विश्व स्वास्थ्य संगठन के छह में से पांच क्षेत्र अब वाइल्ड पोलियो से मुक्त

अफ्रीका में रोटरी के तकरीबन 32,000 सदस्यों ने धनराशि जुटाने एवं पोलियो के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन कर, दुनिया भर की सरकारों के साथ काम कर, स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर पोलियो उन्मूलन के प्रयासों द्वारा क्षेत्र को पोलियो मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दुनिया भर में रोटरी के सदस्यों ने पोलियो उन्मूलन में योगदान देने के लिए अपना समय और पैसा दान में दिया है, पोलियो उन्मूलन संगठन की मुख्य प्राथमिकता रही है।



नयी दिल्ली : रोटरी और ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीशिएटिव (जीपीईआई- विश्वस्तरीय पोलियो उन्मूलन पहल) में इसके साझेदारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अफ्रीकी क्षेत्र को अब वाइल्ड पोलियो वायरस से मुक्त घोषित कर दिया गया है।


नाइजीरिया को चार साल बाद यह उपलब्धि प्राप्त हुई है, जो अफ्रीका में पोलियो के मामलों में युक्त आखिरी देश था- जीपीईआई साझेदारों, स्थानीय एवं राष्ट्रीय नेताओं और अफ्रीकी क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से यह उपलब्धि हासिल हुई है। इस प्रयास के दौरान ओरल पोलियो वैक्सीन की 9 बिलियन खुराकें दी गईं, लाखों बच्चों को टीकाकरण दिया गया और इन सब प्रयासों के चलते पूरे क्षेत्र में वाइल्ड पोलियो वायरस के 1.8 मिलियन मामलों को रोका गया है। यह घोषणा रोटरी एवं इसके सदस्यों के सामुहिक प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने अफ्रीकी क्षेत्र में पोलियो उन्मूलन के लिए तकरीबन 890 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा असंख्य स्वयंसेवी घण्टों का योगदान दिया।


‘‘महामारी के इस दौर में, इस साल दुनिया भर में स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत कम अच्छी खबरें आई हैं और पूरी दुनिया स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रही है।’’ रोटरी इंटरनेशनल के प्रेज़ीडेन्ट होल्गर नैक ने कहा। ‘‘यही कारण है कि हमें उन सभी लोगों के योगदान को समझना चाहिए, उनकी सराहना करनी चाहिए, जिन्होंनें अफ्रीकी क्षेत्र में वाइल्ड पोलियो के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें कई सालों के ज़बरदस्त प्रयास और साझेदारियां शामिल रही हैं। मैं पूरे अफ्रीका और दुनिया भर में रोटरी सदस्यों के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने पेालियो के उन्मूलन के लिए समर्पित प्रयास किए हैं।


अफ्रीकी क्षेत्र को वाइल्ड पोलियो वायरस से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों-खासतौर पर महिलाओं ने उल्लेखनीय योगदान दिया है- जो पोलियो वैक्सीन को बच्चों तक पहुंचाने के लिए दूर-दूर तक पहुंची; जिन्होंने असुरक्षा और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच बच्चों तक वैक्सीन पहुंचाने का प्रबंध किया; जिन्होंने पैरालिसिस के मामलों पर निगरानी रखी, वायरस  के लिए सीवेज की जांच की। अफ्रीका के सभी 47 देशों का नेतृत्व इसमें महत्वपूर्ण रहा है।


‘‘हम 1996 के बाद से इस दिशा में अथक प्रयास कर रहे हैं, जब रोटरी और इसके जीपीईआई सदस्यों ने पहली बार हर बच्चे तक पोलियो वैक्सीन पहुंचाने की प्रतिबद्धता के साथ नेलसन मंडेला के साथ हाथ मिलाए।’’ डॉ तुंजी फुंशो, चेयरपर्सन, रोटरी नाइजीरिया नेशनल पोलियो प्लस कमेटी ने कहा। ‘‘अभी हमें बहुत काम करना है, किंतु यह उपलब्धि दर्शाती है कि आपसी साझेदारी, राजनैतिक एवं वित्तीय सहयोग के द्वारा दुनिया से पोलियो का उन्मूलन संभव है।’’


 दीपक कपूर, चेयरमैन, रोटरी इंटरनेशनल इंडिया नेशनल पोलियो प्लस कमेटी ने कहा, ‘‘हम वाइल्ड पोलियो वायरस के उन्मूलन के लिए अफ्रीकी देशों की सराहना करते हैं और रोटरी सदस्यों, साझेदारों, स्थानीय एवं सरकारी नेताओं तथा स्टाफ को बधाई देते हैं, जिनके प्रयासों की वजह से ही यह संभव हो पाया है। इस घोषणा के साथ, विश्व स्वास्थ्य संगठन के छह में से पांच क्षेत्र अब वाइल्ड पोलियो से मुक्त हो चुके हैं। यह उन हज़ारों फ्रंटलाईन स्वास्थ्य कर्मियों के लिए गर्व का समय है जो दुनिया भर के बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं, और उन्होंने कोविड-19 महामारी के बीच भी पोलियो एवं वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली अन्य बीमारियों के खिलाफ़ अपने प्रयास जारी रखे हैं।


विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के तहत, जिसे 2014 में वाइल्ड पोलियो वायरस से मुक्त घोषित किया गया था, भारत का मानना है कि इस सबक को अफ्रीकी देशों के साथ साझा किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने आप को पोलियो से मुक्त बनाए रख सकें। भारत अपने बच्चों को पिछले 10 साल से सुरक्षित रखे हुए है। भारत में पोलियो का आखिरी मामला जनवरी 2011 में दर्ज किया गया। भारत में सुनिश्चित किया जाता है कि हर बच्चे को साल में दो बार पोलियो वैक्सीन दी जाए। राजनैतिक प्रतिबद्धता, पोलियो पर सख्त निगरानी और वेक्सीनेटर्स एवं सामुदायिक कार्यकर्ताओं के नेटवर्क ने अपनी सशक्त रणनीति के साथ जोखिम वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है, जिसके चलते भारत ने टीकाकरण के कवरेज को बनाए रखा है और अब तक पोलियो मुक्त बना हुआ है। हालांकि हमें यह याद रखना है कि जब तक दुनिया के किसी भी देश में पोलियो का एक भी मामला मौजूद है, दुनिया भर के बच्चे खतरे पर हैं। इसलिए ज़रूरी है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों में से भी वाइल्ड पोलियो का पूरी तरह उन्मूलन किया जाए। हम वाइल्ड पोलियो के उन्मूलन के इस जश्न में अफ्रीका के साथ हैं और उम्मीद करते हैं कि एक दिन ऐसा होगा जब दुनिया के किसी भी हिस्से में एक भी बच्चा पोलियो की वजह से अपंग नहीं होगा।’’ 


पूरे अफ्रीका में पोलियो वैक्सीनेशन के प्रयास जारी रखने होंगे, नियमित टीकाकरण को और सशक्त बनाना होगा ताकि वाइल्ड पोलियोवायरस दोबारा ना लौटे और बच्चों को इस वायरस से पूरी तरह सुरक्षित रखा जाए। वाइल्ड वायरस का संचरण अभी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जारी है, जब तक दुनिया के किसी भी देश में यह वायरस बाकी है, तब तक सभी बच्चे जोखिम पर हैं।


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