आखर-आखर गीत’ के आवरण का ऑनलाइन लोकार्पण
नयी दिल्ली - भोजपुरी के लोकप्रिय रचनाकार जयशंकर प्रसाद द्विवेदी की तीसरी पुस्तक ‘आखर-आखर गीत’ के आवरण का ऑनलाइन लोकार्पण ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ के आभासी मंच पर लाइव किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत डाॅ. रजनी रंजन द्वारा सरस्वती वंदना के हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक लव ने की जबकि मुख्य अतिथि सुभास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव रहे थे।
कार्यक्रम का सफल व प्रभावी संचालन डाॅ. सुमन सिंह द्वारा संपन्न हुआ जबकि मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डाॅ. मुन्ना के पाण्डेय, घाटशिला, झारखंड से डाॅ. रजनी रंजन, सर्वभाषा ट्रस्ट के समन्वयक केशव मोहन पाण्डेय और सुविख्यात भोजपुरी लोकगायिका संजोली पाण्डेय ने शिरकत की।
सरस्वती वंदना के उपरांत आवरण विमोचन हेतु पुस्तक से गीतों पर आधारित एक विडियो को प्रस्तुत किया गया तत्पश्चात रचनाकार जे पी द्विवेदी जी ने अपनी काव्य-यात्रा से जुड़े कुछ रोचक संस्मरण सुनाये और साथ ही भोजपुरी भाषा के उत्थान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सबके समक्ष रखी। उसके उपरांत आखर-आखर गीत’ में संकलित ‘बरसेला मेघ जलधार हो’ को लोकगायिका संजोली पाण्डेय ने गाकर सुनाया और अपने अनुभव प्रस्तुत किए। बतातें चलें कि संजोली पाण्डेय द्वारा गाए गए इस गीत को अब तक सोलह लाख से अधिक लोग यूट्यूब पर सुन चुके हैं।
उन्होंने गीत के कुछ छंदों को प्रस्तुत भी किया। ‘आखर-आखर गीत’ पर अपने विचार रखते हुए प्रसिद्ध हिन्दी और भोजपुरी के साहित्यकार तथा सर्वभाषा ट्रस्ट के समन्वयक केशव मोहन पाण्डेय ने इस संग्रह को श्रव्य, दृश्य और कर्म की कसौटी पर रखते हुए लोक के संग्रह की संज्ञा दी। डाॅ. रजनी रंजन ने इसे लोकधुन की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला और समसामयिक संग्रह बताया। इस पुस्तक पर गंभीर विवेचना प्रस्तुत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डाॅ. मुन्ना के पाण्डेय ने बताया कि इसमें लक्षणा और व्यंजना के गीतों की अधिकता है। यह भोजपुरी की सायास पहचान है। इसके साथ ही उन्होंने संग्रह के प्राण-तत्व व्यंग्य के गीतों को भी रेखांकित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक श्रीवास्तव ने गीतकार जे पी द्विवेदी की भोजपुरी के प्रति समर्पण को रेखांकित करते हुए कई संस्मरण सुनाए और पुस्तक की सफलता की कामना की। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष और हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार श्री अशोक लव ने कोरोना काल में रचनाकारों की जीवटता की बात करते हुए आखर-आखर गीत की कई प्रमुख बातों का विशेष उल्लेख किया। कार्यक्रम का सफल और प्रभावशाली संचालन विदुषी साहित्यकार डाॅ. सुमन सिंह ने सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। अंत में केशव मोहन पाण्डेय जी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
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