प्लास्टइंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित होगी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी "प्लास्टइंडिया 2023"
Ø यह प्रदर्शनी विकासशील देश भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्लास्टिक के लिए पसंदीदा सोर्सिंग हब के रूप में विकसित करने और इसे आगे बढ़ने की दिशा में काम करेगी Ø इस आयोजन में पश्चिम बंगाल में प्लास्टिक उद्योग की क्षमता पर प्रकाश डाला जायेगा, जिसमें 5 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं और इस राज्य में इससे जुड़ी 5000 प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं Ø इस आयोजन में शामिल होने के लिए अपने नाम का पंजीकरण कराने सबसे पहले आने वालों को आकर्षक छूट का लाभ मिलेगाकोलकाता : देशभर में फैले प्लास्टिक से जुड़े सभी शीर्ष प्रमुख संघों, संगठनों और संस्थानों को लेकर बने प्लास्टइंडिया फाउंडेशन की ओर से बुधवार 2 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक प्रदर्शनी और सम्मेलन के 11वें संस्करण "प्लास्टइंडिया 2023" की घोषणा की गई। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में नवनिर्मित 'स्टेट ऑफ द आर्ट इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर' में 1 से 5 फरवरी 2023 को इसका आयोजन किया गया है।
प्लास्टइंडिया 2023 के जरिए हमारा मकसद आधुनिक तकनीकों को सुविधाजनक बनाने और नए तकनीकों के इस्तेमाल पर इसका और ज्यादा ध्यान केंद्रित करना है, जो एक स्वच्छ वातावरण बनाए रखने में मदद करेगा और हमे स्थायी आर्थिक विकास की ओर ले जाएगा।
भारत में प्लास्टिक के उत्पादन और खपत में पिछले तीन दशकों में कई गुना वृद्धि दर्ज हुई है। यहां 1990 में दर्ज 0.9 एमएमटी की तुलना में 2021-22 में प्लास्टिक की खपत लगभग 22 एमएमटी दर्ज की गई। यह उद्योग 4 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान का रहा है और इसमें 50,000 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें से 80% छोटे और मध्यम आकार के उद्यम हैं। इस सेक्टर से होने वाले व्यापार का टर्नओवर 2025 तक 9.1 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इस देश के पूर्वी राज्यों जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में प्लास्टिक उद्योग के विकास को गति देने की भरपूर क्षमता भरी पड़ी है। सिर्फ पश्चिम बंगाल में पॉलिमर और प्लास्टिक से बने उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादों की प्रति वर्ष 5 मिलियन टन की अनुमानित मांग है। इसमें कुल आवश्यकता का 40% पश्चिम बंगाल में उत्पादित होता है और 50% भारत के अन्य राज्यों से खरीदा जाता है, जबकि सिर्फ 10% ही आयात किया जाता है। 2020 - 2021 में इस राज्य ने 0.34 मिलियन टन प्लास्टिक का निर्यात किया है। इस उद्योग से 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है और इसमें 5000 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं। पिछले दशक में सरकार की उत्कृष्ट पहल, उद्योग के अनुकूल नीतियों और निर्बाध बिजली ने इस राज्य में प्लास्टिक उद्योग के विकास की वृद्धि में काफी सहायता की है।
फाउंडेशन की तरफ से हाल ही में इस प्रदर्शनी में शामिल होने वालों के लिए पंजीकरण ऐप भी लॉन्च किया गया है। दुनिया भर के देशों से इसमें शामिल होने वाले इस ऐप का उपयोग करके इस कार्यक्रम में मौजूदगी के लिए अपने नाम का पंजीकरण करा सकते हैं। इस ऐप में लोगों को स्टॉल्स का पंजीकरण कराने पर उन्हें शुरुआती छूट का लाभ भी मिलेगा। इस अवसर पर प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष जिगीश दोशी ने कहा, प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होनेवाली प्लास्टइंडिया प्रदर्शनी की 11वीं श्रृंखला में निवेशकों और उद्योगपतियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के इस प्लेटफार्म के साथ उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए बड़ा अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
