वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन इंडिया : हाथियों और महावतों की बेहतरी के लिए कर रहा है काम
जयपुर। जयपुर में पर्यटकों को लुभाने के लिए हाथियों के लिए होने वाले उपयोग और उनकी दुर्दशा को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन ने लोगों में जागरूकता लाने और इस मुहिम के लिए समर्थन जुटाने के लिए है एक अभियान छेडा हुआ है। दरअसल आमेर किले में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जाता है और पर्यटकों को सवारी कराते हुए ये हाथी बहुत ही खराब परिस्थितियों में पीड़ादायक जीवन जीते हैं।
वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन का एक 10 वर्षीय अध्ययन बताता है कि मनोरंजन और पर्यटकों को लुभाने के लिए हजारों जानवरों का शोषण व्यावसायिक लाभ के लिए किया जा रहा है। जानवरों को उनके प्रकृति प्रदत्त आवास और पर्यावरण के विरुद्ध वातावरण में रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा की व्यावसायिक लाभ के लिए उनको प्रशिक्षित करने के दौरान पीड़ा से गुजरना होता है। । ये हाथी दिनभर लोगों को अपनी पीठ पर ढोते रहते हैं। यह उनकी प्राकृतिक शारीरिक संरचना के विरुद्ध है और इसके कारण उनमें पीठ दर्द और पैरों में घाव हो जाते हैं। इनमें से बहुत सारे हाथी तो जंगल से तभी पकड़ लिया जाता है जब वे छोटे होते हैं इन सभी को बचपन में मां के प्यार से दूर रखा जाता है।
पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन, इंडिया के कंट्री डायरेक्टर गजेंद्र कुमार शर्मा ने बताया की हमें यह लगता है कि इस बात पर जोर दिया जाए कि इन हाथियों के जीवन को बेहतर करने के लिए पर्यटकों को लुभाने के लिए कोई दूसरा मानवीय मॉडल अपनाया जाए। हम राजस्थान सरकार के साथ भी चर्चा कर रहे हैं कि पर्यटकों को लुभाने के लिए किसी वैकल्पिक समाधान हेतु व्यवहारिक स्तर पर अध्ययन किया जाए ताकि हाथियों और महावतों का जीवन भी प्रभावित न हो। जैसे ही हम हाथियों के बारे में बात करते हैं,
हमारी यादें, अनुभव, जानकारी और हमारे निजी जीवन से जुड़ी तस्वीरें हमारे सामने घूमने लगती हैं। अफ्रीकी और एशियाई हाथियों के बारे में पहली और सबसे ज्यादा याद आती हैं हमारी स्कूल की किताबें, कहानियों और हाथियों पर बने चुटकुले। भारतीय होने के कारण बचपन की अन्य बहुत सी यादें हाथी से जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा की इंसानों और अन्य जीवों का यह संबंध निर्विवाद है, लेकिन बदलते समय, जरूरतों और बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के चलते यह संबंध भारी बदलावों के दौर से गुजर रहा है। जानवरों की बेहतरी, प्रशिक्षण, एक दूसरे पर निर्भरता खंडित हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप जानवरों का शोषण, वस्तुकरण और दुरुपयोग शुरू हो गया है।
वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन का एक 10 वर्षीय अध्ययन बताता है कि मनोरंजन और पर्यटकों को लुभाने के लिए हजारों जानवरों का शोषण व्यावसायिक लाभ के लिए किया जा रहा है। जानवरों को उनके प्रकृति प्रदत्त आवास और पर्यावरण के विरुद्ध वातावरण में रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा की व्यावसायिक लाभ के लिए उनको प्रशिक्षित करने के दौरान पीड़ा से गुजरना होता है। । ये हाथी दिनभर लोगों को अपनी पीठ पर ढोते रहते हैं। यह उनकी प्राकृतिक शारीरिक संरचना के विरुद्ध है और इसके कारण उनमें पीठ दर्द और पैरों में घाव हो जाते हैं। इनमें से बहुत सारे हाथी तो जंगल से तभी पकड़ लिया जाता है जब वे छोटे होते हैं इन सभी को बचपन में मां के प्यार से दूर रखा जाता है।
साथ ही कोरोना महामारी के बाद हाथियों का यह कष्ट और भी बढ़ गया है। पर्यटक घटने से आर्थिक तंगी, पर्यटक घटने आदि का हाथियों के रखरखाव और जीवन स्तर प्रभावित हुआ है। दूसरा पहलू यह भी है कि हमने पर्यावरण और जानवरों की अनदेखी कर संसाधनों का दुरुपयोग कर इस संकट को और बढ़ा दिया है। इस लिए हम इस समस्या से आम लोगों को अवगत कराने का काम भी शिद्दत से कर रहे हैं। हम चाहते हैं की मिडिया के माध्यम से यह समस्या जनजन तक पहुंचे।
टिप्पणियाँ