कोरोना संकट से निपटने के लिए जांच का दायरा बढ़ाया जाए
आज़मगढ़ । कोरोना जांच के आंकड़ों के मुताबिक 20 जून तक देश के कुल 66,16496 नमूनों की जांच की गई। 20 जून तक देश में कुल संक्रमितों की संख्या 4,10,461 थी। इसका मतलब जितने नमूनों की जांच की गई उनमें से 6.2% लोग संक्रमित पाए गए। जबकि 20 जून को कुल 1,89,869 नमूनों की जांच की गई जिसमें 15,413 लोगों की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। इस लिहाज़ से संक्रमितों का 8.12 बनती है।
रिहाई मंच आज़मगढ़ संयोजक मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जांच के लिए जाने वाले नमूनों की संख्या बढ़ने के साथ संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी इसमें किसी को संदेह नहीं था और न ही इसमें कोई आश्चर्य की बात है। लेकिन लॉक डाउन और अन्य बंदिशों के बावजूद अगर जांच में संक्रमित पाए जाने वालों का प्रतिशत बढ़ता है तो यह अवश्य चिन्ता का विषय होना चाहिए। खासकर उन हालात में जबकि बारिश शुरू हो चुकी है, वातावरण में आर्द्रता की मात्रा बढ़ने से कोरोना वायरस की हवा में टिकान बढ़ जाएगी और अधिक समय तक जीवित रह पाएगा। इसके अलावा वर्षा ऋतु में कई तरह के बैक्टेरियल और वायरल संक्रमण की संभावना भी बढ़ जाती है।
मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि कोरोना जांच के आंकड़े दो लाख छूते हुए अवश्य मालूम होते हैं, हो सकता है कि अन्य देशों की तुलना में यह आंकड़े भारी भरकम लगते हों लेकिन देश की आबादी के एतबार से बहुत कम हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण बन जाता है कि भारत की आबादी उन यूरोप के देशों या ब्राज़ील की तुलना में बहुत अधिक है और भारत में अभी पीक (चरम) आना बाकी है। कम जांच का मतलब होता है और अधिक लोगों के संक्रमित होने की संभावना का बढ़ना, और यह संभावना मौजूद है।
रिहाई मंच ने कहा कि इसलिए जहां सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि जांच की संख्या और दायरा दोनों अन्य संक्रमित देशों की आबादी और जांच के अनुपात में बढ़ाए, वहीं जनता को संक्रमण से बचाव का रास्ता अपनाने में पहले से ज्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
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