म्हारो हेलो सुनो जी रामा पीर..गीत पर पारंपरिक नृत्य के साथ करतब देख लोग रोमांचित
० अशोक चातुर्वेदी ०
जवाहर कला केंद्र सजी लोक नृत्यों की महफिल, प्रस्तुतियों ने जीता दर्शकों का दिल- नजर आई विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति की झलक- लोक कलाओं का आनंद ले रहे प्रदेशवासी- हस्तशिल्प मेले में लगातार बढ़ रही आवाजाही
जयपुरः जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित लोकरंग महोत्सव शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में दस्तकारों के हुनर को सराहने के साथ ही आगंतुकों ने विभिन्न लोक कला प्रस्तुतियों का आनंद लिया। इधर, मध्यवर्ती में राजस्थान समेत सात राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता। इस दौरान केंद्र की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधावत समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।दिनभर हस्तशिल्प मेले में आगंतुकों की आवाजाही जारी रही। एक ओर जहां जादूगरी देखकर लोग रोमांचित हुए, वहीं उन्होंने बालम छोटो सो, गरासिया नृत्य, डेरु वादन और चरी नृत्य की प्रस्तुतियों का आनंद लिया। विभिन्न राजस्थानी अंचलों को समाहित करने वाले शिल्पग्राम में थपट्टम की प्रस्तुति के साथ तमिलनाडु की भव्य संस्कृति की झलक दिखाई दी।मध्यवर्ती में प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य के साथ महफिल सजी। म्हारो हेलो सुनो जी रामा पीर.. गीत पर पारंपरिक नृत्य के साथ करतब देख लोग रोमांचित हुए। इसके बाद फागुन महीने में उत्तर प्रदेश में किया जाने वाला झूमर नृत्य पेश किया गया।
गुजराती गीतों की मधुरता, चेहरे पर हर्ष और कोरियोग्राफी में नए प्रयोगों के साथ कच्छी गरबा की प्रस्तुति दी गई। इसमें अतिथि सत्कार का संदेश दिया गया। तमिलनाडु में मांगलिक अवसरों पर होने वाले प्रसिद्ध साटेकुचीअट्टम की प्रस्तुति ने दर्शकों में ऊर्जा का संचार किया। नादस्वरम्, थविल जैसे वाद्य यंत्रों की द्रुत ध्वनि से सामंजस्य बैठाकर आंखों पर पट्टी बांधकर साटे (छड़) के साथ नृत्य किया गया। झुमुर नृत्य की पेशकश के साथ ही असम की टी-ट्राइब्स की संस्कृति को जाहिर किया गया।
जवाहर कला केंद्र सजी लोक नृत्यों की महफिल, प्रस्तुतियों ने जीता दर्शकों का दिल- नजर आई विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति की झलक- लोक कलाओं का आनंद ले रहे प्रदेशवासी- हस्तशिल्प मेले में लगातार बढ़ रही आवाजाही
जयपुरः जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित लोकरंग महोत्सव शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में दस्तकारों के हुनर को सराहने के साथ ही आगंतुकों ने विभिन्न लोक कला प्रस्तुतियों का आनंद लिया। इधर, मध्यवर्ती में राजस्थान समेत सात राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता। इस दौरान केंद्र की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधावत समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।दिनभर हस्तशिल्प मेले में आगंतुकों की आवाजाही जारी रही। एक ओर जहां जादूगरी देखकर लोग रोमांचित हुए, वहीं उन्होंने बालम छोटो सो, गरासिया नृत्य, डेरु वादन और चरी नृत्य की प्रस्तुतियों का आनंद लिया। विभिन्न राजस्थानी अंचलों को समाहित करने वाले शिल्पग्राम में थपट्टम की प्रस्तुति के साथ तमिलनाडु की भव्य संस्कृति की झलक दिखाई दी।मध्यवर्ती में प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य के साथ महफिल सजी। म्हारो हेलो सुनो जी रामा पीर.. गीत पर पारंपरिक नृत्य के साथ करतब देख लोग रोमांचित हुए। इसके बाद फागुन महीने में उत्तर प्रदेश में किया जाने वाला झूमर नृत्य पेश किया गया।
गुजराती गीतों की मधुरता, चेहरे पर हर्ष और कोरियोग्राफी में नए प्रयोगों के साथ कच्छी गरबा की प्रस्तुति दी गई। इसमें अतिथि सत्कार का संदेश दिया गया। तमिलनाडु में मांगलिक अवसरों पर होने वाले प्रसिद्ध साटेकुचीअट्टम की प्रस्तुति ने दर्शकों में ऊर्जा का संचार किया। नादस्वरम्, थविल जैसे वाद्य यंत्रों की द्रुत ध्वनि से सामंजस्य बैठाकर आंखों पर पट्टी बांधकर साटे (छड़) के साथ नृत्य किया गया। झुमुर नृत्य की पेशकश के साथ ही असम की टी-ट्राइब्स की संस्कृति को जाहिर किया गया।
नवरात्र के अवसर पर मध्य प्रदेश में होने वाले नोरता नृत्य में महिषासुर मर्दिनी की झांकी दर्शायी गई। गुजरात के होली आदिवासी नृत्य के दौरान करतबों ने लोगों का ध्यान खींचा। लोक संस्कृति के रंग में रंगी महफिल का समापन कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति के साथ हुआ। प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबो सपेरा की प्रस्तुति ने राजस्थानी लोक नृत्य के वैभव को बखूबी जाहिर किया।
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