वर्ल्ड होम्योपैथी डे पर ‘हील विद होम्योपैथी’ का अनावरण
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली : 1796 में जर्मनी में होम्योपैथी की संस्थापना की थी। तब से ही होम्योपैथी विकसित होते-होते, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा–प्रणाली बन गई। आज दुनिया में 50 करोड़ लोगों को होम्योपैथी पर भरोसा है और होम्योपैथी इंडस्ट्री 7000 करोड़ रूपये की है। इस छोटी, लेकिन जरूरी किताब में डॉ. मुकेश बत्रा ने होम्योपैथी पर अपने पाँच दशकों के पेशे का विस्तृत अनुभव और गहन ज्ञान दिया है। हील विद होम्योपैथी में मानव शरीर और उसे प्रभावित करने वाले रोगों पर जानकारी है और अध्यायों को सिर से लेकर पैर तक के लिये व्यवस्थित किया गया है।पद्मश्री विजेता और होम्योपैथी क्लिनिक्स की सबसे बड़ी श्रृंखला डॉ. बत्रा’ज़ हेल्थकेयर के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा ने वर्ल्ड होम्योपैथी डे पर अपनी 9वीं किताब का अनावरण किया है। यह डॉ. सैम्युएल हेनीमन की 267वीं जन्म-जयंती है, बीमारियों के आम कारणों, लक्षणों और संभावित परेशानियों की सूची के साथ होम्योपैथिक उपचार और सलाह भी दी गई है, जिसका उपयोग पाठक कर सकता है। डॉ. बत्रा होम्योपैथी के एक विशेष पहलू का विस्तार से वर्णन करते हैं- व्यक्तित्व के प्रकार और जीभ तथा चेहरे के स्पष्ट संकेत, जोकि होम्योपैथिक निदानों के लिये महत्वपूर्ण अवलोकन देते हैं।
उन्होंने होम्योपैथी का संक्षिप्त इतिहास भी दिया है, कुछ आम मिथकों को स्पष्ट किया है और ज्यादातर बीमारियों के लिये होम्योपैथिक अभ्यासों पर चिकित्सकीय शोध की तुलना की है। इस छोटी किताब के माध्यम से उनका लक्ष्य है जितना संभव हो, ज्यादा से ज्यादा लोगों को होम्योपैथी के फायदे बताना, जोकि एक सुरक्षित और प्राकृतिक औषधि प्रणाली है। अपनी नई किताब के अनावरण पर बात करते हुए, पद्मश्री विजेता और डॉ. बत्रा’ज़ ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक डॉ. मुकेश बत्रा ने कहा, “मैंने इस किताब में चिकित्सा का अपना 50 वर्षों का अनुभव साझा किया है।
भारत में स्वास्थ्यरक्षा पर लगभग साढ़े 5 लाख करोड़ का खर्च आता है, जिसमें से 75% निजी होता है। मेडिकल लोन के कारण मरीजों पर कर्जा हो जाता है। मेरी किताब पढ़कर वे छोटी समस्याओं के बड़ा होने से पहले ठीक हो सकते हैं। यह किताब स्वास्थ्यरक्षा के उस खर्च को बचाकर एक बेहतर और ज्यादा स्वस्थ भारत के विकास में सहायता करेगी, जो अन्यथा अस्पताल में लगता। इस तरह हील विद होम्योपैथी भारत को बीमारी-मुक्त बनाने में योगदान देती है।”
किताब के लॉन्च के अवसर पर ब्लूम्सबरी इंडिया के मुख्य संपादक कृषन चोपड़ा ने कहा, “डॉ. मुकेश बत्रा एक बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं और हमें उस मशहूर व्यक्तित्व के साथ जुड़ने की खुशी है, जो अपने क्षेत्र का महारथी है और भारत तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रतिष्ठित होम्योपैथ्स में से एक है। इस किताब का लक्ष्य है होम्योपैथी के फायदों के साथ जितना संभव हो, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना, क्योंकि वह औषधि का एक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है।”
