पहले से भी खास होगा बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल-प्रतिभा शर्मा
प्रतिभा शर्मा बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल की संस्थापक भी है जिसका निर्माण 2020 में प्रथम लॉकडाउन में किया गया। प्रतिभा शर्मा के अलावा इसके संस्थापक व आइकॉन फेस उनके पति सुप्रसिद्धएक्टर डायरेक्टर यशपाल शर्मा हैं। अभी तक बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अपनी दो साल की सफ़लतम यात्रा कर चुका है। एक्टर डायरेक्टर प्रतिभा शर्मा रंगमंच तथा सिनेमा जगत में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। एक्टर डायरेक्टर होने के साथ यह एक समाज सेविका के रूप में भी जानी जाती हैं जिनका 'पहल फाउंडेशन' आर्थिक संकट में फंसे कलाकारों की सहायता करता है। इनकी रचनाधर्मिता की बात करें तो इनकी तक़रीबन सभी छोटी बड़ी फिल्में स्त्री जागरूकता व स्त्री सशक्तिकरण की बुलन्द आवाज़ हैं। इनकी खासियत यह है कि उनकी फिल्में स्त्री का शोषित असहाय व बेबस रूप नहीं दिखाती बल्कि इनकी नारी जागरूक और अपने अधिकारों के प्रति सचेत है।
डॉ तबस्सुम जहां- अन्य फ़िल्म फेस्टिवल से बिफ़्फ़ कैसे अलग है?
प्रतिभा शर्मा- अन्य फ़िल्म फेस्टिवल से बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल इस तरह से अलग हो सकता है कि हमारी ज्यूरी जो है वह बहुत स्पेशल है। नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड विनिंग ज्यूरी है। हम निष्पक्ष होकर सारा फैसला देते हैं। पहले हम लोग जो होम ज्यूरी हैं वो देखती हैं वो इस तरह फाईनल फैसला लेते हैं उसके बाद चयन होता है फिल्मों का। इस तरह बहुत ही ट्रांसपेरेंसी होती है। इसमे हम किसी की फ़िल्म अच्छी हो तभी अवार्ड देते हैं।डॉ तबस्सुम जहां- क्या हर साल बिफ़्फ़ की कोई नई थीम होती है ?
प्रतिभा शर्मा- जी हर साल बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का नया थीम तो होता ही है। इस साल 'चाईल्ड फ़िल्म फेस्टिवल' करने का सोचा था लेकिन 'फ़िल्म फ्री वे' का रवैया हमारे लिए बड़ा उदासीन रहा तो हमनें फ़िर वो आइडिया कैंसिल कर दिया। इस बार हम लोग गीत फ़िल्म प्रोडक्शन के सहयोग में यह फेस्टिवल करने जा रहे हैं। यह एक नया उपक्रम है।
डॉ तबस्सुम जहां- अभी तक यह ऑनलाइन हुआ इस साल क्या ऑफलाइन किया जाएगा अगर हां तो कब और कहाँ ?
प्रतिभा शर्मा- जी इस बार यह ऑफलाइन हो रहा है। इस बार का फ़िल्म फेस्टिवल गीत फ़िल्म प्रोडक्शन के सानिध्य में श्री गंगानगर राजस्थान में होगा। यह तीन दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल होगा। अभी देखते हैं कि इसे कैसे प्लान ऑउट कर सकते हैं। इस बार बहुत अच्छा करने का इरादा है। यह राजस्थान का जो कल्चर है उसको प्रमोट करने के साथ साथ फ़िल्म फेस्टिवल का भी हमने आयोजन किया है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि यह नया प्रयोग है।डॉ तबस्सुम जहां- बिफ़्फ़ में क्या फ़िल्मों की एंट्रीज ही आमंत्रित की जाती हैं या सिनेमा की हर विधा को आमंत्रित किया जाता है?
प्रतिभा शर्मा- सिनेमा किसी भी तरह का हो, चाहे छोटे लेवल से हो, बड़े लेवल से हो। फ़ीचर फ़िल्म हो चाहे मोबाइल फ़िल्म हो। किसी भी तरह की विधा को हमने वेलकम किया है और राइटिंग के लिए भी हमने वेलकम किया है। म्यूज़िक वीडियो के लिए भी हमने लोगों को आमंत्रित किया है। देखते हैं कि अभी रिस्पॉन्स कैसा आता है अक्टूबर तक।
डॉ तबस्सुम जहां- पिछले दो सालों का कैसा अनुभव रहा?
