समाज के सामने ऐसा चरित्र लाना चाहता हूं, जिसे समाज आदर्श माने।
कानपुर। नानाराव पार्क में वाल्मीकि समाज के लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि समाज के सामने ऐसा चरित्र लाना चाहता हूं, जिसे समाज आदर्श माने।अपने संबोधन के दौरान उन्होंने वक्ताओं के अपने बारे में विचार के संबंध में भी कहा किवक्ता कह रहे थे । मैं मिठाई हूं,लेकिन में मिठाई नहीं बताशा बने रहना ही ठीक समझता हूं।
इस दौरान उन्होंने महर्षि वाल्मीकि का भी जिक्र किया और कहा कि रामायण व वाल्मीकि हिन्दू समाज के प्रणेता थे। वह अगर रामायण नहीं लिखते तो हमें कुछ पता ही नहीं होता।बड़ी संख्या में शामिल हुए बाल्मीकि समाज के लोगों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि मैं समाज के सामने ऐसा चरित्र लाना चाहता हूं, जिसे समाज आदर्श माने।उन्होंने भगवान राम की भी चर्चा की और कहा कि वाल्मीकि रामायण की रचना हुई। उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम में श्रीराम सबके आदर्श बने। उनके नाम का जप किया जाता है हर घर प्रतिष्ठित होते हैं, जो वाल्मीकि जी की राम के साथ हनुमान व वाल्मीकि का भी स्मरण किया है।
उन्होंने मनुष्य के गिरते स्तर पर भी चिंता जाहिर की और इसके लिए त्रेता युग की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य का स्तर त्रेता युग मे थोड़ा गिरा था, उसे नियंत्रित करने को राजा चाहिए था, राजा थे राम। यह बताने वाला कोई नहीं था कि हमें क्या करना है, तब रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी।आर एस एस प्रमुख ने कहा कि सिर्फ कर्तव्य से ही सब कुछ नहीं। फाइव स्टार होटल में कितना भी ठंडा हो लेकिन घर के जल की बराबरी नहीं, क्योंकि इसमें रस है।
इस दौरान उन्होंने महर्षि वाल्मीकि का भी जिक्र किया और कहा कि रामायण व वाल्मीकि हिन्दू समाज के प्रणेता थे। वह अगर रामायण नहीं लिखते तो हमें कुछ पता ही नहीं होता।बड़ी संख्या में शामिल हुए बाल्मीकि समाज के लोगों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि मैं समाज के सामने ऐसा चरित्र लाना चाहता हूं, जिसे समाज आदर्श माने।उन्होंने भगवान राम की भी चर्चा की और कहा कि वाल्मीकि रामायण की रचना हुई। उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम में श्रीराम सबके आदर्श बने। उनके नाम का जप किया जाता है हर घर प्रतिष्ठित होते हैं, जो वाल्मीकि जी की राम के साथ हनुमान व वाल्मीकि का भी स्मरण किया है।
उन्होंने मनुष्य के गिरते स्तर पर भी चिंता जाहिर की और इसके लिए त्रेता युग की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य का स्तर त्रेता युग मे थोड़ा गिरा था, उसे नियंत्रित करने को राजा चाहिए था, राजा थे राम। यह बताने वाला कोई नहीं था कि हमें क्या करना है, तब रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी।आर एस एस प्रमुख ने कहा कि सिर्फ कर्तव्य से ही सब कुछ नहीं। फाइव स्टार होटल में कितना भी ठंडा हो लेकिन घर के जल की बराबरी नहीं, क्योंकि इसमें रस है।
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