हील विद होम्योपैथी किताब के अनावरण के बाद यात्री प्रोडक्शंस का एक नाटक जीना इसी का नाम है हुआ, जिसमें डॉ. मुकेश बत्रा के असल जीवन की विफलताएं और चुनौतियाँ दिखाई गईं, जब वे एक दूरदर्शी उद्यमी और मशहूर होम्योपैथ बनने के रास्ते पर थे। इस नाटक को थियेटर की जानी-मानी शख्सियत ओम कटारे ने लिखा और निर्देशित किया है। इस नाटक में दिखाया गया है कि डॉ. मुकेश बत्रा ने कैसे दुनिया में होम्योपैथी क्लिनिक्स की सबसे बड़ी श्रृंखला बनाई। इस अनोखे भारतीय मल्टीमीडिया थियेट्रिकल परफॉर्मेंस ने पृष्ठभूमि के दृश्यों और 25 से ज्यादा कलाकारों तथा 100 से ज्यादा क्रू के साथ दर्शकों को बड़ा प्रेरित किया।
इस आयोजन में सांसद मेनका गांधी, सांसद वरुण गांधी, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सुश्री मीरन बोरवनकर, फैशन डिजाइनर सुश्री मधु जैन, कासा हॉलीडेज प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक शीला धोडी, फर्न एन पेटल्स की सह-संस्थापक सुकृति गुप्ता, भारतीय वकील और राजनेता महेश जेठमलानी, पुरस्कार-विजेता फिल्मकार डॉ. भुवन लाल, मारवाह स्टूडियोज के संदीप मारवाह और ओशो के भाई स्वामी शैलेन्द्र, आदि मौजूद थे।
किताब के लॉन्च के अवसर पर ब्लूम्सबरी इंडिया के मुख्य संपादक कृषन चोपड़ा ने कहा, “डॉ. मुकेश बत्रा एक बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं और हमें उस मशहूर व्यक्तित्व के साथ जुड़ने की खुशी है, जो अपने क्षेत्र का महारथी है और भारत तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रतिष्ठित होम्योपैथ्स में से एक है। इस किताब का लक्ष्य है होम्योपैथी के फायदों के साथ जितना संभव हो, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचना, क्योंकि वह औषधि का एक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है।”
हील विद होम्योपैथी किताब के अनावरण के बाद यात्री प्रोडक्शंस का एक नाटक जीना इसी का नाम है हुआ, जिसमें डॉ. मुकेश बत्रा के असल जीवन की विफलताएं और चुनौतियाँ दिखाई गईं, जब वे एक दूरदर्शी उद्यमी और मशहूर होम्योपैथ बनने के रास्ते पर थे। इस नाटक को थियेटर की जानी-मानी शख्सियत ओम कटारे ने लिखा और निर्देशित किया है। इस नाटक में दिखाया गया है कि डॉ. मुकेश बत्रा ने कैसे दुनिया में होम्योपैथी क्लिनिक्स की सबसे बड़ी श्रृंखला बनाई। इस अनोखे भारतीय मल्टीमीडिया थियेट्रिकल परफॉर्मेंस ने पृष्ठभूमि के दृश्यों और 25 से ज्यादा कलाकारों तथा 100 से ज्यादा क्रू के साथ दर्शकों को बड़ा प्रेरित किया।
इस आयोजन में सांसद मेनका गांधी, सांसद वरुण गांधी, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सुश्री मीरन बोरवनकर, फैशन डिजाइनर सुश्री मधु जैन, कासा हॉलीडेज प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक शीला धोडी, फर्न एन पेटल्स की सह-संस्थापक सुकृति गुप्ता, भारतीय वकील और राजनेता महेश जेठमलानी, पुरस्कार-विजेता फिल्मकार डॉ. भुवन लाल, मारवाह स्टूडियोज के संदीप मारवाह और ओशो के भाई स्वामी शैलेन्द्र, आदि मौजूद थे।
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