ग़ज़ल // हो रही हैं प्यार की बातें अलग
बलजीत सिंह बेनाम
हो रही हैं प्यार की बातें अलग
आपसे मेरी मुलाकातें अलग
वस्ल के दिन कट रहे हैं मौज से
हिज्र की लेकिन सनम रातें अलग
चैन से शैतां भी है बैठा हुआ
हाँ मगर इन्सां की हैं ज़ातें अलग
बलजीत सिंह बेनाम
हो रही हैं प्यार की बातें अलग
आपसे मेरी मुलाकातें अलग
वस्ल के दिन कट रहे हैं मौज से
हिज्र की लेकिन सनम रातें अलग
चैन से शैतां भी है बैठा हुआ
हाँ मगर इन्सां की हैं ज़ातें अलग
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