नारी सम्मान –सशक्तिकरण और प्रेम-विवाह
० योगेश भट्ट ०
नारी सम्मान हेतु जागरूकता के लिए प्रति वर्ष आठ मार्च को महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए महिला दिवस मनाया जाता है | दूसरे शब्दों में यदि सभी पुरुष महिलाओं का सम्मान करते, उन्हें बराबरी का हक़ देते और उनसे दुर्व्यवहार नहीं करते तो इस दिन को मनाने के जरूरत ही नहीं होती | वास्तव में आज भी नारी शक्ति को वह हक और सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह हकदार है | महिला से हमारे मुख्य चार रिश्ते हैं- मां, बहन, पत्नी और बेटी | बाकी रिश्ते इन रिश्तों के बाद हैं | हमें नारी को प्रोत्साहन देना ही होगा क्योंकि वह परिवार की धुरी है | संसद में महिलाओं को 33% जगह न मिलना और निर्भया केस सहित अन्य नरपिशाचों का मृत्यु दंड के बाद भी आज तक जीवित रहना सोचनीय है | अब 20 मार्च 2020 को 3 बार फांसी टलने के बाद 4 नरपिशाचों को फांसी दीए जाने की बात हो रही है ।
सत्य तो यह है कि नारी के बिना परिवार है ही कहां ? विख्यात लेखक रोयडन कहते हैं “मानव को इधर-उधर भटकने से बचा कर सभ्यता के साथ रहने-बसाने का श्रेय महिला को ही जाता है |” कई अन्य विद्वानों ने भी नारी के पक्ष में बहुत कुछ कहा है जो यथार्थ है | इस बीच नारी के एक रूप कुछ बेटियों द्वारा उनके माता -पिता एवं परिजनों को जो परेशानी हुई उसकी चर्चा करनी भी जरूरी है | आजकल कुछ बेटियां माता- पिता को बिना विश्वास में लिए अपनी मर्जी से प्रेम- विवाह कर रही हैं ,(क़ानून बालिग़ लड़की को यह अधिकार है ) जो माता- पिता को कई कारणों से उचित नहीं लगता | माता- पिता बेटी को अपने अनुभवों के आधार पर समझाते हैं पर वह नहीं मानती और कोर्ट मैरीज के धमकी देती हैं | कुछ तो हौनर किलिंग के शिकार भी हो गईं जो सर्वथा अनुचित है जिससे कई घर भी उजड़ गए | कुछ लड़कियों ने बिना मां- बाप को बताये अपनी मर्जी से विवाह कर मां- बाप से किनारा भी कर लिया है |
नारी सम्मान हेतु जागरूकता के लिए प्रति वर्ष आठ मार्च को महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए महिला दिवस मनाया जाता है | दूसरे शब्दों में यदि सभी पुरुष महिलाओं का सम्मान करते, उन्हें बराबरी का हक़ देते और उनसे दुर्व्यवहार नहीं करते तो इस दिन को मनाने के जरूरत ही नहीं होती | वास्तव में आज भी नारी शक्ति को वह हक और सम्मान नहीं मिलता जिसकी वह हकदार है | महिला से हमारे मुख्य चार रिश्ते हैं- मां, बहन, पत्नी और बेटी | बाकी रिश्ते इन रिश्तों के बाद हैं | हमें नारी को प्रोत्साहन देना ही होगा क्योंकि वह परिवार की धुरी है | संसद में महिलाओं को 33% जगह न मिलना और निर्भया केस सहित अन्य नरपिशाचों का मृत्यु दंड के बाद भी आज तक जीवित रहना सोचनीय है | अब 20 मार्च 2020 को 3 बार फांसी टलने के बाद 4 नरपिशाचों को फांसी दीए जाने की बात हो रही है ।
