दीपावली की पूर्व संध्या पर शहीद स्मारक पर जलाया "एक दीया सद्भाव का"

० आशा पटेल ० 
जयपुर।  गवर्नमेंट हाॅस्टल पुलिस कमिश्नर ऑफिस के सामने स्थित शहीद स्मारक पर दीपावली की पूर्व संध्या पर "एक दीया सद्भाव का" जलाया गया। यह कार्यक्रम इकरा पत्रिका के सम्पादक एम फारूक़ ख़ान की पहल पर वर्ष 2019 में शुरू किया गया था। जिसमें गंगा जमुनी तहजीब में विश्वास रखने वाले सभी साथी और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए।  गांधीवादी विचारक सवाई सिंह ने कहा कि दीपावली का त्यौहार अंधेरे से विकास की ओर ले जाने वाला है।  हमारी गंगा जमुनी तहजीब रही है और इसे कोई मिटा भी नहीं सकता। लेकिन पिछले कुछ साल से इसे मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। उन ताकतों को मजबूत नहीं होने देना है। जयपुर का साम्प्रदायिक सौहार्द हमेशा बना रहा है। पिछले कई साल से कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं और माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते आ रहे हैं, हमें शान्ति और भाईचारे का संदेश देकर उनके प्रयास विफल करने है
कार्यक्रम संयोजक इकरा पत्रिका के सम्पादक एम फारूक़ ख़ान ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सय्यद अहमद खान साहब कहा करते थे कि हिंदू और मुस्लिम इस देश की दो आंखे हैं, अगर एक आंख तकलीफ में होती है, तो दूसरी आंख को सुकून नहीं मिल सकता। इसलिए हमें सभी को आपस में मिलजुल कर और एक दूसरे के सुख दुःख में शरीक रहते हुए देश को आगे बढ़ाना है। हमें दीपावली, ईद, क्रिसमस, गुरू नानक जयन्ती जैसे सभी पंथों के त्यौहार मिलजुल कर मनाने चाहिए, ताकि गंगा जमुनी तहजीब मजबूत हो और नफरत फैलाने वालों को यह सन्देश मिले कि उनकी नफरती दुकान इस देश में नहीं चलेगी। उन्होंने इस शहीद स्मारक और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दुरच्या बैटल के बारे में विस्तार से बताते हुए शहीदों को खिराज ए अकीदत पेश की।

राजस्थान नागरिक मंच के महासचिव बसन्त हरियाणा ने कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कहा कि हमने चार वर्ष पहले तय किया था कि हर वर्ष यह प्रोग्राम करना है। इसकी शुरुआत करके जयपुर के लोगों ने साम्प्रदायिक ताकतों को यह साफ सन्देश दिया है कि इस देश में नफरत के पाठ को कोई जगह नहीं है। वयोवृद्ध अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता रामेश्वर सेवार्थी ने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में ऐसे कार्यक्रम देखकर बहुत खुशी होती है। यह गंगा जमुनी तहजीब ही देश की असल ताक़त है, जिसे हर हाल में हमें बचाना है।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए काॅमरेड नरेन्द्र आचार्य ने कहा कि साम्प्रदायिक शक्तियां देश की लोकतांत्रिक व संवैधानिक व्यवस्था के लिए सबसे ज्यादा खतरा हैं, इसलिए हमें ऐसे सद्भाव के कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें कड़ा जवाब देना चाहिए। साथी पवन देव ने बिना किसी भेदभाव के मिलजुल कर रहने और एक दूसरे के पर्व को मनाने की अपील की। काॅमरेड निशा सिद्धु ने साम्प्रदायिक सद्भाव का नारा लगाते हुए कट्टरपंथी ताकतों को कड़ा सन्देश दिया। कार्यक्रम को रामवतार भारद्वाज, धर्मवीर कटेवा, अनिल गोस्वामी, हाजी यासीन खां चायनाण, महताराम काला, खुर्शीद खां रतनगढ़, कारी मोहम्मद इस्हाक़, आफताब ख़ान आदि ने भी सम्बोधित किया।

उपस्थित सभी साथियों ने "एक दीया सद्भाव का" जला कर देश और दुनिया में शान्ति व भाईचारे का सन्देश दिया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कामरेड तारा सिंह सिद्धू, हेमलता कसौटिया, मुराद खां राॅयल, शमीम खां मलवाण, गोपाल शरण, पत्रकार डाॅक्टर इस्माईल, नीरज चौहान, महेन्द्र आनन्द, शाकिर खां भींचरी, एम माहिर ख़ान, अब्दुल हफीज, दीपक गौड़, सरीता पाटिल, पूजा मीणा, शबनम, उमेश शर्मा, उषा पारीक, एम ताहिर खान और अन्य साथीगण शरीक हुए।

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