लोक कला के रंग में रंगा जवाहर कला केंद्र

० कोशा गुरुंग ० 
लोक कला के रंग में रंगा जवाहर कला केंद्र- जेकेके में 25वें लोकरंग का भव्य शुभारंभ- विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति की दिखी झलक- हस्तशिल्प मेले में मनोरंजन के साथ जायके का तड़का
जयपुरः लोकरंग महोत्सव के आगाज के साथ ही जवाहर कला केंद्र 10 अक्टूबर से आगामी 11 दिनों के लिए लोक कला के रंग में रंग गया है।  गायत्री राठौड़, प्रमुख शासन सचिव, कला-संस्कृति विभाग ने दीप प्रज्जवलित कर लोक कला के रजत महोत्सव का उद्घाटन किया। इस दौरान केंद्र की अति. महानिदेशक  अनुराधा गोगिया समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।

शिल्पग्राम राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पुरस्कृत दस्तकारों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प की स्टाॅल्स से सजा है। इस राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में लगी फूड स्टाॅल्स पर लोग विभिन्न प्रदेशों के लजीज व्यंजनों का स्वाद लेते दिखायी दिए। कालबेलिया, राजस्थानी लोक नृत्य व भपंग वादन की मंचीय प्रस्तुति ने लोगों को रोमांचित किया। वहीं शिल्पग्राम में शहनाई-नगाड़ा, कच्छी घोड़ी, बम रसिया, कठपुतली,बहूरूपिया, तीन ढोल की प्रस्तुति ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।

इस मौके पर श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि राजस्थान समेत विभिन्न प्रदेश की लोक कलाओं को मंच प्रदान करने के लिए लोकरंग का आयोजन किया गया है। हस्तशिल्प मेले में दस्तकारों की कला को संजोया गया है। दीपावली से पहले यह राष्ट्रस्तरीय सांस्कृतिक आयोजन है, इसमें भाग लेकर प्रदेशवासी लोक कला से रूबरू हो सकेंगे।

जेकेके का मुक्ताकाशी मंच लोक कलाओं की मनोरम प्रस्तुतियों का गवाह बना। लंगा गायन की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जोधपुर से पहुॅंचे कलाकारों ने ‘आगे-आगे कोतल घुड़लो, लारे बन्नी सा रो रथड़ो’ गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद चरी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। राजस्थानी लोक कलाओं के बाद मध्य प्रदेश का बधाई नृत्य, उत्तर प्रदेश का ढेढिया नृत्य पेश किया गया।

गुजरात से पहुॅंची काॅलेज छात्राओं के ग्रुप ने प्राचीन गरबा पेश किया। गोले में गरबा के जरिए उन्होंने भगवान शिव से जुड़े लोक प्रसंग का वर्णन किया। इसके अलावा तमिलनाडु का ओलियट्टम, असम का बिहू, गुजरात का होली नृत्य व तमिलनाडु का थपट्टम नृत्य पेश किया गया।

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