डॉ बबिता ' किरण ' की पुस्तक "क्या लिखूँ " का लोकार्पण
० संवाददाता द्वारा ०
नयी दिल्ली - विश्व में व्याप्त अनेक दृश्य और अदृश्य समस्याओं कठिनाइयों को उजागर कर दिया है नारी की व्यथा हो ग़रीब का दर्द हो गाँव शहर का माहौल हो राजनीति का प्रपंच हो स्वार्थ लोलुपता हो रिश्तों का प्रहार हो लगभग हर विषय पर बबिता ने अपनी कलम चलायी है डॉ बबिता गर्ग एक सजग कवयित्री हैं । कुछ इस प्रकार के विचार व्यक्त किए गए डॉ बबिता किरण की पुस्तक के लिए ।वर्ल्ड बुक फेयर,प्रभात प्रकाशन द्वारा डॉ बबिता ' किरण ' की पुस्तक "क्या लिखूँ " का लोकार्पण किया गया । पुस्तक का लोकार्पण ओम सपरा, डॉ सविता चड्ढा,प्रेम बिहारी मिश्र ,राजपाल यादव द्वारा किया गया।
लेखिका की पुस्तक पर मंचासीन लेखकों द्वारा संग्रह की भरपूर सराहना की । समीक्षक हास्य व्यंग्य के हस्ताक्षर महेश गर्ग बेधडक, वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ सविता चडढा, वीणा अग्रवाल , राजपाल यादव , कविता मंडल के अध्यक्ष प्रेम बिहारी मिश्र , शकुन मित्तल , शारदा मित्तल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए ।
डॉक्टर सविता चड्डा ने इस संग्रह पर बोलते हुए कहा कि इस काव्य संग्रह में समुद्र की लहरों को बांधने, रोकने की पर्याप्त क्षमता है ।डॉक्टर बबीता की कलम ने अपनी इस लंबी कविता में न केवल भारत, बल्कि विश्व में व्याप्त अनेक दृश्य और अदृश्य समस्याओं कठिनाइयों को उजागर कर दिया है । प्रभात प्रकाशन के संस्थापक पीयूष अग्रवाल जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पुस्तक के शीर्षक "क्या लिखूँ " पर अपने विचार रखे।
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