प्रतिभा शर्मा- पिछले दो सालों का अनुभव अच्छा ही रहा। पहले साल का तो अनुभव अविस्मरणीय रहा है। ओपनिंग में ही हमनें 250 फिल्मों का सादर प्रजेंटेशन किया था। यह फ़िल्म फेस्टिवल अनोखा फ़िल्म फेस्टिवल था बहुत ही सुपर एनर्जी जुड़ी हुई थीं। पहला फ़िल्म फेस्टिवल कमाल का हुआ था। दूसरे साल का भी बहुत अच्छा हुआ था 'नो डाउट अबाउट इट।' पर अभी तीसरे साल का एक नया प्रयोग है। तीसरे साल का भी 'आई होप सो' कि बहुत अच्छा हो। 'आई एम श्योर' कि आप सभी का साथ होगा तो ऑफ्कोर्स यह हम सफ़ल करके ही दिखाएंगे।डॉ तबस्सुम जहां- आने वाले समय में क्या देश से बाहर भी इसे आयोजित किया जाएगा?
प्रतिभा शर्मा- नहीं। आने वाले समय में हमने ऐसा कुछ सोचा नहीं है लेकिन ऑफ्कोर्स जैसे अभी गंगा नगर से ऑफ़र आया तो हमने उसके लिए सोचा है तो हो सकता है कि कहीं बाहर के देशों से ऑफ़र आए तो वहाँ भी आयोजन करने सोचेंगे। ज़रूर, सोचेंगे क्यों नहीं।
डॉ तबस्सुम जहां- फ़िल्म जगत का कैसा सहयोग मिल रहा है?
प्रतिभा शर्मा- फ़िल्म उद्योग ही एक तरह से देखा जाए तो बहुत ही स्लोमोशन में चल रहा है। फ़िल्म उद्योग एक तरह से सुप्तावस्था में जैसे चला गया हो। थोड़ा सा नकारात्मक वातावरण तो है फ़िल्मों को लेकर लोगों का। अब देखते हैं। हमनें तो हमेशा पॉज़िटिविटी क्रियेट करने की कोशिश की है बिफ़्फ़ में। तो अब देखते हैं कि लोग इसको किस तरह से लेते हैं। मैं किसी नकारात्मकता से नहीं डरती हूँ। मैं किसी भी चीज़ को लेकर नेगेटिव नहीं सोचती हूँ। पॉज़िटिव एनर्जी हर नेगेटिव चीज़ को मात देती है तो मुझे ऐसा नहीं लगता कि किसी तरह की बाधा हमें आ सकती है।
डॉ तबस्सुम जहां- बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसा मंच महिलाओं को कैसे प्रेरित कर सकता है?
प्रतिभा शर्मा- बिफ़्फ़ का मंच महिलाओं को कैसे प्रेरित करता है इस बारे में तो मैंने नहीं सोचा क्योंकि मैक्सिमम हमारे ग्रुप में जो महिलाएं हैं वो पूरा ग्रुप चला रही हैं। मेरे ख़्याल से जिस तरह की ऊर्जाएं जुड़ रही हैं हमारे फेस्टिवल में वो बेहतरीन हैं। बहुत पॉज़िटिव हैं और ऐसे महिला या पुरुष इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए इसको एनर्जी की तरह देखा जाना जाए। मतलब एनर्जी का कोई स्त्रीलिंग या पुल्लिंग नहीं होता। मुझे ऐसा लगता है कि एनर्जी को एनर्जी की तरह देखा जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा। उसको स्त्री पुरुष में न बाँटा जाए।
डॉ तबस्सुम जहां- फिल्म फेस्टिवल के जरिए सामाजिक दायित्वों के निर्वहन को कैसे व्याख्यायित करेंगी आप?
