जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह को जाट महासभा से निकालने की मांग
० योगेश भट्ट ०
जयपुर। सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बयान जारी कर कहा है कि जाट महाकुंभ के मंच से भगवान राम, मंदिर, मूर्ति व पंडितो का नाम लेकर जमकर मखौल उड़ाया गया। साथ ही ब्राह्मणों के विरुद्ध अनर्गल अपमानजनक टिप्पणी करने वाले जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ जाट महासभा से कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।
दिनेश शर्मा ने बताया कि कोई समाज अपना सम्मेलन करें, आपत्ति नहीं है, पर दूसरे समाज की बुराई का हक किसने दिया। जाट और ब्राह्मणों में कोई मतभेद नहीं है फिर भी जाट महासभा के नेता द्वारा खुले मंच पर कहा कि मंदिर जाना, मूर्ति पूजा करना, जल चढ़ाना, राम की पूजा करना सब ढोंग-पाखंड है। मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठा दिए की अगर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हो सकता है तो ऐसा करने वाले पंडित अपने मरे हुए मां-बाप में प्राण क्यों नहीं डाले सहित भगवान राम, मंदिर, मूर्ति व पंडितो को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है। इसके अलावा ब्राह्मण समाज पर अशोभनीय व अपमानजनक कटाक्ष किये गये है इससे मेरी निजी धार्मिक व सामाजिक भावना आहत हुई है।
जाट समाज सदैव से ही देवी-देवता व ब्राह्मणों का सम्मान करता है। साथ ही शेखावाटी में सारे बडे धार्मिक आयोजन बिना जाट समाज के संभव नहीं है। गांवों में जाट व ब्राह्मण की जोडी मानी जाती है। ऐसे में एक व्यक्ति जो की जाट महासभा का महासचिव है, उसके द्वारा ऐसी भाषा का उपयोग करना सरासर गलत है। सर्व ब्राह्मण महासभा, जाट महासभा से मांग करती है की इस व्यक्ति को जाट महासभा से बर्खास्त किया जाये और जाट व ब्राह्मणों के बीच सौहार्द बिगाड़ने वाले व्यक्ति को समाज से बहिष्कृत किया जाये।
जयपुर। सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बयान जारी कर कहा है कि जाट महाकुंभ के मंच से भगवान राम, मंदिर, मूर्ति व पंडितो का नाम लेकर जमकर मखौल उड़ाया गया। साथ ही ब्राह्मणों के विरुद्ध अनर्गल अपमानजनक टिप्पणी करने वाले जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ जाट महासभा से कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।
दिनेश शर्मा ने बताया कि कोई समाज अपना सम्मेलन करें, आपत्ति नहीं है, पर दूसरे समाज की बुराई का हक किसने दिया। जाट और ब्राह्मणों में कोई मतभेद नहीं है फिर भी जाट महासभा के नेता द्वारा खुले मंच पर कहा कि मंदिर जाना, मूर्ति पूजा करना, जल चढ़ाना, राम की पूजा करना सब ढोंग-पाखंड है। मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठा दिए की अगर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा हो सकता है तो ऐसा करने वाले पंडित अपने मरे हुए मां-बाप में प्राण क्यों नहीं डाले सहित भगवान राम, मंदिर, मूर्ति व पंडितो को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है। इसके अलावा ब्राह्मण समाज पर अशोभनीय व अपमानजनक कटाक्ष किये गये है इससे मेरी निजी धार्मिक व सामाजिक भावना आहत हुई है।
जाट समाज सदैव से ही देवी-देवता व ब्राह्मणों का सम्मान करता है। साथ ही शेखावाटी में सारे बडे धार्मिक आयोजन बिना जाट समाज के संभव नहीं है। गांवों में जाट व ब्राह्मण की जोडी मानी जाती है। ऐसे में एक व्यक्ति जो की जाट महासभा का महासचिव है, उसके द्वारा ऐसी भाषा का उपयोग करना सरासर गलत है। सर्व ब्राह्मण महासभा, जाट महासभा से मांग करती है की इस व्यक्ति को जाट महासभा से बर्खास्त किया जाये और जाट व ब्राह्मणों के बीच सौहार्द बिगाड़ने वाले व्यक्ति को समाज से बहिष्कृत किया जाये।
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