आपकी संघर्ष यात्रा थमेगी नहीं, चितरंजन सिंह ज़िन्दा रहेंगे हमारे जीवन में - मुहम्मद शुऐब
लखनऊ । रिहाई मंच ने वरिष्ठ मानवाधिकार नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व पीयूसीएल अध्यक्ष चितरंजन सिंह का बलिया में उनके पैतृक गांव सुलतानपुर (मनियर) में निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि चितरंजन सिंह ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकल कर मानवाधिकार आंदोलनों की दुनिया में अपने मानवीय विचार, कड़ी मेहनत और निष्ठा से एक मुकाम हासिल करने वाले कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक थे। धरातल पर चल रहे विभिन्न जन आंदोलनों में न केवल उनकी सक्रिय भागीदारी रही बल्कि हम जैसों के लिए वे हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे, विपरीत परिस्थितियों में उनका मार्गदर्शन प्राप्त रहा।
आज़मगढ़ रिहाई मंच प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि सितंबर 2008 में आतंकवाद के नाम पर तत्कालीन केंद्र सरकार और एजेंसियों के इशारे पर मीडिया आज़मगढ़ को ‘आतंकगढ़’ और ‘आतंक की नर्सरी’ का नाम देकर पूरे जनपद में भय का माहौल बना रहा था, जगह-जगह छापे डाले जा रहे थे। नवजावानों की गिरफ्तारियां की जा रही थीं, उस काले दौर में चितरंजन सिंह के नेतृत्व में आज़मगढ़ मुख्यालय पर “आज़मगढ़, आतंकवाद: मिथक या यथार्थ” विषय से 6 अक्तूबर 2008 को धरना दिया गया था जिसमें रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब के साथ सुभाष गताड़े भी मौजूद थे।
मानवाधिकार नेता बलवन्त यादव ने कहा कि सीधे, सरल और मृदुभाषी चितरंजन सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ ही वैचारिक संकल्प और वंचित समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष में कभी समझौतावादी रवैया नहीं अपनाया। इसी कारण उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा। ऐसे समय में जब आज देश और समाज को उनकी पहले से कहीं अधिक ज़रूरत थी ऐसे कर्मठ योद्धा का हम सब को छोड़कर चला जाना अत्यंत दुखद और मानवाधिकार और जन आंदोलनों के लिए अपूर्णीय क्षति है।
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