जिंदगी के रंगों को दिखाती हैं राजीव मिश्रा की पेंटिंग्स : प्रो. द्विवेदी
० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली । प्रख्यात चित्रकार राजीव मिश्रा की समकालीन कलाकृतियों पर आधारित पेंटिंग प्रदर्शनी 'पावर ऑफ सेल्फ रिफ्लेक्शन' का शुभारंभ करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि कलाकार की खासियत होती है कि उसे दर्शकों को पेंटिंग के बारे में कुछ भी बताने की जरुरत नहीं पड़ती। बिना बोले ही दर्शक पेंटिंग को समझ जाते हैं। कलाकार की कल्पना शक्ति समाज की हर बारीकियों को समझती है और उसी कल्पना शक्ति को वह कैनवास पर उतारता है। कलाकार की तारीफ तभी हो जाती है, जब दर्शक बोलें कि हर पेटिंग कुछ कहती है। राजीव मिश्रा की कलाकृतियों की यही खासियत है। अपनी कलाकृतियों के माध्यम से राजीव मिश्रा दर्शकों को जीवन की अनूठी यात्रा पर ले जाते हैं। प्रदर्शनी का आयोजन दिल्ली के रवींद्र भवन में 30 नवंबर से 6 दिसंबर को किया जा रहा है।प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पेंटिंग से कलाकार के व्यक्तित्व का पता चलता है। उसकी सोच, कल्पना शक्ति कैसी है, इस बात की जानकारी होती है। राजीव मिश्रा की पेंटिंग्स में रंगों के साथ संस्कार भी समाहित हैं। उन्होंने कहा कि राजीव मिश्रा की कलाकृतियों को देखने के बाद यह तय करना मुश्किल लगता है कि किसे सर्वश्रेष्ठ कहा जाए, क्योंकि सभी कलाकृतियां असाधारण हैं। आईआईएमसी के महानिदेशक ने राजीव मिश्रा की 'गौशाला' परिकल्पना को असाधारण बताते हुए कहा कि कोई भी घर पेंटिंग के बिना पूरा नहीं हो सकता। जिस घर में पेंटिंग है, वही घर पूर्ण है। खुद का खुद से परिचय कराती ये कलाकृतियां आपको पूर्णता का अनुभव कराती हैं।'पावर ऑफ सेल्फ रिफ्लेक्शन' एक अनोखी प्रदर्शनी है, जिसमें राजीव मिश्रा की 75 कलाकृतियों को प्रस्तुत किया गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से आत्म प्रतिबिंब की शक्ति को राजीव मिश्रा ने अपने कैनवास पर उकेरा है। इस अवसर पर राजीव मिश्रा ने कहा कि वैसे तो सभी पेंटिंग्स उनके दिल के बेहद करीब हैं, लेकिन 'गौशाला' पर बनी पेंटिंग्स कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि लोग इन पेटिंग्स को देखने का नहीं, बल्कि समझने का प्रयास करें।
नई दिल्ली । प्रख्यात चित्रकार राजीव मिश्रा की समकालीन कलाकृतियों पर आधारित पेंटिंग प्रदर्शनी 'पावर ऑफ सेल्फ रिफ्लेक्शन' का शुभारंभ करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि कलाकार की खासियत होती है कि उसे दर्शकों को पेंटिंग के बारे में कुछ भी बताने की जरुरत नहीं पड़ती। बिना बोले ही दर्शक पेंटिंग को समझ जाते हैं। कलाकार की कल्पना शक्ति समाज की हर बारीकियों को समझती है और उसी कल्पना शक्ति को वह कैनवास पर उतारता है। कलाकार की तारीफ तभी हो जाती है, जब दर्शक बोलें कि हर पेटिंग कुछ कहती है। राजीव मिश्रा की कलाकृतियों की यही खासियत है। अपनी कलाकृतियों के माध्यम से राजीव मिश्रा दर्शकों को जीवन की अनूठी यात्रा पर ले जाते हैं। प्रदर्शनी का आयोजन दिल्ली के रवींद्र भवन में 30 नवंबर से 6 दिसंबर को किया जा रहा है।प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पेंटिंग से कलाकार के व्यक्तित्व का पता चलता है। उसकी सोच, कल्पना शक्ति कैसी है, इस बात की जानकारी होती है। राजीव मिश्रा की पेंटिंग्स में रंगों के साथ संस्कार भी समाहित हैं। उन्होंने कहा कि राजीव मिश्रा की कलाकृतियों को देखने के बाद यह तय करना मुश्किल लगता है कि किसे सर्वश्रेष्ठ कहा जाए, क्योंकि सभी कलाकृतियां असाधारण हैं। आईआईएमसी के महानिदेशक ने राजीव मिश्रा की 'गौशाला' परिकल्पना को असाधारण बताते हुए कहा कि कोई भी घर पेंटिंग के बिना पूरा नहीं हो सकता। जिस घर में पेंटिंग है, वही घर पूर्ण है। खुद का खुद से परिचय कराती ये कलाकृतियां आपको पूर्णता का अनुभव कराती हैं।'पावर ऑफ सेल्फ रिफ्लेक्शन' एक अनोखी प्रदर्शनी है, जिसमें राजीव मिश्रा की 75 कलाकृतियों को प्रस्तुत किया गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से आत्म प्रतिबिंब की शक्ति को राजीव मिश्रा ने अपने कैनवास पर उकेरा है। इस अवसर पर राजीव मिश्रा ने कहा कि वैसे तो सभी पेंटिंग्स उनके दिल के बेहद करीब हैं, लेकिन 'गौशाला' पर बनी पेंटिंग्स कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि लोग इन पेटिंग्स को देखने का नहीं, बल्कि समझने का प्रयास करें।
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