नाबार्ड द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य के लिए 275000 करोड़ रु के प्राथमिक ऋण सम्भव
जयपुर I राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य के लिए 2,75,000 करोड़ रुपये के प्राथमिक क्षेत्र में ऋण संभावना का अनुमान लगाया है। ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष की तुलना में 9.6 प्रतिशत अधिक है। नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर का विमोचन भी किया गया जो राजस्थान राज्य में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भों में, दोहन योग्य जिलावार यथार्थवादी संभावना का समेकित लेखाजोखा भी है।
राजस्थान सरकार की प्रमुख सचिव (सहकारिता) श्रेया गुहा (आईएएस) और क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय रिजर्व बैंक, रोहित पी दास द्वारा नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर का विमोचन किया गया। इस अवसर पर रोहित गुप्ता (आईएएस), सचिव वित्त (बजट) एवं एसएलबीसी संयोजक कमलेश कुमार चौधरी भी उपस्थित थे। कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में से 1,62,291 करोड़ रुपये (59 प्रतिशत) कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए आंकलित किया गया है, एमएसएमई क्षेत्र के लिए 81,299 करोड़ रुपये (30 प्रतिशत) और अन्य प्राथमिकता वालेक्षेत्रों जैसे कि आवास, शिक्षा आदि के लिए 31410 करोड़ रुपये (11 प्रतिशत) आंकलित किया गया है। एसएफपी में अनुमानित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2023-24 के लिए बैंकों द्वारा वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज़ के रूप में किया जाएगा।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, बी एस कुरुप ने बताया कि सेमीनार में विभिन्न क्षेत्रों में नाबार्ड, वित्तीय संस्थानों, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए नीतिगत सहयोगों और कार्यक्रमों का संज्ञान लेने के अलावा आधार स्तर पर ऋण की मांग पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने आगे कहा कि कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके उत्पादकता बढ़ाने में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, बी एस कुरुप ने बताया कि सेमीनार में विभिन्न क्षेत्रों में नाबार्ड, वित्तीय संस्थानों, राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए नीतिगत सहयोगों और कार्यक्रमों का संज्ञान लेने के अलावा आधार स्तर पर ऋण की मांग पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने आगे कहा कि कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके उत्पादकता बढ़ाने में आने वाली समस्याओं के निराकरण के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने किसानों को बेहतर ऋण प्रवाह आदि के लिए प्राथमिक सहकारी कृषि समितियों के कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संयुक्त प्रयासों के बारे में भी बताया। सेमीनार के दौरान, राज्य में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले किसान उत्पादक संगठनों को भी सम्मानित किया गया ।
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