संस्कृत भाषा के प्रचार,प्रसार तथा प्रोत्साहन हेतु ऑनलाइन आवेदन आरंभ
नयी दिल्ली । संस्कृत भाषा के प्रचार,प्रसार तथा प्रोत्साहन हेतु ऑनलाइन आवेदन भरने की अनेक योजनाओं की शुरुआत करते हुए कहा कि इसके अन्तर्गत संस्कृत की पारंपरिक तथा आधुनिक पढ़ाई तथा इन से जुड़ी गतिविधियां, पुस्तक थोक क्रय और दुर्लभ संस्कृत प्रकाशन , मेधावी छात्रवृति, लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों के लिए शास्त्र चूड़ामणि , संस्कृत के शोधोन्मुखी अष्टादशी परियोजना और पारंपरिक संस्कृत छात्र छात्राओं के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा अभाव ग्रस्त संस्कृत विद्वानों के लिए सम्मान राशि जैसे 08 परियोजनाओं को पूरी तरह से ऑनलाइन भरने की पहली बार इसलिए शुरुआत की गयी है ,
ताकि इसका समुचित लाभ संस्कृत अनुरागियों के अन्त्योदय समाज तक समय पर तथा पूरी पारदर्शिता के साथ शीघ्रता से पहुंच सके ।साथ ही साथ संस्कृत के सबका साथ सबका विकास की भावना को चरितार्थ किया जा सके ।लेकिन प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि सीएसयू जो भारत सरकार के संस्कृत उन्नयन के लिए मात्र नोडल निकाय है जो भारत सरकार के निर्देशन में संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए प्रतिनिधि के रूप में काम करती है । लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि ऐसी योजनाओं का प्रभावी ढंग से तभी लागू किया जा सकता है , जब समाज,संस्था तथा सरकार तीनों मिल कर समन्वित ढंग से कार्य करें ।इसके लिए पी पी मोडल अर्थात पब्लिक -प्राईवेट पार्टीसेपेशन अच्छा पहल हो सकता है । इससे संस्कृत भाषा तथा इसमें निहित ज्ञान परंपरा को लोक आयाम और अधिक मिलेगा । सच में यह काल भारतीय सर्वांगिन विकास का काल है ।
कुलपति प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि भारतीय विद्या का उत्कर्ष संस्कृत के माध्यम से होना अधिक फलदायी हो सकता है। इस विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो रणजित कुमार बर्मन ने इस योजना के कार्यान्वयन में कुलपति प्रो वरखेड़ी के दृढ़ संकल्प शक्ति की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से संस्कृत भाषा का और अधिक प्रचार प्रसार होगा ।कार्यक्रम का संचालन प्रो मुरली, निदेशक, केन्द्रीय योजनाएं ने किया और उन्होंने कहा कि इसकी विस्तृत जानकारी www.sanskrit.nic.in/schemesबेवसाइट से ली जा सकती है।
कुलपति प्रो वरखेड़ी ने यह भी कहा कि भारतीय विद्या का उत्कर्ष संस्कृत के माध्यम से होना अधिक फलदायी हो सकता है। इस विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो रणजित कुमार बर्मन ने इस योजना के कार्यान्वयन में कुलपति प्रो वरखेड़ी के दृढ़ संकल्प शक्ति की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से संस्कृत भाषा का और अधिक प्रचार प्रसार होगा ।कार्यक्रम का संचालन प्रो मुरली, निदेशक, केन्द्रीय योजनाएं ने किया और उन्होंने कहा कि इसकी विस्तृत जानकारी www.sanskrit.nic.in/schemesबेवसाइट से ली जा सकती है।
टिप्पणियाँ