नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज व पार्षद दामोदर द्वारा वार्ड 86 की श्रीजी नगर कॉलोनी को मिले पट्टे

० आशा पटेल ० 
जयपुर। वार्ड 86 की श्रीजी नगर कॉलोनी के 46 भूखंड धारियों को जेडीए का पट्टा मिलने की खुशी शब्दों में जाहिर नहीं की जा सकती है.और वो तकलीफें, अवरोध, मुसीबतें भी जाहिर नहीं की जा सकती, जो इन पट्टों के लिए सहन की गई.एक साल पहले 13 नवंबर 2021 को श्रीजी नगर निवासियों ने जनसेवक पुष्पेन्द्र भारद्वाज को कॉलोनी वासियों ने आमंत्रित करके जेडीए पट्टे दिलवाने के लिए आग्रह किया था.
और आज ठीक एक साल के अंदर -अंदर 50 सालों से वंचित सभी निवासियों को जेडीए का पट्टा मिल भी गया.
साल भर में कितनी चट्टानों को कितनी आपदाओं को कितनी मुसीबतों को कितने अवरोधों कोझेल कर.
जननेता पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने आखिर असंभव कार्य को संभव कर दिखाया. स्थानीय नेताओ ने पुरजोर धनबल, बाहुबल, छलबल से प्रयास किया कि पट्टे ना मिलें. जेडीए की जगजाहिर कार्यशैली ने हर कदम पर फाइलों को अटकाए रखा. तीन - तीन जॉन आयुक्तों के तबादलों के कारण कहानी हर बार नए सिरे से प्रारंभ हुई. कॉलोनी की 10 से 15 फुट की सड़कों के कारण फाइलों को फेंका गया. प्रतिद्वंदियों द्वारा जेडीए कर्मचारियों को काम ना करने के लिए प्रलोभन सहित दबाव दिया गया.

फिर भी वार्ड के हितैषी जनसेवक पुष्पेंद्र  ने कमर कसी हुई थी. वॉर्ड के पार्षद दामोदर मीणा ने बताया कि हम दोनों साल भर में अंदाजन सौ दफा जेडीए गए. जेडीसी से लेकर जॉन कमिश्नर तक सभी पर पट्टे देने के लिए निरंतर दबाव बनाए रखा. कई कई बार तो दिन भर खाली पेट जेडीए में गुजार दिया. कई बार विभिन्न प्रशासन शहरों के संग शिविरों में गुजारिश करके दिन ढला. मीणा ने बताया कि कभी मैंने 100 की स्पीड पर गाड़ी चलाई तो.कभी अधिकारियों की कही बात को जहर का घूंट पी कर सुनी.

कभी घर का जरूरी काम छोड़कर जेडीए में दस्तक दी तो.कभी निराशा के साथ शाम को घर भी लौटा.लेकिन सभी रुकावटों के बावजूद. मीणा ने बताया की सांगानेर के सच्चे खैर ख्वाह पुष्पेन्द्र भारद्वाज जी और कॉलोनी के प्रतिनिधि भाई रामेश्वर जी ने मेरी हौंसला अफजाई करके, मुझे समय - समय पर प्रेरणा देकर मुझे यह सौभाग्य प्रदान किया कि. मेरे कार्यकाल में 50 वर्षों से अटके पट्टे आज वितरित हो रहे हैं.. वॉर्ड पार्षद दामोदर मीणा ने इस बहुप्रतीक्षित कार्य के संपन्न होने पर सभी वार्ड वासियों एवम् कॉलोनी वासियों को हार्दिक बधाई भी दी।

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