कोरोना वायरस के कारण कोमोडिटीज में बना रहेगा दबाव
कोराना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण जहां निवेशक मौजूदा समस्याओं को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसके चलते धातुओं की कीमत में लगातार गिरावट जारी है। सरकारों द्वारा कई शहरों में लॉकडाउन करने के कारण दुनियाभर में विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट के उत्पादन में कमी आई है और इसका असर कच्चे तेल की कीमतों में भी देखा जा सकता है। नीचे कोमोडिटीज के पिछले सप्ताह का सार बताया गया है।
गोल्ड: दुनियाभर में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण गोल्ड की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिली है और पिछले सप्ताह इसमें 1.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस वायरस ने दुनियाभर में 2.3 लाख लोगों को संक्रमित किया है और वैश्विक विकास की संभावनाओं पर आघात किया है, जिसके कारण लोग बुलियन की बजाय लिक्विडिटी पर भरोसा कर रहे हैं और इससे गोल्ड की कीमत में गिरावट देखने को मिली है। इसका सीधा असर अमेरिकी डॉलर पर हुआ है। निवेशकों ने गोल्ड बेचकर नकदी जमा की है, जिससे अमेरिकी डॉलर तेजी से बढ़ा है। गोल्ड की कीमत गिरने का दूसरा बड़ा कारण है अमेरिकी सरकार द्वारा 10 खरब डॉलर का राहत पैकेज जारी करना, जो अर्थव्यवस्था को स्थायी बनाए रखने के लिए अगले दो सप्ताह में अमेरिकियों को 1 हजार डॉलर डिलीवर कर सकता है। मौजूदा सप्ताह में इस बात की अपेक्षा है कि गोल्ड प्रति 10 ग्राम 40 हजार रुपए के नीचे रहेगा।
कॉपर: विश्वभर में कोरानावायरस के बने भय के माहौल के कारण कॉपर की कीमतें भी प्रभावित हुईं हैं। लंदन मेटल एंक्चेंज में बेस मेटल की कीमतें 9.9 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुई हैं, क्योंकि निवेश यूएस डॉलर में ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं, जो बेहतर रिटर्न दे रहा है। बड़े सेंट्रल बैंकों द्वारा डॉलर की लिक्विडिटी बढ़ाने के कारण बेस मेटल की कीमतों में काफी दबाव बढ़ गया है।
क्रूड ऑयल: दुनियाभर के कई बड़े देशों जैसे चीन, भारत और यूरोपीय यूनियन द्वारा कम मांग के बावजूद सऊदी अरब और रूस द्वारा प्रोडक्शन बढ़ाए जाने से डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमतें पिछले सप्ताह 14 फीसदी तक कम हो गईं। कोरोना वायरस के चलते अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य देशों के बाजार में कमी और चीन के उत्पादन में भारी कमी होने के कारण डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत में प्रति बैरल 30 डालॅर की कमी देखने को मिली। वहीं कोरोना वायरस के कारण जहां एक तरफ मांग कम हुई है, वहीं रूस और सऊदी अरब के बीच की लड़ाई से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ गया है। अधिकारियों के मुताबिक सऊदी अरब अगले कुछ महीने तक प्रति दिन 1.23 करोड़ बैरल प्रति दिन की सप्लाई जारी रखेगा।
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