प्रतिभा शर्मा- बिफ़्फ़ अपने सामाजिक दायित्वों को पूरी तरह से निभा रहा है। हम हर हफ़्ते चर्चा रखते हैं लेट्स टॉक में। लेट्स टॉक के मंच पर हम विविध विषयों पर चर्चा करते हैं। सिर्फ़ एक्टिंग ही नहीं या सिर्फ़ निर्देशन ही नहीं या फ़िर संगीत ही नहीं, सिर्फ़ फ़िल्म ही नहीं। तो एक सर्वांगीण चर्चा जो इस मंच पर होती है और मेरे ख़्याल से जिस मंच पर सर्वांगीण चर्चा होती है वो स्वयं अपने आप मे एक सामाजिक दायित्व निभा रहा है वो स्वयं अपने आप मे एक सामाजिक दायित्व निभा रहा है। बिफ़्फ़ अपना सामाजिक दायित्व निभा रहा है या नहीं यह तो दर्शक तय करेंगे और दर्शकों का, लोगों का अभी तक हमें बहुत प्यार मिला है तो मेरे ख़्याल से हम लोग सही जा रहे हैं।
डॉ तबस्सुम जहां- आप नारी सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण हैं, अन्य स्त्रियों के लिए प्रेरणा हैं, सिनेमा के अलावा आपके क्या शौक हैं?
प्रतिभा शर्मा- सिनेमा के अलावा थियेटर तो मेरा पहला प्रेम है। थियेटर में आगे भी करुँगी अगर मुझे थोड़ा सा समय मिल जाए तो। अभी तो थोड़ा लेखन, और फ़िल्म्स बनानी है जो सोची हैं तो वो मेरे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि मेरी जो फिल्में हैं वो महिलाओं के संबंध में हैं, उनके विषय पर केंद्रित हैं। तो ऑफ्कोर्स उन विषयों पर फिल्में बनानी हैं। इतने साल होने के बावजूद मैंने ऐसे महिला विषयक सब्जेक्ट फिल्मों में देखे नहीं हैं तो वो मेरा पहला दायित्व समझती हूँ। और उसके बाद जो मेरा प्यार है वो म्यूज़िक है और उसको मैं चाहूंगी कि कहीं न कहीं कभी इस तरह से मैं गा पाऊं कि मैं एक मंच पर गाऊं, इस तरह से मैं गाऊं ऐसा मैं सोच रही हूँ और उसको ऐसे देख पा रही हूं तो 'लेट्स-सी' इसको मैं कैसे शेप अप कर सकती हूँ और उसके साथ साथ सामाजिक कार्य तो चलते रहते हैं और लोगों को मदद करना मेरे और मेरे हसबेंड यशपाल शर्मा को तो हमेशा वो दायित्व निभाते ही रहते हैं। तो मुझे नहीं लगता है कि हम उन चीज़ों में कहीं पीछे हैं। आगे और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं कलाकारों के लिए। और भी बहुत सारे सपने हैं कलाकारों को लेकर। तो देखते हैं हम लोग कैसे उनको शेप अप करते जाएंगे। काम करते जा रहे हैं शेप अप कैसे होगा यह नहीं पता। यह जो दिखता है कि यह बहुत बड़ा रूप लेने वाला है लेकिन आज ही मैं उसके बारे में नहीं बता सकती।
वे विपरीत परिस्थितियों में लड़ना जानती है। वे अपने परिवार का आधार बनती है वे न केवल स्वयं बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी बेहतर भविष्य देने का सामर्थ्य रखती है। वे यदि रोती भी है तो उसके आंसू ईंधन का काम करते हैं। जो उसे शक्ति से भर देते हैं। इनकी फिल्मों की सभी नायिकाएं भारतीय स्त्रियों के लिए प्रेरणा बनती हैं। चाहे वह नई अम्मी, पिज़्ज़ एम एम एस खुली खिड़की की नायिकाएँ हों अथवा 'आमो आखा एक से' डाक्यूमेंट्री की जिला बाई। इस दौरान इसने देश विदेश में ख्याति प्राप्त की है। इस बार इसका तीसरा सत्र नवंबर में होने जा रहा है। सिनेमा जगत में यह पहला ऐसा मंच है जो नई प्रतिभाओ को अवसर प्रदान कर रहा है। जिस गति से यह उत्तरोत्तर सफलता की ऊंचाइयों को छू रहा है व क़ाबिले तारीफ़ है। इसी मंच से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों व महत्वपूर्ण बिंदुओं पर इसकी संस्थापक प्रतिभा शर्मा से बात करते हैं प्रसिद्ध आलोचक ,फ़िल्म समीक्षक,कहानीकार डॉ तबस्सुम जहां के साथ।
डॉ तबस्सुम जहां- बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल कब और कैसे अस्तित्व में आया ?