प्लास्टइंडिया 2023 के जरिए हमारा मकसद आधुनिक तकनीकों को सुविधाजनक बनाने और नए तकनीकों के इस्तेमाल पर इसका और ज्यादा ध्यान केंद्रित करना है, जो एक स्वच्छ वातावरण बनाए रखने में मदद करेगा और हमे स्थायी आर्थिक विकास की ओर ले जाएगा।
इस मौके पर श्रीमती वंदना यादव (आईएएस, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, डब्लूबीआईडीसी के साथ सचिव - उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), जनाब खालिद ऐज़ाज़ अनवर (आईएएस, वाणिज्यिक कर आयुक्त, वित्त विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार), अशोक गोयल, चेयरमैन, नैब- प्लास्टइंडिया 2023, जिगीश दोशी (अध्यक्ष प्लास्टइंडिया फाउंडेशन), अजय शाह (अध्यक्ष, एनईसी - प्लास्टइंडिया फाउंडेशन, 2023) के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्लास्टइंडिया 2023 के रूप में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी प्रगति मैदान में 4.2 मिलियन वर्ग फुट के क्षेत्र के साथ 150 एकड़ के आकार में फैली होगी। इस आयोजन को लेकर हमे काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। प्रदर्शनी में लगने वाले अधिकतर स्टॉल्स बुक हो चुके हैं। इस प्रदर्शनी में विश्वभर से लगभग 2000 प्रदर्शक शामिल हो रहे हैं, जो इन स्टॉल्स में अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करेंगे। प्रगति मैदान में सभी नए और पुराने हॉल भी प्रदर्शनी के लिए बुक किया गया हैं।
भारत में प्लास्टिक के उत्पादन और खपत में पिछले तीन दशकों में कई गुना वृद्धि दर्ज हुई है। यहां 1990 में दर्ज 0.9 एमएमटी की तुलना में 2021-22 में प्लास्टिक की खपत लगभग 22 एमएमटी दर्ज की गई। यह उद्योग 4 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान का रहा है और इसमें 50,000 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें से 80% छोटे और मध्यम आकार के उद्यम हैं। इस सेक्टर से होने वाले व्यापार का टर्नओवर 2025 तक 9.1 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इस देश के पूर्वी राज्यों जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में प्लास्टिक उद्योग के विकास को गति देने की भरपूर क्षमता भरी पड़ी है। सिर्फ पश्चिम बंगाल में पॉलिमर और प्लास्टिक से बने उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादों की प्रति वर्ष 5 मिलियन टन की अनुमानित मांग है। इसमें कुल आवश्यकता का 40% पश्चिम बंगाल में उत्पादित होता है और 50% भारत के अन्य राज्यों से खरीदा जाता है, जबकि सिर्फ 10% ही आयात किया जाता है। 2020 - 2021 में इस राज्य ने 0.34 मिलियन टन प्लास्टिक का निर्यात किया है। इस उद्योग से 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है और इसमें 5000 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयां शामिल हैं। पिछले दशक में सरकार की उत्कृष्ट पहल, उद्योग के अनुकूल नीतियों और निर्बाध बिजली ने इस राज्य में प्लास्टिक उद्योग के विकास की वृद्धि में काफी सहायता की है।
फाउंडेशन की तरफ से हाल ही में इस प्रदर्शनी में शामिल होने वालों के लिए पंजीकरण ऐप भी लॉन्च किया गया है। दुनिया भर के देशों से इसमें शामिल होने वाले इस ऐप का उपयोग करके इस कार्यक्रम में मौजूदगी के लिए अपने नाम का पंजीकरण करा सकते हैं। इस ऐप में लोगों को स्टॉल्स का पंजीकरण कराने पर उन्हें शुरुआती छूट का लाभ भी मिलेगा। इस अवसर पर प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष जिगीश दोशी ने कहा, प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होनेवाली प्लास्टइंडिया प्रदर्शनी की 11वीं श्रृंखला में निवेशकों और उद्योगपतियों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के इस प्लेटफार्म के साथ उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए बड़ा अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
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