कविता // ग्रुप
विश्वेश्वर ढौण्डियाल
ग्रुप एक मेल है, विचारों का बंधन है।
समूह का विलय है भावों का चमन है।
अनेकता में एकता-ध्येय का एक संकल्प है,
ज्ञान का एक कुंज है, समस्या का विकल्प है।
ध्येय का परिधान है, विज्ञान का हर ज्ञान है।
उसे भी पथ दिखाता भूल से जो अनजान है।
भविष्य का प्रवाह नित है वर्तमान का परिदृश्य।
खोज का हर ज्ञान इसमें, जो अतीत के थे अदृश्य।
कई धागों की डोर यह,मजबूत बनती श्रृंखला।
इस श्रंखला की राह में,अद्भुत है बनती है हर कला।
हर कला से हर एक सृजन, सृजन से होता है आधार,
आधार से मंजिल है मिलती, यही तो है ग्रुप का सार।
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