आजीवन रंगसेवा के लिए रतनाव रंग पुरस्कार प्रख्यात नाटककार मोहन महर्षि और अंजुला महर्षी को दिया गया
नई दिल्ली। रतनाव द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय रंगोत्सव संपन्न । तीन दिन तक चले इस उत्सव के आखिरी दिन निर्माता, निर्देशक और लेखक रमा पांडेय द्वारा निर्देशित ‘लल्लन मिस’ नाटक का मंचन हुआ। सच्ची कहानी पर आधरित यह नाटक एक हिजड़े की संघर्ष की दास्तान है। इस नाटक को इससे पहले देश के कई शहरों में मंचित किया गया और रंगमच प्रेमियों से काफी प्यार और सहराना मिली है। लल्लन मिस एक हिजड़े की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है, जिसने सामाजिक पूर्वधारण की दीवारों को तोड़कर झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए एक स्कूल का निर्माण किया, ताकि उनका एक बेहतर 'भविष्य' बन सके।
रंगोत्सव के समापन के मौके पर एमपी उदित राज,महानिदेशक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद -कुमार तुहिन, उद्योग जगत के जाने माने नाम कमल मोदी.नाटकार अंजुला महर्षि, संस्थापक साइडवे कंसल्टिंग-अभिजीत अवस्थी आदि उपस्थित रहे । राजकुमारी इस नाटक के बारे में बताती हैं “नेताओं और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा लंबे वादों के बावजूद, स्कूल पूरी तरह से गायकों और नृत्य के माध्यम से अर्जित धन पर चल रहा था। नि: शुल्क ट्यूशन, किताबें और भोजन (शनिवार को खिचड़ी) के साथ, स्कूल का बजट लगभग 46,000 रुपये का आता है, जो जीवन यापन के लिए बहुत ही कम था । शुरू में, नेताओं ने स्कूल के लिए सरकारी जमीन देने का वादा किया था, लेकिन समय के साथ, यह वादा भी उनकेबाकी चुनावी वादों की तरह भूला दिया गया था । "निर्देशक रमा पांडेय ने नाटक पर अपने मत रखते हुए कहा “यह नाटक मेरे जीवन की सबसे कठिन चुनौती है, मैंने अपने जीवन के अनुभवों में लल्लन और अन्य हिजड़ों के जीवन को बुना है। मैंने एक दिलचस्प नाटक शैली में गंभीर कहानी को चित्रित करने की चुनौती ली है”। निर्देशक पांडेय ने आगे कहा “इस रंगोत्सव की सफलता से यह साबित हुआ है कि एक महिला निर्माता लेखक और निर्देशक किसी भी क्रिएटिव चुनौती को जीत सकती हैं । अभी रंगमंच की आवाज़ बुलंद और जिन्दा है”। तीन दिन तक चले रतनाव रंगोत्सव में स्त्री केन्द्रित तीन नाटकों का मंचन हुआ जिनमें लल्लन मिस के अलावा रामगढ की कथा और देश की जानी मानी कथक नृत्यांगना पद्मश्री शोवना नारायण अभिनीत रूप- विदरूप शामिल था।
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