प्रतिभा शर्मा- बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल बातों बातों में शुरु हुआ। फिर नाम ढूंढा जैसे बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल नाम दिमाग में आया, तुरंत ही उसे रजिस्टर्ड किया गया आनन फानन में।
प्रतिभा शर्मा- बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल बातों बातों में शुरु हुआ। फिर नाम ढूंढा जैसे बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल नाम दिमाग में आया, तुरंत ही उसे रजिस्टर्ड किया गया आनन फानन में।
डॉ तबस्सुम जहां- इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?
प्रतिभा शर्मा- इसका यही उद्देश्य था कि अच्छे सिनेमा की बात सब करते हैं पर अच्छे सिनेमा को कोई ठीक से प्रमोट नहीं करता। हमारा उद्देश्य अच्छे सिनेमा को प्रमोट करना है।
प्रतिभा शर्मा- इसका यही उद्देश्य था कि अच्छे सिनेमा की बात सब करते हैं पर अच्छे सिनेमा को कोई ठीक से प्रमोट नहीं करता। हमारा उद्देश्य अच्छे सिनेमा को प्रमोट करना है।
डॉ तबस्सुम जहां- अन्य फ़िल्म फेस्टिवल से बिफ़्फ़ कैसे अलग है?
प्रतिभा शर्मा- अन्य फ़िल्म फेस्टिवल से बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल इस तरह से अलग हो सकता है कि हमारी ज्यूरी जो है वह बहुत स्पेशल है। नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड विनिंग ज्यूरी है। हम निष्पक्ष होकर सारा फैसला देते हैं। पहले हम लोग जो होम ज्यूरी हैं वो देखती हैं वो इस तरह फाईनल फैसला लेते हैं उसके बाद चयन होता है फिल्मों का। इस तरह बहुत ही ट्रांसपेरेंसी होती है। इसमे हम किसी की फ़िल्म अच्छी हो तभी अवार्ड देते हैं।डॉ तबस्सुम जहां- क्या हर साल बिफ़्फ़ की कोई नई थीम होती है ?
प्रतिभा शर्मा- जी हर साल बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का नया थीम तो होता ही है। इस साल 'चाईल्ड फ़िल्म फेस्टिवल' करने का सोचा था लेकिन 'फ़िल्म फ्री वे' का रवैया हमारे लिए बड़ा उदासीन रहा तो हमनें फ़िर वो आइडिया कैंसिल कर दिया। इस बार हम लोग गीत फ़िल्म प्रोडक्शन के सहयोग में यह फेस्टिवल करने जा रहे हैं। यह एक नया उपक्रम है।
डॉ तबस्सुम जहां- अभी तक यह ऑनलाइन हुआ इस साल क्या ऑफलाइन किया जाएगा अगर हां तो कब और कहाँ ?
प्रतिभा शर्मा- जी इस बार यह ऑफलाइन हो रहा है। इस बार का फ़िल्म फेस्टिवल गीत फ़िल्म प्रोडक्शन के सानिध्य में श्री गंगानगर राजस्थान में होगा। यह तीन दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल होगा। अभी देखते हैं कि इसे कैसे प्लान ऑउट कर सकते हैं। इस बार बहुत अच्छा करने का इरादा है। यह राजस्थान का जो कल्चर है उसको प्रमोट करने के साथ साथ फ़िल्म फेस्टिवल का भी हमने आयोजन किया है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि यह नया प्रयोग है।डॉ तबस्सुम जहां- बिफ़्फ़ में क्या फ़िल्मों की एंट्रीज ही आमंत्रित की जाती हैं या सिनेमा की हर विधा को आमंत्रित किया जाता है?
