भारतीय विरासत की सांस्कृतिक पहचान को पुन: आविष्कृत करने को कटिबद्ध

० योगेश भट्ट ० 
मुम्बई  - 'प्रत्यय' अर्थात समूचे भारत के लिए अटूट आत्मविश्वास के साथ सशक्त राष्ट्र के पुनर्निर्माण का समय अब आ गया है । देश के युवा वर्ग के सपनों का ही प्रतीक के रूप में आज अयोध्या का पुनर्निर्माण तथा उज्जैन कोरीडोर जैसा उपक्रम है । कुलपति प्रोफेसर वरखेडी ने यह भी कहा कि भारतवर्ष आरंभ से ही अनेकता में एकता का देश रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तथा सारस्वत अतिथि के रूप में महाराष्ट्र सरकार में राजयपाल भगत सिंह कोश्यारी तथा अध्यात्मिक गुरु स्वामी अभिषेक ब्रहचारी ने भी अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखें । साथ ही साथ युुवा नेता और समाज सेवी रोहित कुमार सिंह भी अपने विचार रखे ।

संस्कृत विश्वविद्यालय तथा भारती विद्या भवन,मुम्बई के संयुक्त तत्वावधान में ' न्यू प्रोस्पेक्टस ऑफ इंडिक इन्टेलेक्चुअल हेरिटेज ' को लेकर इससे जुड़ी विकास यात्रा। सीएसयू , दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेडी की अध्यक्षता में आरंभ मुम्बई से हुआ । कुलपति प्रोफेसर वरखेडी ने कहा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भारतीय विरासत की इस सांस्कृतिक पहचान को पुन: आविष्कृत करने को कटिबद्ध है ,ताकि भारत के आजादी अमृत महोत्सव के दशक पर एक 'आत्म प्रत्यय ' भारत का निर्माण किया जा सके । दासता की भावना का अब कोई सवाल उठता ही नहीं उठता है । 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

वाणी का डिक्टेटर – कबीर