जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड सीडीआर से बाहर
नई दिल्ली : भारत के सबसे बड़े स्टेनलेस स्टील निर्माता जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (जेएसएल) ने कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (सीडीआर) से सफलतापूर्वक बाहर आने की घोषणा की जो 31 मार्च 2019 से लागू है। यह सूचना सीडीआर ऋणदाताओं ने एक पत्र द्वारा जेएसएल को 4 मार्च को दी। इसके मुताबिक मौजूदा सीडीआर ऋणदाताओं को जारी वित्त वर्ष में नकद में करीब 275 करोड़ रूपये का पूर्ण भुगतान किया गया है। इसके अलावा जेएसएल ने बकाया ओसीआरपीएस (आप्शनली कनवर्टिबल रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर) को पूरी तरह चुकता कर लिया है, जिन्हें ऋणदाताओं को जून 2017 में जारी किया गया था, और करीब 558 करोड़ रूपये का भुगतान किया है। इस तरह ऋणदाताओं का एकीकृत भुगतान राशी करीब 833 करोड़ रूपये है।
इससे पहले प्रवर्तक समूह की इकाई ने इक्विटी जारी की थी जिसके उपरान्त जेएसएल ने कोटक स्पेशल सिचुएशन फंड्स (केएसएसएफ) को 400 करोड़ रूपये के नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर जारी किये और इन फंड्स ने जेएसएल को अपने ओसीआरपीएस चुकाने में मदद की। केएसएसएफ ने भी अतिरिक्त मार्केट से जेएसएल में करीब 5% इक्विटी अर्जित की है। यह कंपनी के परिचालन और वृद्धि के प्रति निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
इस उल्लेखनीय सफलता पर जेएसएल के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा, “सीडीआर प्रक्रिया को समाप्त कर उससे बाहरआना जेएसएल के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जेएसएल की नकदी और मुनाफ़े में सुधार दर्शाता है। इससे न केवल हमारे कारोबार को वित्तीय एवं परिचालन कुशलता मिलेगी बल्कि कंपनी वृद्धि की ओर बढ़ेगी। सीडीआर निकास की प्रक्रिया लम्बी थी क्योंकि निरंतर आयात से हमारी आय प्रभावित होती रही। हम अपने सभी ऋणदाताओं के अटूट विश्वास के लिए आभारी हैं।” कंपनी के ऋण-इक्विटी अनुपात में सुधार हुआ है। दिसम्बर 2017 में यह अनुपात 2.2 था, जबकि 31 दिसम्बर 2019 को 1.3 था।
जेएसएल ने जाजपुर, ओड़िशा में स्टेनलेस स्टील निर्माण हेतु विश्वस्तरीय यूनिट तैयार करने के लिए निवेश किया है। यह इकाई देश में बढ़ती स्टेनलेस स्टील की खपत के अनुरूप उत्पादन, भारत को स्टेनलेस स्टील की अपनी मांग पूरी करने हेतु आत्म-निर्भर बनाने, और व्यापार घाटा कम पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जाजपुर इकाई विभिन्न क्षेत्रों में स्टेनलेस स्टील की डाउनस्ट्रीम इकाइयों के विकास के लिए मौके तैयार करने की क्षमता रखती है जिससे पूंजी निवेश और रोज़गार बढ़ेगा।
जेएसएल के सीडीआर की अवधि पिछले कईं वर्षों से आसियान देशों और चीन से लगातार हो रही स्टेनलेस स्टील फ्लैट उत्पादों की डंपिंग के चलते विलम्बित हुई जिससे कंपनी पर वित्तीय दबाव अनुचित रूप से बढ़ गया। इन देशों से अत्यधिक उत्पादन भारत जैसे प्रगतिशील बाज़ारों में पहुँचाया जा रहा है। सरकार द्वारा एंटी-डंपिंग ड्यूटी और काउंटरवेलिंग ड्यूटी जैसे व्यापार उपचारात्मक उपाय लगातार दरकिनार किये जा रहे हैं जिससे ये अप्रभावी साबित हुए हैं। इसके बावजूद, अवरोधों को लगातार पार कर और आंतरिक प्रक्रिया में सुधार से जेएसएल ने सफलतापूर्वक अपना परिचालन बरकरार रखा। फिलहाल, कंपनी की सालाना क्षमता 11 लाख टन है। आने वाले समय में जेएसएल का लक्ष्य लागत को उपयुक्त बनाने की रणनीति पर ध्यान देना है जिससे परिचालन लागत कम करने और उच्चतम परिचालन दक्षता प्राप्त की जा सके।
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