सत्य तो यह है कि नारी के बिना परिवार है ही कहां ? विख्यात लेखक रोयडन कहते हैं “मानव को इधर-उधर भटकने से बचा कर सभ्यता के साथ रहने-बसाने का श्रेय महिला को ही जाता है |” कई अन्य विद्वानों ने भी नारी के पक्ष में बहुत कुछ कहा है जो यथार्थ है | इस बीच नारी के एक रूप कुछ बेटियों द्वारा उनके माता -पिता एवं परिजनों को जो परेशानी हुई उसकी चर्चा करनी भी जरूरी है | आजकल कुछ बेटियां माता- पिता को बिना विश्वास में लिए अपनी मर्जी से प्रेम- विवाह कर रही हैं ,(क़ानून बालिग़ लड़की को यह अधिकार है ) जो माता- पिता को कई कारणों से उचित नहीं लगता | माता- पिता बेटी को अपने अनुभवों के आधार पर समझाते हैं पर वह नहीं मानती और कोर्ट मैरीज के धमकी देती हैं | कुछ तो हौनर किलिंग के शिकार भी हो गईं जो सर्वथा अनुचित है जिससे कई घर भी उजड़ गए | कुछ लड़कियों ने बिना मां- बाप को बताये अपनी मर्जी से विवाह कर मां- बाप से किनारा भी कर लिया है |
विगत वर्षों में प्रेम- विवाह की ऐसी ही कई शादियां देखी | इन प्रेम - प्रसंगों में लड़कियों के कहने पर माता- पिता को नहीं चाहते हुए भी बेटी के साथ सैकड़ों किलोमीटर दूर बस या रेल से धक्के खाते हुए लड़के के शहर में जाकर शादी करनी पड़ी क्योंकि प्यार के बाद लड़के ने यह शर्त रख दी थी कि शादी उसी के शहर में होगी | यदि लड़की के मां- बाप नहीं जाते तो कुछ भी घटित होने की धमकी भरी तलवार उनके सामने बेटियों ने लटकाई थी | बेटियों का यह अद्भुत प्रेम अपने प्रेमी को बारात लेकर अपने घर भी नहीं बुला सका जो बहुत चकित करता है |
इन सभी घटनाओं में मां- बाप ने अपनी लाडलियों से अपनी असमर्थता भी प्रकट की परन्तु वे नहीं मानीं | इन बेटियों को एक ही बात याद रही, “Everything is fair in love and war” ( प्रेम और युद्ध में सब कुछ जायज है ) | इस महिला दिवस पर बेटियों से इंतना जरूर कहूंगा कि प्रेम- विवाह करो परन्तु मां- बाप को इंतना मजबूर भी मत करो कि उनके आंसू आपके लिए भविष्य में सैलाब बन जाएं | ऐसा अंधा प्यार भी ठीक नहीं जिसमें हम भूल गए कि जिन मां- बाप ने हमें पाल-पोष एवं शिक्षित कर इस योग्य बनाया, हमने यौवन के नशे में उन्हें ही हर तरफ से दण्डित कर दिया |
इन सभी घटनाओं में मां- बाप ने अपनी लाडलियों से अपनी असमर्थता भी प्रकट की परन्तु वे नहीं मानीं | इन बेटियों को एक ही बात याद रही, “Everything is fair in love and war” ( प्रेम और युद्ध में सब कुछ जायज है ) | इस महिला दिवस पर बेटियों से इंतना जरूर कहूंगा कि प्रेम- विवाह करो परन्तु मां- बाप को इंतना मजबूर भी मत करो कि उनके आंसू आपके लिए भविष्य में सैलाब बन जाएं | ऐसा अंधा प्यार भी ठीक नहीं जिसमें हम भूल गए कि जिन मां- बाप ने हमें पाल-पोष एवं शिक्षित कर इस योग्य बनाया, हमने यौवन के नशे में उन्हें ही हर तरफ से दण्डित कर दिया |
प्रेम- विवाह में मां-बाप की सहमति और आशीर्वाद आपके हित में होगा | महिला दिवस पर सभी महिलाओं को शुभकामनाएं और पतियों से एक विनम्र निवेदन, यदि आपकी बैंक पासबुक में पत्नी का नाम अभी तक नहीं जुड़ा है तो आज ही जोड़ें क्योंकि सुख और दुःख दोनों में इसका बहुत बड़ा महत्व है |
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