राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता रद्द होने से राजनीतिक मंथन व मुल्याकंन तेज

० विनोद तकियावाला ० 
नयी दिल्ली - वैश्विक राजनीति के झितिज पर इन दिनों भारतीय राजनीति की चर्चा व चिन्तन चहुँ दिशाओं में हो रही है।राष्ट्रीय वअर्न्तराष्ट्रीय राजनीति के चिन्तकों की चिन्ता की लकीरें स्पष्ट रूप से दिखाई पड रही है।उनका मानना है विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र भारत में नित्य प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं से खासकर केन्द्र में सतारूढ़ पार्टी की नियत व निति ठीक नही है।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण लोकतंत्र के मन्दिर(संसद) में बजट सत्र के द्वितीय सत्र दौरान सता पक्ष - विपक्ष के तीखी नोंक-झोंक व सता पक्ष का राहुल गाँधी माफी माँगने की जिद्द पर अढ़े रहना है।वही दुसरी ओर विपक्ष द्वारा हिडन वर्ग के र्रिपोट पर जे पी सी गठन की माँग करना है। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नही है।
हमारे संविधान के र्निमाताओ ने सपने में कभी नही सोचा होगा कि भारतीय मतदाताओ ने जिस दल को सता के सिंधासन पर प्रचण्ड बहुमत से एक बार नही बल्कि दुसरे बार भी दिल्ली की सिंधासन उन्हें पर बिठाया ताकि वे देश की जनता व भारत का विकाश हो सकें,लेकिन आज उसी सरकार ने अपने चंद चेहतो के लिए सरकारी खजाने को लुटाने की ढान रखी है। केन्द्र में वर्तमान सरकार के इस रैवये से बेचारी व वेबस जनता हैरान व परेशान है।आये दिनों केन्द्र की सरकार द्वारा स्वतंत्र जाँच ऐजेसीं का दूर उपयोग कर सम्पूर्ण विपक्ष को जाँच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। ऐन केन प्राकेण विपक्ष को डरा धमका कर रखा जा सके।यह जगजाहिर है।

इसक जीता जागता उदाहरण आये दिनों हमें देखने को मिलता रहता है।चाहे वह दिल्ली की शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया/बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालु यादव व उनके परिवार के सदस्यों/बंगाल के टी एम सी के नेता हो,हद तो तब हुई जब देश की आजादी अंहम भूमिका व देश तीन तीन प्रधान मंत्री देने वाले कांग्रेश पार्टी के नेता राहुल गांधी के खिलाफ संसद में नारे बाजी कर संसद में विपक्ष को देश व जनता के समाने झठी छवि पेस की गई।इतना ही नही एक तरफ लोकतंत्र के मंदिर में हंगामा किया गया है ' दुसरी ओर वही जगह जगह पर भाजपाईयो द्वारा राहुल गाँधी की लोक सभा की सदस्यता समाप्त करने के लिए माँग की जा रही है।

इस ड्रामा का पटाक्षेप सुरत के एक अदालत के द्वारा राहुल गाँधी के खिलाप सजा सुनाये गये फ़ैसले से हुआ।खैर यह न्यायलय का फैसला है।इस पर टीका टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।इस निर्णय से राहुल गांधी राजनीतिक भविष्य पर चर्चा व चिन्तन चारों दिशाओं में आग की फैलने लगी है। वह भी तब जब कई राज्यो में विधान सभा का चुनाव होने वाला है।चुनाव के इस साल में राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी पहले अगले दो महीनों मे कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं।वहां फिलहाल भाजपा की सत्ता है,जो कांग्रेस से कुछ विधायक बाहर निकल जाने के बाद बनी है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा और फिर लोकसभा सदस्यता जाने के मुद्दे पर जहां भारत में पूरा विपक्ष बिफर गया है,वहीं इसे लेकर अब संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिकी सांसद तक के बयान सामने आए हैं। भारतीय मूल के प्रभावशाली अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने के फैसले को गांधीवादी विचारधारा के साथ ‘गहरा विश्वासघात करार दे दिया।अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने ट्वीट किया, "राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जाना गांधीवादी दर्शन और भारत के गहरे मूल्यों के साथ गहरा विश्वासघात है।

उन्होंने कहा,यह वह नहीं है,जिसके लिए मेरे दादाजी ने अपनी जिंदगी के कई साल जेल में कुर्बान कर दिए थे। आप को बता दे कि रो खन्ना अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करते हैं।वहभारतऔरभारतीय-अमेरिकियों पर अमेरिकी संसद के कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।रो खन्ना ने एक अन्य ट्वीट में कहा,भारतीय लोकतंत्र के हित के लिए आपके पास इस फैसले को पलटने की शक्ति है। वहीं,अमेरिका में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के उपाध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम ने राहुल की अयोग्यता को भारत में लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन करार दिया।

राहुल गांधी को अयोग्य ठहराकर मोदी सरकार ने हर जगह अभिव्यक्ति की आजादी और भारतीयों की आजादीकेअधिकार के लिए मौत की घंटी बजा रही है।राहुल गांधी को सूरत कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा का मामला यूएन तक पहुंच चुका है।संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता फरहान हक का इस मसले पर शुक्रवार को ही बयान आया था।उन्होंने कहाकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा और कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उनकी पार्टी द्वारा अपील करने की खबरों से संयुक्त राष्ट्र अवगत है।फरहान हक ने प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा,मैं कह सकता हूं कि हम राहुल गांधी के मामले से अवगत हैं।हम समझते हैं कि उनकी पार्टी फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रही है।

