राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 में सीएसटीटी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी - प्रो गिरीश नाथ झा
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली - वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ,शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अध्यक्ष प्रो गिरीश नाथ झा ने प्रशासनिक शब्दावली के 9वीं संस्करण की विशेषज्ञ समिति की एक पांच दिवसीय बैठक में कहा कि यह आयोग भारत सरकार के मार्गदर्शन में भारतीय भाषाओं के संवर्धन तथा उन्नयन के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है । भारतीय शिक्षा नीति -2020 में भारतीय भाषाओं के महत्त्व पर विशेष ध्यान दिया गया है । यह आयोग भारतीय भाषाओं में शिक्षण के लिए संस्कृत को केंद्र में रखकर जिस शब्दावली का निर्माण कर रहा है उससे भारतीय सारी भाषाएं एक दूसरे के करीब आएंगी और उनकी सटीकता भी बनी रहेगी ।
नयी दिल्ली - वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ,शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अध्यक्ष प्रो गिरीश नाथ झा ने प्रशासनिक शब्दावली के 9वीं संस्करण की विशेषज्ञ समिति की एक पांच दिवसीय बैठक में कहा कि यह आयोग भारत सरकार के मार्गदर्शन में भारतीय भाषाओं के संवर्धन तथा उन्नयन के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है । भारतीय शिक्षा नीति -2020 में भारतीय भाषाओं के महत्त्व पर विशेष ध्यान दिया गया है । यह आयोग भारतीय भाषाओं में शिक्षण के लिए संस्कृत को केंद्र में रखकर जिस शब्दावली का निर्माण कर रहा है उससे भारतीय सारी भाषाएं एक दूसरे के करीब आएंगी और उनकी सटीकता भी बनी रहेगी ।
इस प्रशासनिक शब्दावली के पुनर्वीक्षण का एक और यह उद्देश्य है कि भारतीय भाषाओं में जो समय समय पर नये शब्दों का निर्माण हो रहा ,उनको भी आयोग अपने विशेषज्ञों की सलाह पर इस प्रशासनिक शब्दावली में समाविष्ट करे । किसी भाषा में नये शब्दों के सहज ग्रहण से उसकी जीवंतता भी पुष्ट होती है। ऐसे शब्दकोशों के निर्माण से न केवल प्रशासनिक कार्यों में पर्याप्त सहायता मिलती है , बल्कि हिंदी अंग्रेजी़ शब्दों के प्रशासनिक दृष्टि से अनुवाद की भी एकरुपता तथा वैज्ञानिकता बनी रहती है । भारत सरकार के मार्गदर्शन में निर्मित ऐसे शब्दकोशों की कानूनी मान्यता भी प्राप्त है ।
अध्यक्ष प्रो झा ने कहा कि कई अन्य भारतीय भाषाओं जैसे संथाली, डोगरी, मैथिली तथानेपाली आदि में भी कई विषयों में तेजी से शब्दावली निर्माण के लिए विषय विशेषज्ञ, भाषा विज्ञान और संस्कृत विशेषज्ञों से संपर्क किया जा रहा है । मोहिन्दर कुमार भारल, सहायक निदेशक तथा इस विशेषज्ञ समिति के संयोजक ने कहा कि इस बैठक में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी़ तथा अनुवाद तकनीक विशेषज्ञों की सहायता से इस महत्त्वपूर्ण कार्य को किया जा रहा है
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