भारत की पहली इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक फैसिलिटी की स्थापना करेगा एप्सिलॉन कार्बन

नयी दिल्ली : भारत में कोल-तार डेरिवेटिव्स के क्षेत्र की अग्रणी कंपनी, एप्सिलॉन कार्बन ने कर्नाटक के बेल्लारी में इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक फैसिलिटी की स्थापना के साथ अपने कारोबार के संचालन को एकीकृत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक का विनिर्माण करने वाला यह परिसर, दरअसल भारत में अपने तरह का पहला विनिर्माण केंद्र होगा जहां ईंधन के तौर पर स्टील प्लांट से अपशिष्ट के रूप में निकलने वाले कोक ओवन गैस का उपयोग किया जाएगा, और इस तरह CO2 का न्यूनतम उत्सर्जन करने वाला यह संयंत्र पर्यावरण के अनुकूल होगा। इसके अलावा, अपने पास कच्चे माल के रूप में न्यूनतम सल्फर की मौजूदगी के कारण इस इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक फैसिलिटी से SOx / NOx के उत्सर्जन का स्तर भी बेहद न्यूनतम होगा, जो भारत में वर्तमान कार्बन ब्लैक विनिर्माण केंद्रों के उत्सर्जन स्तर से काफी नीचे है।



फिलहाल एप्सिलॉन कार्बन 220,000 TPA की क्षमता वाले कोल-तार डिस्टिलेशन संयंत्र का संचालन करता है, जो एल्यूमीनियम उद्योग में पिच, यानी कि तारकोल की 40% मांग को पूरा करता है। उम्मीद है कि वित्त-वर्ष 21 की तीसरी तिमाही में परियोजना के पहले चरण को चालू किया जाएगा, जिसकी शुरुआती वार्षिक उत्पादन क्षमता 115,000 टन होगी। कंपनी द्वारा वित्त-वर्ष 24 तक इस इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक फैसिलिटी की कुल उत्पादन क्षमता को 300,000 टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाया जाएगा। इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक फैसिलिटी की स्थापना के लिए, एप्सिलॉन कार्बन द्वारा परियोजना के दोनों चरणों में कुल 900 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है।


कर्नाटक में अपने इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक परियोजना के बारे में बताते हुए एप्सिलॉन कार्बन के प्रबंध निदेशक विक्रम हांडा ने कहा, “हम बिल्कुल नए एवं उच्च गुणवत्तायुक्त कार्बन उत्पादों की सुनिश्चित आपूर्ति के साथ पूरी दुनिया के उद्योग जगत को सहायता प्रदान करते हैं, जिनका उत्पादन विश्वस्तरीय पर्यावरण-अनुकूल विनिर्माण प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। भारत में कार्बन ब्लैक के क्षेत्र में हमारा सबसे बड़ा फायदा यह है कि, हम अपने ग्राहकों को कच्चे माल की सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे हमें भविष्य में अपने विस्तार की योजना बनाने का प्रोत्साहन मिलता है, ताकि हम अपने ग्राहकों को स्थिरता के साथ लंबे समय तक आपूर्ति का प्रस्ताव दे सकें। कर्नाटक में हमारे इंटीग्रेटेड कार्बन ब्लैक संयंत्र के पहले चरण को वित्त-वर्ष 21 की तीसरी तिमाही तक चालू किया जाएगा।”


कर्नाटक में एप्सिलॉन के इस एकीकृत संयंत्र में हार्ड और सॉफ्ट, दोनों श्रेणियों के कार्बन ब्लैक का उत्पादन किया जाएगा। कोल-तार के डिस्टिलेशन की प्रक्रिया में उत्पन्न कार्बन ब्लैक ऑयल / एन्थ्रेसीन ऑयल का इस्तेमाल कार्बन ब्लैक के लिए कच्चे माल के तौर पर किया जाएगा, और इस तरह यह इकाई पूर्ण प्रतिगामी संयोजन में सहायता प्रदान करेगी।


पूरी दुनिया में, टायर उद्योग को कार्बन ब्लैक उत्पादों का सबसे बड़ा उपभोक्ता माना जाता है। टायरों की लंबी उम्र को बढ़ाने के लिए इसका उपयोग एक बेहद सुदृढ़ फिलर के तौर पर किया जाता है। लिहाजा कार्बन ब्लैक की कुल मांग में रबर से संबंधित उद्योगों का योगदान लगभग 93% है। इसके अलावा, मुद्रण स्याही, पेंट, और रंगाई के लिए वार्निश में ब्लैक पिगमेंट के तौर पर तथा प्लास्टिक को यूवी से बचाने और सजावटी कागज एवं फाइबर जैसे विशेष उत्पादों में कार्बन ब्लैक का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री में इलेक्ट्रोड एवं कार्बन ब्रश के निर्माण के लिए कार्बन ब्लैक का इस्तेमाल सुचालक के तौर पर किया जाता है।


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