जेकेके में बही संतों के भावों की अमृत सलिला

० अशोक चतुर्वेदी ० 
जयपुरः जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित ‘भाव सलिला’ महोत्सव संत कबीर के मधुर भजनों की प्रस्तुति के साथ दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन हुआ। सुर संगम संस्थान के क्यूरेशन में हुए आयोजन में बनारस घराने की गायिका पूजा राय और गायक व संगीतकार सतीश देहरा ने सुरीली आवाज के जरिए संतों की सीख को जन-जन तक पहुंचाया। संतन जात न पूछो... सुरों का साथ लेकर पूजा राय ने ‘मोको कहां ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में’ भजन से प्रस्तुति शुरु की। ‘मानत नहीं मन मेरा साधो’, ‘संतन जात न पूछो निर्गुनियां’ सरीखे भजनों से उन्होंने संत कबीर के भावों को श्रोताओं के समक्ष रखा। रंगायन में मौजूद सभी मधुर गीतों में मग्न दिखाई दिए
इसके बाद पूजा ने अपनी गुरु मां पद्म विभूषण गिरिजा देवी द्वारा बनारस की लोक भाषा में तैयार भजन ‘कौन ठगवा नगरियां लूटल हो’ गाकर अपने गुरु श्री राहुल रोहित मिश्रा के सबक को साकर किया। यमराज की महिमा का बखान करने वाले भजन ने बनारस की मिठास भी कानों में घोली। ‘हिना’, ‘एक विवाह ऐसा भी’ जैसी फिल्मों और रामानंद सागर कृत टीवी सीरियल ‘रामायण’ के गीतों में अपनी आवाज देने वाले गायक सतीश देहरा के माइक संभालते ही श्रोताओं ने दिल थाम लिए। संत कबीर के भजन सुनाकर उन्होंने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

देहरा ने ‘निर्धन के धन राम’, ‘बोल सुआ राम-राम’, ‘मैं तो रमता जोगी राम’ आदि भजनों में राम नाम की महत्ता को बताया। अध्यात्म भाव से सराबोर श्रोता देहरा की मधुर वाणी में ‘कबीरा बिगड़ गयो राम’, ‘प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी’ भजन सुनकर गदगद हो उठे। दोनों प्रस्तुतियों में पवन कुमार डांगी ने ढोलक, सावन कुमार डंगी ने तबला तो हबीब खान ने की बोर्ड पर संगत की।

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