भव है। उन्होंने कहा कि हम कुटुम्बी जन हैं और हमें सामान्य जीवन व्यतीत करते हुए अपने जीवन के कत्र्तव्यों को निभाना चाहिए। क्योंकि हम अगर अपने परिवार और नौकरी के प्रति ही ईमानदारी से अपने कत्र्तव्य नहीं निभा सकते तो हम अध्यात्मिकता की बात कैसे कर सकते हैं।
इस बात पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमें निष्कपट होकर अपनी जीविका कमानी चाहिए और दूसरों की सहायता करनी चाहिए। और अगर हम किसी की सहायता नहीं कर सकते तो हमें किसी के साथ दुव्र्यवहार भी नहीं करना चाहिए। इस कार्यक्रम की संचालिका दूरदर्शन की प्रसिद्ध समाचार उद्घोषिका ज्योत्सना राय थीं।
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