प्रतिभा शर्मा- सिनेमा किसी भी तरह का हो, चाहे छोटे लेवल से हो, बड़े लेवल से हो। फ़ीचर फ़िल्म हो चाहे मोबाइल फ़िल्म हो। किसी भी तरह की विधा को हमने वेलकम किया है और राइटिंग के लिए भी हमने वेलकम किया है। म्यूज़िक वीडियो के लिए भी हमने लोगों को आमंत्रित किया है। देखते हैं कि अभी रिस्पॉन्स कैसा आता है अक्टूबर तक।
डॉ तबस्सुम जहां- पिछले दो सालों का कैसा अनुभव रहा?
प्रतिभा शर्मा- पिछले दो सालों का अनुभव अच्छा ही रहा। पहले साल का तो अनुभव अविस्मरणीय रहा है। ओपनिंग में ही हमनें 250 फिल्मों का सादर प्रजेंटेशन किया था। यह फ़िल्म फेस्टिवल अनोखा फ़िल्म फेस्टिवल था बहुत ही सुपर एनर्जी जुड़ी हुई थीं। पहला फ़िल्म फेस्टिवल कमाल का हुआ था। दूसरे साल का भी बहुत अच्छा हुआ था 'नो डाउट अबाउट इट।' पर अभी तीसरे साल का एक नया प्रयोग है। तीसरे साल का भी 'आई होप सो' कि बहुत अच्छा हो। 'आई एम श्योर' कि आप सभी का साथ होगा तो ऑफ्कोर्स यह हम सफ़ल करके ही दिखाएंगे।डॉ तबस्सुम जहां- आने वाले समय में क्या देश से बाहर भी इसे आयोजित किया जाएगा?
प्रतिभा शर्मा- नहीं। आने वाले समय में हमने ऐसा कुछ सोचा नहीं है लेकिन ऑफ्कोर्स जैसे अभी गंगा नगर से ऑफ़र आया तो हमने उसके लिए सोचा है तो हो सकता है कि कहीं बाहर के देशों से ऑफ़र आए तो वहाँ भी आयोजन करने सोचेंगे। ज़रूर, सोचेंगे क्यों नहीं।
डॉ तबस्सुम जहां- फ़िल्म जगत का कैसा सहयोग मिल रहा है?
प्रतिभा शर्मा- फ़िल्म उद्योग ही एक तरह से देखा जाए तो बहुत ही स्लोमोशन में चल रहा है। फ़िल्म उद्योग एक तरह से सुप्तावस्था में जैसे चला गया हो। थोड़ा सा नकारात्मक वातावरण तो है फ़िल्मों को लेकर लोगों का। अब देखते हैं। हमनें तो हमेशा पॉज़िटिविटी क्रियेट करने की कोशिश की है बिफ़्फ़ में। तो अब देखते हैं कि लोग इसको किस तरह से लेते हैं। मैं किसी नकारात्मकता से नहीं डरती हूँ। मैं किसी भी चीज़ को लेकर नेगेटिव नहीं सोचती हूँ। पॉज़िटिव एनर्जी हर नेगेटिव चीज़ को मात देती है तो मुझे ऐसा नहीं लगता कि किसी तरह की बाधा हमें आ सकती है।
डॉ तबस्सुम जहां- आप रचनात्मक स्त्री होने के साथ साथ मां, पत्नी भी है ,समय का प्रबंधन कैसे करती हैं ?
प्रतिभा शर्मा- मेरा समय बहुत ही ऑक्युपाइड रहता है कि इतना बजे उठना है और इतना बजे से अपने ऊपर काम करना है। इस समय बाद यह काम है फ़िर इस समय बाद यह वाला काम है, तो ऐसा पूरा दिन ऑक्युपाइड रहता है। तो इसी तरह ही मैं बिफ़्फ़ का पूरा काम संभालती हूँ। डॉ तबस्सुम जहां- बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसा मंच महिलाओं को कैसे प्रेरित कर सकता है?
