ईपीसीएच ने वित्त मंत्री से उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना में हस्तशिल्प को शामिल करने की मांग की

० आशा पटेल ० 
नई दिल्ली। जयपुर में आयोजित पोस्ट बजट इंटरेक्शन के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जयपुर में प्रमुख निर्यातकों के साथ बातचीत की। दिलीप बैद, उपाध्यक्ष-ईपीसीएच ने बातचीत में भाग लेते हुए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना में फर्नीचर क्षेत्र को शामिल करने से संबंधित मामले को मजबूती से उठाया। उन्होंने कहा कि भारत में फर्नीचर उद्योग में सूक्ष्म और लघु इकाइयों का वर्चस्व है और उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिए, जैसे की भारत सरकार नियमित रूप से पीएलआई योजना में नए संभावित क्षेत्रों को जोड़ रही है, जैसे की लकड़ी के दस्तकारी वाले फर्नीचर की भारत और विदेशी बाजार दोनों में क्षमता है, और इस विषय को ध्यान में रखते हुए कृपया इस सेगमेंट पर भी पीएलआई योजना के तहत विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, हस्तशिल्प क्षेत्र जो भारतीय अर्थव्यवस्था का एक श्रम प्रधान क्षेत्र है और इसमें धातु के सामान, कांच के बने पदार्थ, लकड़ी के सामान, पत्थर के पात्र, हाथ से बने वस्त्र, फैशन आभूषण और सहायक उपकरण और अन्य प्राकृतिक फाइबर उत्पाद शामिल हैं, मेरा निवेदन है की हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए 10.00 करोड़ रुपये और उससे अधिक के टर्नओवर वाले निर्यातकों के लिए भी एक इसी तरह की स्कीम का प्रवधान किया जाये ।मंत्री ने बोलते हुए बताया की बजट घोषणा में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत हाथ से बने उत्पादों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है। दिलीप बैद ने कहा कि मंत्री ने उठाए गए मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुना और आशा व्यक्त की कि इस क्षेत्र को समाधान प्रदान किया जाएगा।

इस अवसर पर ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने सूचित किया कि ईपीसीएच दुनिया भर के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ावा देने और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प उत्पादों और सेवाओं के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विदेशों में भारत की छवि बनाने के लिए जिम्मेदार एक नोडल संस्थान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 33253.00 करोड़ ( 4459.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा, जिसमें बीते वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 29.49% और डॉलर के संदर्भ में 28.90% की वृद्धि दर्ज हुई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राजस्थान से हस्तशिल्प निर्यात रु10,100 करोड़ रहा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथी व योगा कॉलेजों के दीक्षांत में मिली डिग्रियां

वाणी का डिक्टेटर – कबीर