Jaipur राष्ट्र के गौरव में इतिहास की महत्वपूर्ण भूमिका
जयपुर,राजस्थान विश्वविधालय के इतिहास एंव भारतीय संस्कृति विभाग द्वारा डाo जी एस पी मिश्रा स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया।विभागाध्यक्ष प्रो॰ संगीता शर्मा ने विभाग की अकादमिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हूए राष्ट्र के गौरव में इतिहास की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। कुलपति प्रो राजीव जैन ने भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति में बौद्ध धर्म के अहिंसा शील एंवम त्याग के मूल्यों को स्म्माहित बताया। इतिहास विभाग के दिवंगत विद्वान डाo गिरिजा शंकर प्रसाद मिश्र द्वारा लिखित " दि एज आफ विनय" एंवम उनके अकादमिक योगदान पर सह आचार्य डाo नीकी चतुर्वेदी ने प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की प्रसिद्ध पुराविद डाo गरिमा कौशिक ने भिक्षुणि विहारों की पुरातात्विक पहचान पर व्यक्तव्य दिया। उन्होनें बताया कि एतिहासिक साहित्य में और पुरातात्विक अनुशासन में जेंडर एक उपेक्षित विषय रहा है। डाoकौशिक ने भारत एंवम श्रीलंका के अनेक विहारों के विषद अकादमिक विश्लेषण के द्वारा भिक्षुणि विहारों की विशेषतायें बतायीं। उन्होनें गोलाकार सरचनाओं और तिमंजिला विहारों को सामान्यतः विहारों में सुरक्षित स्थान में स्थित होने की सामान्य प्रवृत्ति को भिक्षुणी आवासों के रुप में संभावित बताया।। डाo मिश्र के पूर्व छात्र एंवम इतिहासकार डाo राघवेंद्र मनोहर एंवम शिक्षाविद् राजेश शर्मा ने अपने संस्मरण साझा किए । आयोजन सचिव जिज्ञासा मीणा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।।
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