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उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार
० इरफ़ान राही ० नई दिल्ली - कोरोना काल में पिछले पांच वर्षों से बंद पड़े उर्दू साक्षरता केंद्रों को आख़िरकार उर्दू अकादमी दिल्ली द्वारा बहाल करने पर अमल शुरू कर दिया गया है। इन्हें शुरू कराने की जद्दोजहद से जुड़े राजकीय सम्मान प्राप्त उर्दू भाषा और साहित्य से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार इरफ़ान राही ने इस पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए उर्दू अकादमी दिल्ली के सचिव मुहम्मद अहसन आबिद, वाइस चेयरमैन प्रोफेसर शहपर रसूल, उर्दू अकादमी दिल्ली के अधिकारियों , गवर्निंग काउंसिल के सभी सदस्यों और दिल्ली सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री सौरभ भारद्वाज के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हम पांच सालों से लगातार सोशल मीडिया, उर्दू - हिंदी अख़बारात, यू ट्यूब चैनल्स के माध्यम से और व्यक्तिगत रूप से कार्यालयों में पहुंचकर उर्दू साक्षरता केन्द्रों को बहाल करने की दरख़्वास्त की थी । इस दौरान हम कई बार उर्दू अकादमी दिल्ली के सचिव मुहम्मद अहसन आबिद , तत्कालीन वाइस चेयरमैन हाजी ताज मुहम्मद वर्तमान वाइस चेयरमैन प्रोफेसर शहपर रसूल साहब से मुलाकात की , दिल्ली विधानसभा के कई विधायकों, खाद्...
स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां
० आशा पटेल ० जयपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जोधपुर से सम्बद्ध स्वास्थ्य कल्याण समूह के दो महाविद्यालयों, स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेंटर और स्वास्थ्य कल्याण इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी एण्ड यौगिक साइंसेज के दीक्षांत समारोह में दोनों महाविद्यालयों के 302 स्टूडेंट को डिग्री और मेडल प्रदान किए गए। उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा एवं अन्य अतिथियों ने 295 स्टूडेंट को स्नातक और 17 स्टूडेंट को स्नातकोत्तर की डिग्रियां बांटी। आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्री डॉ. प्रेम चंद बैरवा ने चिकित्सा पद्धतियों के प्रोत्साहन के लिए डॉ. एस एस अग्रवाल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इलाज से पहले और बाद में भी व्यक्ति को स्वस्थ रखने में योगा का अहम रोल होता है। समारोह के विशिष्ठ अतिथि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जोधपुर के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि जयपुर में स्वास्थ्य कल्याण योगा और होम्योपैथी कॉलेज सरकार के मापदंडों पर खरे रहकर काम कर रहे हैं। ...
"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"
सुरेखा शर्मा,लेखिका / समीक्षक [ 31 जुलाई 1880,140वीं जयंती पर प्रस्तुत विशेष आलेख ] स्त्री -विमर्श में प्रेमचंद का योगदान नींव की ईंट की तरह है।जो समाज निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाता है जिसके बिना समाज अधूरा है।वह पुरुष को आधार देती है,स्पर्धा नहीं करती। यह वह स्त्री है जो परिवार, समाज तथा राष्ट्र का निर्माण करती है। प्रेमचंद जी के नारी पात्रों ने शारीरिक सौंदर्य को महत्व न देकर हमेशा संघर्ष, परिश्रम, नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्य और सच्चाई को महत्व दिया गया है।२१वीं सदी में जहां एक ओर नारी आदर्शों में भौतिकता के प्रति आकर्षित हो रही ऊं, वहां ऐसे समय में प्रेमचंद के नारी पात्र एक सुखद एहसास दिलाते हैं।ये नारी पात्र पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित भारतीय नारी के समक्ष एक चुनौती बनकर खड़ी हो जाती हैं। अतः नारी में अधिकार सजगता एवं स्वयं निर्णय लेने की क्षमता की पहल मुंशी प्रेमचंद ने ही की. एक स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु जितने भी मुक्ति संघर्ष हुए हैं उनमें से एक है 'नारी चिंतन'।समाज निर्माण में स्त्री की भूमिका मुख्य होती है।धर्म ग्रंथों में स्त्री को संसार की जननी कहा गया है। आज...
वाणी का डिक्टेटर – कबीर
डॉ. शेख अब्दुल वहाब एसोसिएट प्रोफेसर तमिलनाडु कबीर 15वीं सदी के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे l हिन्दी साहित्य के इतिहास का दूसरा काल जिसे हम “भक्ति काल” (सं.1375 से सं.1700) के नाम जानते हैं l हिन्दी साहित्य का यह अत्यंत समृद्ध एवं महत्वपूर्ण काल अनेक दृष्टियों से स्वर्ण-युग भी कहलाता है l कबीर (सं.1455) इसी भक्ति काल के निर्गुण भक्ति धारा के ज्ञान मार्ग के प्रवर्तक थे l उन्होंने ज्ञान के द्वारा ईश्वर को पाने का मार्ग बताया l उन्होंने निराकार निर्गुण परब्रह्म की उपासना की है l ईश्वर तक पहुँचने के लिए आपने ने गुरु के महत्व को स्वीकार किया है l कबीर ने कहा – गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागों पाय । ...
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