डॉलर में मजबूती की वजह से सोने की कीमतों में गिरावट

नयी दिल्ली - अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आईं, जिससे अन्य मुद्रा धारकों के लिए पीली धातु महंगी हो गई। हालांकि, कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या सोने की मांग को बढ़ा सकती है। क्रूड ऑयल में बिकवाली के बीच कीमतें बढ़त के साथ बंद हुई। वायरस के बढ़ते मामलों के बीच बेस मेटल की कीमतें भी गिरावट के साथ बंद हुईं।



सोना


स्पॉट गोल्ड में 0.69% की गिरावट दर्ज हुई और यह 1899.3 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ। इसकी वजह थी अमेरिकी डॉलर में दो महीनों के अपने उच्चतम स्तर को प्राप्त करना, जिससे अन्य मुद्रा धारकों के लिए पीली धातु महंगी हो गई।महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के रिवाइवल का समर्थन करने के लिए अमेरिकी नीति निर्माताओं की ओर से प्रोत्साहन उपायों के कोई संकेत नहीं मिलने से भी सोने की कीमतों में और गिरावट आई। वर्तमान परिदृश्य में मार्केटर्स की नजर अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के अधिकारियों के असेसमेंट पर है। यूरोजोन में फिर से लॉकडाउन लगाने के बाद भी सोने की कीमतों में गिरावट सीमित थी। इस प्रकार कोविड-19 मामलों में खतरनाक वृद्धि से आर्थिक सुधार की आशाओं को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, अमेरिका और चीन के बीच महामारी के बढ़ते प्रभाव और बढ़ते तनाव के कारण सेफ हैवन गोल्ड की मांग बढ़ सकती है।


क्रूड ऑयल


डब्ल्यूटीआई क्रूड 0.7% से अधिक की बढ़त के साथ 39.3 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जो कि तेजी से बिकवाली से उबरकर उस स्तर पर पहुंचा। हालांकि, कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या और लीबिया में तेल उत्पादन फिर से शुरू होने से लाभ सीमित रहा। यूरोप और कई अन्य देशों में वायरस-संक्रमित मामलों में बढ़त के कारण फिर से लॉकडाउन की स्थित बनी और इससे क्रूड की मांग पर संदेह के बादल छा गए। वायरस के दोबारा हमले ने बाजार की भावनाओं को प्रभावित किया है और वैश्विक तेल बाजार को महामारी की वजह से आई मंदी से उबरने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। लीबिया में तेल उत्पादन क्षमता के रिवाइवल ने वैश्विक क्रूड बाजार में लगभग दस लाख बीपीडी ऑयल जोड़ने की संभावना बढ़ाई है। हालांकि, डॉलर में मजबूती और तेल को लेकर वैश्विक मांग ने लाभ को रोककर रखा है।


बेस मेटल्स


कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच एलएमई पर बेस मेटल्स का अंत लाल रंग के साथ हुआ, जिससे औद्योगिक धातुओं के आउटलुक पर संदेह के बादल छा गए। इसने बेस मेटल्स की मांग की संभावनाओं को और बाधित किया। आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए अमेरिका द्वारा आगे प्रोत्साहन उपाय करने पर अनिश्चितता से बाजार की भावनाएं प्रभावित हुई और इसने औद्योगिक धातुओं की कीमतों पर दबाव डाला। हालांकि, अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी फेडरल की ओर से मजबूत आर्थिक सुधार की उम्मीद ने बेस मेटल्स को अन्य मुद्रा धारकों के लिए महंगा बना दिया।


कॉपर


एलएमई कॉपर की कीमत 1.8% बढ़कर 6691.5 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई, क्योंकि कीमतों में गिरावट के कारण इन्वेंट्री का स्तर नीचे आ गया। हालांकि, वायरस के फिर उभरने और अमेरिका व चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण कीमतें कम हो सकती हैं।


 प्रभातेश माल्या, एवीपी-रिसर्च नॉन-एग्री कमोडिटीज एंड करेंसीज, एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड


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