केंद्र और दिल्ली सरकार मिलकर दिल्ली के विकास पर अपना सामंजस्य स्थापित करें


भाजपा को मंथन करना है कि हमारे द्वारा अथक प्रयास करने पर भी हार का सामना करना पड़ा। जनता को काम और सुविधाओं की आवश्यकता होती है,प्रचार को बढ़ा-चढ़ाकर कर लेना जितना आवश्यक है एक सभ्य समाज में भाषा की वैधता भी उतनी ही ज़रूरी है। आजतक जितने लोगों के मैसेज एक दूसरे के लिए आते रहें हैं। उसमें हिंदू मुसलमान ,हिंदुस्तान पाकिस्तान , द्वेशभाव  और कटुशब्दों को प्रयुक्त किया जाना औचित्य विहीन ही लगता है। मंदिर मस्जिद में पूजा प्रतिष्ठा करना हर भारतीय का अपना कर्म और धर्म है। लड़ाई करनी है भूख ,बेरोजगारी, शिक्षा,स्वास्थ्य देश सुरक्षा और नैतिक आचरण की होनी चाहिए।


दिल्ली विधानसभा के परिणाम आप सरकार को प्रचंड रूप से मिले। मुख्यमंत्री केजरीवाल को तीसरी बार विजय श्री पर सहयोगियों सहित हार्दिक बधाई। जितनी चुनौतियों को पार करते हुए आपको जो प्रचंड बहुमत मिला है। उससे आशा की जाती है कि दिल्ली की जनता के समर्थन को सिर आंखों पर रखते हुए दिल्ली का चहुंमुखी विकास करने में समर्थता दिखायेंगे। यह आवश्यक है कि प्रधानमंत्री के धन्यवाद पर उन्होंने ने मोदी को दिल्ली के विकास में सहयोग करने की अपील की है। वास्तविकता इसी बात में है कि केंद्र और दिल्ली सरकार मिलकर दिल्ली के विकास पर अपना सामंजस्य स्थापित करें।


दिल्ली देश की राजधानी है केंद्र शासित राज्य है लेकिन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री यहीं रहते हैं।देश विदेश से आने वाले सभी यहीं दिल्ली दर्शन करते हैं। विगत वर्षों में जो कटुता का भाव देखने में मिला है अथवा चुनाव के मद्देनजर जो भाषायी युद्ध एक दूसरे के लिए किया गया है उसे राजनैतिक रूप से भूल जाना चाहिए। इसका परिणाम जनता जनार्दन के द्वारा मतदान के रूप में दिखाई देता है। 
हार और जीत जीवन के अभिन्न अंग हैं। हारने वाला जीतने का प्रयास मन मंथन से करें तो वह एक दिन सफल अवश्य होगा। जीतने वाला यदि अभिमानी हो , तो नाशवान हो जाता है। ऐसा इतिहास के पृष्ठों में कितने ही राजवंशों  के उदय और अस्त होने के उदाहरण मिलते हैं। देश के लोग केंद्र और राज्य सरकारों से यही अपेक्षा करती है कि देश में  सुख शांति  और समृद्धि का वातावरण बना कर  देश को उत्थान की राह पर ले जाय। अंत में विजय श्री के लिए आप सरकार और केजरीवाल जी को बहुत बहुत बधाई इस आसय के साथ कि दिल्ली की जनता  का आशीर्वाद का पूर्णतः समान के साथ स्वीकार करेंगे।जय भारत। वंदेमातरम।


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