रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन के पहले काव्य संग्रह ब्रिटल का विमोचन
नई दिल्ली : रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन की पहले कविता संग्रह ब्रिटल को नई दिल्ली के मेघालयन ऐज- द स्टोर में परफॉर्मिंग आर्टिस्ट बाह लू माजाओं ने लॉन्च किय़ा। लू माजाओं ने ब्रिटल की कुछ कविताओं का पाठ किया। वहां एकत्र हुए संगीत के दीवानों की भीड़ के लिए कुछ गीतों की परफॉर्मेंस दी बाह लू माजाओं ने काव्य संग्रह “ब्रिटल” के विमोचन पर कहा, “मैं इसे रिनिकी की दर्द में डूबी कविताओं की रंगीन कशिश और पिछली सर्दियों के जख्मों में डूबे शब्दों का एक खास शाम कहूंगा।”
रिनिकी ने कहा, “लॉकडाउन में मेरे दिलो-दिमाग पर पुरानी यादें छाई रहती है। भारत में बिताया गया बचपन का समय और अपने देश की पुरानी यादें रह-रह कर मेरे दिल और दिमाग को झिंझोड़ती रहती थी और मैं अक्सर अपनी पुरानी जिंदगी में खो जाती थी। मुझे किसी भी दूसरे व्यक्ति की तरह अपने घर की यादें रह-रहकर सताती थीं और मैं अपने प्रियजनों केलिए चिंतित थी। यह काफी भयानक था इसलिए मैंने अपनी बेचैनी को बाहर निकालने के लिए रास्ता तलाशा। इसी के बाद से मैंने यह किताब लिखना शुरू किया। अब मैं यह विश्वास नहीं कर पा रही हूं कि यह किताब प्रकाशित भी हो चुकी है।“
ब्रिटल रिनिकी का पहला काव्य संग्रह है। इसमें परिवार और बचपन की यादें, प्यार, अपने प्रियजनों को खोने का दर्द और यादों का बेमिसाल खजाना है। ब्रिटल नाम के काव्य संग्रह में कोरोना काल में व्यक्तियों के मन में उपजी भावनाओं की झलक है, जिसमें उस समय की अलग-अलग मानसिक भावनाओं को एक थीम के रूप में पिरोय़ा गया है। यह कविताएं सीधी-सादी और हर व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा और शैली में लिखी गई हैं। इसमें उस समय के असंतोष की झलक भी मिलती है, जिसमें कवि ने अपनी शख्यिसत की खोज की और कविता की राह से अपनी अभिव्यक्ति को दुनिया तक पहुंचाय़ा।
रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन का जन्म शिलांग में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई वहीं पूरी की। 2008 में सिंगापुर जाने से पहले उन्होंने मुंबई में पीआर इंडस्ट्री में अपने कैरियर का काफी समय बिताया। उन्होंने मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री हासिल की है। रिनिकी महामारी के समय से ही गंभीरता से कविताएं लिख रही हैं। इस साल उन्होंने इन्ही कविताओं को एक काव्य संग्रह के रूप में पिरोया है। इस काव्यसंग्रह में अपने दिल की भावनाओं को उभारने के लिए उन्होंने काफी साहस, बुद्धिमानी और तर्कशीलता का परिचय दिया है।
मेघालयन ऐज द स्टोर के एक प्रवक्ता ने बताया, “हमने मेघालय की महिलाओं को समर्पित “हर आर्ट सीरीज” लॉन्च की है। हर आर्ट सीरीज में इन महिलाओं के अलग-अलग विविध क्षेत्रों, जैसे कला, शिल्प, साहित्य, परफॉर्मेंस और उद्यमिता के योगदान को अभिव्यक्त किया गया है। हमें रिनिकी के साथ उनकी कविताओं की मस्ती में डूबी शाम और अपने स्टोर की लॉन्चिंग की पहली सालगिरह मनाने के लिए लू माजाओं को अपने आयोजन का हिस्सा बनाकर बेहद खुशी हो रही है।“ब्रिटल नाम के इस काव्य संग्रह में बैचेनी और उन भावनाओं, अनिश्चय और जीवन के प्रति आशंका की झलक दिखाई दिखाई देती है, जो लॉकडाउन में चारों ओर फैली है। कोरोना के बाद फैली महामारी को कंट्रोल करने के लिए यात्रा पर लगाई पाबंदी से उभरी दर्द और पीड़ा की भावनाएं भी इसमें दिखाई देती है। यह काव्य संग्रह उस समय से प्रेरित होकर लिखा गया, जब मानसिक उलभनों में जकड़े लोग से लोग किसी भी तरह अपने प्रियजनों को देखना चाहते थे या भारत में अपने घरों को लौटना चाहते थे। उन्हें कोरोना के समय में लग रहा था, जैसे यह उनका आखिरी समय है। ब्रिटल में कोरोना काल में लोगों की भावनाओं गहराई से उभारा गया है। इसमें व्यक्तिगत इतिहास को खंड-खंड रूपों में पेश किया है, जिसमें कुछ हसीन यादों के साथ डराने और भयभीत करने के क्षण भी देखने को मिलते है।
रिनिकी ने कहा, “लॉकडाउन में मेरे दिलो-दिमाग पर पुरानी यादें छाई रहती है। भारत में बिताया गया बचपन का समय और अपने देश की पुरानी यादें रह-रह कर मेरे दिल और दिमाग को झिंझोड़ती रहती थी और मैं अक्सर अपनी पुरानी जिंदगी में खो जाती थी। मुझे किसी भी दूसरे व्यक्ति की तरह अपने घर की यादें रह-रहकर सताती थीं और मैं अपने प्रियजनों केलिए चिंतित थी। यह काफी भयानक था इसलिए मैंने अपनी बेचैनी को बाहर निकालने के लिए रास्ता तलाशा। इसी के बाद से मैंने यह किताब लिखना शुरू किया। अब मैं यह विश्वास नहीं कर पा रही हूं कि यह किताब प्रकाशित भी हो चुकी है।“
ब्रिटल रिनिकी का पहला काव्य संग्रह है। इसमें परिवार और बचपन की यादें, प्यार, अपने प्रियजनों को खोने का दर्द और यादों का बेमिसाल खजाना है। ब्रिटल नाम के काव्य संग्रह में कोरोना काल में व्यक्तियों के मन में उपजी भावनाओं की झलक है, जिसमें उस समय की अलग-अलग मानसिक भावनाओं को एक थीम के रूप में पिरोय़ा गया है। यह कविताएं सीधी-सादी और हर व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा और शैली में लिखी गई हैं। इसमें उस समय के असंतोष की झलक भी मिलती है, जिसमें कवि ने अपनी शख्यिसत की खोज की और कविता की राह से अपनी अभिव्यक्ति को दुनिया तक पहुंचाय़ा।
रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन का जन्म शिलांग में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई वहीं पूरी की। 2008 में सिंगापुर जाने से पहले उन्होंने मुंबई में पीआर इंडस्ट्री में अपने कैरियर का काफी समय बिताया। उन्होंने मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री हासिल की है। रिनिकी महामारी के समय से ही गंभीरता से कविताएं लिख रही हैं। इस साल उन्होंने इन्ही कविताओं को एक काव्य संग्रह के रूप में पिरोया है। इस काव्यसंग्रह में अपने दिल की भावनाओं को उभारने के लिए उन्होंने काफी साहस, बुद्धिमानी और तर्कशीलता का परिचय दिया है।
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