इस स्तर पर मैं इतना ही कह सकता हूं।आप को बता दे कि यह घटना सन 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार के चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था।कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी को लेकर भाजपा विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय का मान घटाया है।वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल ने 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में इस मामले से जुड़ी टिप्पणी की थी।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की।राहुल इस मामले की सुनवाई के दौरान तीन बार अदालत में पेश हुए।अक्तूबर 2021 में बयान दर्ज कराने के लिए अदालत पहुंचे राहुल ने खुद को निर्दोष बताया था।अब इसी मामले में राहुल को सजा सुनाई गई है।क्या कांग्रेस पार्टी अपने हाथ से निकल चुकी प्रतिष्ठा हासिल कर पायेगी|विपक्षी दलों के इकट्ठा आने का जो सपना है,क्या वह अब पूरा होगा? ऐसे कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं।हालाकि 2024 के लोकसभा चुनाव होने में अभी एक साल से ज़्यादा का समय है पर उससे पहले कर्नाटक,राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं.

इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की टक्कर सीधे-सीधे भाजपा के साथ होनी है. ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि राहुल गांधी की सदस्यता जाने से क्या कांग्रेस इसे चुनावी माहौल कोअपने पक्ष में बना पाएगी? क्या राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' से हासिल राजनीतिक प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा पाएंगे या फिर ये माना जाए कि बीजेपी ने अपने प्रतिस्पर्धी को इस मौक़े पर मात दे दी है?  
राहुल गांधी समेत सभी विरोधी दलों के लिए अब जनता को ये बताने का एक मौक़ा है कि उनको कैसे निशाने पर लिया जा रहा है।

यह कांग्रेस पर निर्भर पर करेगा कि वह किस तरह से राहुल गांधी की सदस्यता जाने की घटना को जन आंदोलन खड़ा कैसे करती है।सारे विरोधी दल इस मामले में राहुल गांधी के साथ खड़े हैंIराजनीति के पंडितों की यह राय बनती जा रही है कि यह लोकतंत्र के ख़िलाफ़ हैऔर सभी विरोधी दलों के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।इस पर सर्वसम्मति कैसे बनती है,सारे राजनीतिक दल आप में इकट्ठा कैसे रह पाते हैं,किन मुद्दों पर विपक्षी एकता बढ़ती है या बिखरती है। ये तो आने वाले वक्त बतायेगा।वही कांग्रेस अपने कैडर को किस तरह जोश दे पाती है, ये सब देखने वाली बात होगी।

लेकिन भारतीय राजनीति के मर्मज्ञ की राय है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल अभी तक मतदाताओं को बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं कर पाए हैं।विपक्षी दल अभी तक लोगों को प्रेरित नहीं कर सके हैं।हम उनके बारे मे विश्वास से कुछ नहीं कह सकते है।हालांकि एक चीज़ साफ दिख रही है कि इस फ़ैसले से राहुल गांधी को फायदा होने की संभावना ज़्यादा है।कुछ लोगो ने इस घटना की सन 1975 केआपातकाल के बाद जेल जाने की घटना को इंदिरा गांधी से तुलना कर रहे है , आज भी वैसा ही राहुल गांधी को ये मौका मिला है।इस निर्णय ने कांग्रेस में नई ऊर्जा डाल दी है।इंदिरा गांधी को इमरजेंसी के बाद वर्तमान सरकार के द्वारा सताया गया था।

इंदिरा गांधी ने आपातकाल लाकर जो ग़लती की थी|बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया तो उन्होंने सत्ता में पुनःअपनी वापसी की थी।कुछ राजनीति पंडित का मानना है कि राहुल गांधी के लिए यह 'ब्लेसिंग इन डिसगाइज़' होगा।इससे पहले किसी को डिफ़ेमेशन केस में दो साल की सज़ा नहीं हुई.तो यह सब 'बाइ डिज़ाइन' किया गया हैI भाजपा के सामने भी चुनौती खड़ी हो सकती है।उन्हें सहानुभूति भी मिलेगी।एक तरफ राहुल गांधी के लिए यह एक अच्छा मौक़ा हो सकता है।लेकिन लोगों की चिन्ता है कि इस घटना को कांग्रेस पार्टी को कैसे फायदा होगा?कांग्रेस पार्टी महंगाई,बेरोज़गारी,अडानी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे उठा रही है और उन्हें लोगों से प्रतिक्रिया मिल रही है।कांग्रेस ऐसी पार्टी भी रही है कि जन आंदोलन या जन भावनाओं के सैलाब पर सवार होकर सत्ता में आ जाए।

जैसा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद ऐसा माहौल बना था और राजीव गांधी 400 से ज़्यादा सीटें लेकर जीते थे। मगर फिलहाल लोगों का गुस्सा,भावनाएं और जनसैलाब जैसा माहौल तो नहीं दिख रहा हैIकांग्रेस का आरोप अडानी पर सवालों से बचने के लिए राहुल को घेर रही है।कांग्रेस पार्टी व कांग्रेसी लोगों को बताएं कि आज राहुल गांधी के साथ जो हुआ है। वह कल किसी भी के भी साथ हो सकता है।

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