प्रतिभा शर्मा- बिफ़्फ़ का मंच महिलाओं को कैसे प्रेरित करता है इस बारे में तो मैंने नहीं सोचा क्योंकि मैक्सिमम हमारे ग्रुप में जो महिलाएं हैं वो पूरा ग्रुप चला रही हैं। मेरे ख़्याल से जिस तरह की ऊर्जाएं जुड़ रही हैं हमारे फेस्टिवल में वो बेहतरीन हैं। बहुत पॉज़िटिव हैं और ऐसे महिला या पुरुष इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए इसको एनर्जी की तरह देखा जाना जाए। मतलब एनर्जी का कोई स्त्रीलिंग या पुल्लिंग नहीं होता। मुझे ऐसा लगता है कि एनर्जी को एनर्जी की तरह देखा जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा। उसको स्त्री पुरुष में न बाँटा जाए।
डॉ तबस्सुम जहां- फिल्म फेस्टिवल के जरिए सामाजिक दायित्वों के निर्वहन को कैसे व्याख्यायित करेंगी आप?
प्रतिभा शर्मा- बिफ़्फ़ अपने सामाजिक दायित्वों को पूरी तरह से निभा रहा है। हम हर हफ़्ते चर्चा रखते हैं लेट्स टॉक में। लेट्स टॉक के मंच पर हम विविध विषयों पर चर्चा करते हैं। सिर्फ़ एक्टिंग ही नहीं या सिर्फ़ निर्देशन ही नहीं या फ़िर संगीत ही नहीं, सिर्फ़ फ़िल्म ही नहीं। तो एक सर्वांगीण चर्चा जो इस मंच पर होती है और मेरे ख़्याल से जिस मंच पर सर्वांगीण चर्चा होती है वो स्वयं अपने आप मे एक सामाजिक दायित्व निभा रहा है वो स्वयं अपने आप मे एक सामाजिक दायित्व निभा रहा है। बिफ़्फ़ अपना सामाजिक दायित्व निभा रहा है या नहीं यह तो दर्शक तय करेंगे और दर्शकों का, लोगों का अभी तक हमें बहुत प्यार मिला है तो मेरे ख़्याल से हम लोग सही जा रहे हैं।
डॉ तबस्सुम जहां- आप नारी सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण हैं, अन्य स्त्रियों के लिए प्रेरणा हैं, सिनेमा के अलावा आपके क्या शौक हैं?
प्रतिभा शर्मा- सिनेमा के अलावा थियेटर तो मेरा पहला प्रेम है। थियेटर में आगे भी करुँगी अगर मुझे थोड़ा सा समय मिल जाए तो। अभी तो थोड़ा लेखन, और फ़िल्म्स बनानी है जो सोची हैं तो वो मेरे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है। क्योंकि मेरी जो फिल्में हैं वो महिलाओं के संबंध में हैं, उनके विषय पर केंद्रित हैं। तो ऑफ्कोर्स उन विषयों पर फिल्में बनानी हैं। इतने साल होने के बावजूद मैंने ऐसे महिला विषयक सब्जेक्ट फिल्मों में देखे नहीं हैं तो वो मेरा पहला दायित्व समझती हूँ। और उसके बाद जो मेरा प्यार है वो म्यूज़िक है और उसको मैं चाहूंगी कि कहीं न कहीं कभी इस तरह से मैं गा पाऊं कि मैं एक मंच पर गाऊं, इस तरह से मैं गाऊं ऐसा मैं सोच रही हूँ और उसको ऐसे देख पा रही हूं तो 'लेट्स-सी' इसको मैं कैसे शेप अप कर सकती हूँ और उसके साथ साथ सामाजिक कार्य तो चलते रहते हैं और लोगों को मदद करना मेरे और मेरे हसबेंड यशपाल शर्मा को तो हमेशा वो दायित्व निभाते ही रहते हैं। तो मुझे नहीं लगता है कि हम उन चीज़ों में कहीं पीछे हैं। आगे और भी बहुत कुछ करना चाहते हैं कलाकारों के लिए। और भी बहुत सारे सपने हैं कलाकारों को लेकर। तो देखते हैं हम लोग कैसे उनको शेप अप करते जाएंगे। काम करते जा रहे हैं शेप अप कैसे होगा यह नहीं पता। यह जो दिखता है कि यह बहुत बड़ा रूप लेने वाला है लेकिन आज ही मैं उसके बारे में नहीं बता सकती।
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