एडवोकेट असलम अहमद व अन्य की जनहित याचिका पर इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले से लाखो लोगों को राहत
० संवाददाता द्वारा ०
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट असलम अहमद, यश टन्डन व अन्य की जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। ग़ौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना के समय ली गई फीस को अधिक माना है और स्कूलों को आदेश दिया है कि वो फीस का 15 प्रतिशत हिस्सा छात्रों को वापस करें या फिर उसे वर्तमान फीस में एडजस्ट करें। कोविड महामारी के दौरान स्कूलों द्वारा ली गयी 15% अधिक फीस वापसी के आदेश पर एड़वोकेट रईस अहमद ने दी बधाई
इस जीत पर बात करते हुए ऐडवोकेट असलम ने ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहा कि इलाहबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से उन लाखों अभिभावकों को राहत मिली है जिन अभिभावकों को कोरोना काल में स्कूल की फीस भरनी पड़ रही थी, उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस की 15 फीसदी राशि माफ करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस माफ की जाएगी।
यह क़ाबिले तारीफ फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया है। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में स्कूलों में जमा फीस माफ करने की मांग की गयी थी। इन सभी याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई हुई थी और फैसला सोमवार को आया है। दरअसल, 2020-21 में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान सभी स्कूल बंद थे और सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी, इसके बावजूद स्कूल पूरी फीस वसूल रहे थे। इसके खिलाफ अभिभावकों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका दायर कर मांग की थी कि कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई है, इसलिए उन्हें स्कूलों में उपलब्ध सुविधाएं नहीं मिली हैं, इसलिए वे अपनी फीस देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
एडवोकेट असलम ने बताया कि याचिकाकर्ता आमिर जावेद और मोहम्मद अशाब की और से बहस करते हुए उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि 2020-21 में निजी स्कूलों ने ट्यूशन के अलावा कोई सेवा नहीं दी, ऐसे में ट्यूशन फीस से एक रुपया भी अधिक लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायीकरण के अलावा और कुछ नहीं होगा।हाईकोर्ट ने साफ किया कि जब 2020-21 में सुविधाएं नहीं दी गईं तो 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकेगी। हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस का 15 फीसदी माफ करने का आदेश दिया है। यह आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा।
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट असलम अहमद, यश टन्डन व अन्य की जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। ग़ौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना के समय ली गई फीस को अधिक माना है और स्कूलों को आदेश दिया है कि वो फीस का 15 प्रतिशत हिस्सा छात्रों को वापस करें या फिर उसे वर्तमान फीस में एडजस्ट करें। कोविड महामारी के दौरान स्कूलों द्वारा ली गयी 15% अधिक फीस वापसी के आदेश पर एड़वोकेट रईस अहमद ने दी बधाई
इस जीत पर बात करते हुए ऐडवोकेट असलम ने ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहा कि इलाहबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से उन लाखों अभिभावकों को राहत मिली है जिन अभिभावकों को कोरोना काल में स्कूल की फीस भरनी पड़ रही थी, उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस की 15 फीसदी राशि माफ करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस माफ की जाएगी।
यह क़ाबिले तारीफ फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया है। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में स्कूलों में जमा फीस माफ करने की मांग की गयी थी। इन सभी याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई हुई थी और फैसला सोमवार को आया है। दरअसल, 2020-21 में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान सभी स्कूल बंद थे और सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी, इसके बावजूद स्कूल पूरी फीस वसूल रहे थे। इसके खिलाफ अभिभावकों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका दायर कर मांग की थी कि कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई है, इसलिए उन्हें स्कूलों में उपलब्ध सुविधाएं नहीं मिली हैं, इसलिए वे अपनी फीस देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
एडवोकेट असलम ने बताया कि याचिकाकर्ता आमिर जावेद और मोहम्मद अशाब की और से बहस करते हुए उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि 2020-21 में निजी स्कूलों ने ट्यूशन के अलावा कोई सेवा नहीं दी, ऐसे में ट्यूशन फीस से एक रुपया भी अधिक लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायीकरण के अलावा और कुछ नहीं होगा।हाईकोर्ट ने साफ किया कि जब 2020-21 में सुविधाएं नहीं दी गईं तो 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकेगी। हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस का 15 फीसदी माफ करने का आदेश दिया है। यह आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा।
2020-21 में लगने वाली फीस का 15 प्रतिशत माफ किया जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट में मिली इस जीत पर दिल्ली हाई कोर्ट के एडवोकेट रईस अहमद ने एडवोकेट असलम व उन सभी एडवोकेट्स को बधाई दी और इसी तरह अवाम को इंसाफ दिलाते रहने के लिए शुभकामनाएँ भी दीं.
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