जयरंगम में होगा रंग संवाद - एक मंच पर होंगी देशभर की हस्तियां
० अशोक चतुर्वेदी ०
जयपुरः 11वें जयरंगम जयपुर थिएटर फेस्टिवल में थिएटर के हर आयाम को छुने का प्रयास होगा। 18 से 24 दिसंबर तक जवाहर कला केंद्र में होने वाले महोत्सव में ‘रंग संवाद’ नामक सेशन होगा। इसमें देशभर के विशेषज्ञ मंच साझा करेंगे। प्रतिदिन कृष्णायन सभागार में अलग-अलग थीम के अनुसार थिएटर पर चर्चा होगी। 18 दिसंबर को ‘सितारों से आगे जहाॅं और भी है’ में पबित्र राभा, हेमंत आचार्य के साथ ‘रंगमंच और चुनौतियों’ पर विचार करेंगे। 19 दिसंबर को ‘और भी गम है जमाने में मोहब्बत के सिवा’ में विकास बहरी, जतिन सरना, अजीत राय के साथ ‘रंगमंच और जीने की राह’ पर चर्चा करेंगे। 20 दिसंबर को ‘अफसाना लिख रही हूं’ के तहत वसुधा सहत्रबुद्धे, उमा झुनझुनवाला, स्वाति व्यास, मुदिता चैधरी के साथ महिला होने की चुनौतियों पर बात करेंगी।‘जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै’ में 21 दिसंबर को मिर्जापुर में बिलाल का किरदार निभाने वाले आसिफ खान, साबिर खान, आयुषी दीक्षित के साथ ‘गुरु और शिष्य’ विषय पर प्रकाश डालेंगे। 22 दिसंबर को ‘कठिन है डगर पनघट की’ में राघवेंद्र रावत, गिरिजा शंकर, अशोक राही, विशाल भट्ट के साथ आलोचना के मायने समझाएंगे। ‘वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह आ ही गयी’ में भविष्य के रंगमंच पर मनीश जोशी, गोपाल शर्मा, सौरभ अनंत, सिकंदर खान, गिरजा शंकर, ईश्वर दत्त माथुर के साथ चर्चा करेंगे। 24 दिसंबर को ‘अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा’ में स्वाति दुबे, आशीष पाठक, मकरंद देशपांडे, मनीष जोशी के साथ रंगयात्रा और प्रलेखन के पहलु बताएंगे।
जयपुरः 11वें जयरंगम जयपुर थिएटर फेस्टिवल में थिएटर के हर आयाम को छुने का प्रयास होगा। 18 से 24 दिसंबर तक जवाहर कला केंद्र में होने वाले महोत्सव में ‘रंग संवाद’ नामक सेशन होगा। इसमें देशभर के विशेषज्ञ मंच साझा करेंगे। प्रतिदिन कृष्णायन सभागार में अलग-अलग थीम के अनुसार थिएटर पर चर्चा होगी। 18 दिसंबर को ‘सितारों से आगे जहाॅं और भी है’ में पबित्र राभा, हेमंत आचार्य के साथ ‘रंगमंच और चुनौतियों’ पर विचार करेंगे। 19 दिसंबर को ‘और भी गम है जमाने में मोहब्बत के सिवा’ में विकास बहरी, जतिन सरना, अजीत राय के साथ ‘रंगमंच और जीने की राह’ पर चर्चा करेंगे। 20 दिसंबर को ‘अफसाना लिख रही हूं’ के तहत वसुधा सहत्रबुद्धे, उमा झुनझुनवाला, स्वाति व्यास, मुदिता चैधरी के साथ महिला होने की चुनौतियों पर बात करेंगी।‘जैसे उड़ि जहाज की पंछी, फिरि जहाज पै आवै’ में 21 दिसंबर को मिर्जापुर में बिलाल का किरदार निभाने वाले आसिफ खान, साबिर खान, आयुषी दीक्षित के साथ ‘गुरु और शिष्य’ विषय पर प्रकाश डालेंगे। 22 दिसंबर को ‘कठिन है डगर पनघट की’ में राघवेंद्र रावत, गिरिजा शंकर, अशोक राही, विशाल भट्ट के साथ आलोचना के मायने समझाएंगे। ‘वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह आ ही गयी’ में भविष्य के रंगमंच पर मनीश जोशी, गोपाल शर्मा, सौरभ अनंत, सिकंदर खान, गिरजा शंकर, ईश्वर दत्त माथुर के साथ चर्चा करेंगे। 24 दिसंबर को ‘अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा’ में स्वाति दुबे, आशीष पाठक, मकरंद देशपांडे, मनीष जोशी के साथ रंगयात्रा और प्रलेखन के पहलु बताएंगे।
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