बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल : दिल की बीमारी और किडनी कैंसर से पीड़ित 67 वर्षीय महिला का सफल इलाज
० नूरुद्दीन अंसारी ०
नई दिल्ली : बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 67 वर्षीय महिला को नया जीवन दिया है, जो किडनी कैंसर और हार्ट की मुख्य आर्टरीज़ में ब्लॉकेज से पीड़ित थीं, दो दिनों के अंदर उनकी 2 बड़ी सर्जरियां की गईं। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों- डॉ सुरेन्द्र कुमार डबास, वाईस चेयरमैन, ओंकोलोजी, डॉ रामजी मेहरोत्रा, चीफ़ कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जरी और डॉ विकास ठकरान, सीनियर कन्सलटेन्ट एण्ड युनिट हैड- इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी के नेतृत्व में इन सर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, जिनके अच्छे परिणाम मिले।
महिला किडनी कैंसर से पीड़ित थीं। वे इलाज के लिए बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल आई थीं। जांच में पता चला कि मरीज़ को क्लास 3 एंज़ाइना, हाइपरटेंशन और टाईप 2 डायबिटीज़ मेलिटस भी है। उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता चला कि तीन वैसल्स का उपचार जल्द से जल्द करना बहुत ज़रूरी था, ताकि कैंसर सर्जरी के दौरान कोई बड़ी कार्डियक घटना न हो।
मेडिकल टीम ने उनके इलाज के लिए पूरी योजना तैयार की। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मरीज़ को चार स्टेंट्स के लिए कम्पलीट रीवैस्कुलराइज़ेशन की ज़रूरत थी, इसके लिए उनकी ड्यूल एंटीप्लेटलेट थेरेपी भी देनी थी (ब्लड थिनर्स देकर ताकि ब्लड क्लॉट न बनें और हार्ट अटैक या स्ट्रोक की संभावना को कम किया जा सके)। नेफ्रोक्टोमी सर्जरी में देरी करने से किडनी कैंसर तेज़ी से बढ़ सकता था, ऐसे में सिंगल एंटीप्लेटलेट थेरेपी पर्याप्त नहीं थी।
स्थिति को देखते हुए बाइलेटरल मैमेरी आर्टरी ग्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी और अगले दिन रोबोटिक राईट रेडिकल नेफ्रोक्टोमी की योजना बनाई गई। नेफ्रोक्टोमी में सर्जरी के द्वारा किडनी को निकाल दिया जाता है, ऐसा कैंसर को फैलने से रोकने के लिए किया जाता है। लेकिन जिस मरीज़ में हाल ही में कोरोनरी बाइपास सर्जरी हुई हो, उनमें नेफ्रोक्टोमी करना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि ऐसे मामलों में इंटरा-ऑपरेटिव ब्लीडिंग की संभावना होती है।
डॉ सुरेन्दर कुमार डबास, वाईस चेयरमैन, ओंकोलोजी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘रोबोटिक सर्जरी ऐसे मामलों में बेहतर होती है, क्योंकि यह मिनिमल इनवेसिव है और इसमें वैस्कुलर कंट्रोल भी बना रहता है। इसमें ब्लीडिंग कम होती है साथ ही सर्जन को मैग्निफाईड 3 डी विज़ुअलाइज़ेशन भी मिलता है। सुरक्षित रोबोटिक प्रक्रिया के चलते एंटीकॉग्युलेंट्स की शुरूआत जल्दी की जा सकी, जो बायपास सर्जरी के बाद की देखभाल में फायदेमंद साबित हुआ। इस वजह से रिकवरी जल्दी हुई और उन्हें सर्जरी के छठे दिन छुट्टी दे दी गई।’
डॉ रामजी मेहरोत्रा, चीफ, कार्डियोलोजी एण्ड वैस्कुलर सर्जरी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘हमने आपसी तालमेल में व्यापक योजना बनाकर कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी के लिए बाइलेटरल मैमेरी आर्टरी ग्राफ्ट्स का उपयोग किया। मामले की स्थिति को देखते हुए हमने टोटल आर्टीरियल बाइपास के साथ सुरक्षित मायोकार्डियल रीवैस्कुलराइज़ेशन किया, इससे हमें अच्छे परिणाम मिले। आर्टीरियल ग्राफ्ट में बिना ब्लड थिनर्स के भी पेटेंट रहने की संभावना अधिक होती है।’
डॉ विकास ठकरान, सीनियर कन्सलटेन्ट एण्ड युनिट हैड, इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने बहु-आयामी दृष्टिकोण के महत्व पर रोशनी डालते हुए कहा, ‘‘मायोकार्डियल रीवैस्कुलराइज़ेशन के बाद कार्डियक सर्जरी चुनौतीपूर्ण होती है, अक्सर इसमें कई महीनों की देरी हो जाती है। हालांकि इस मामले में ओंकोलोजी सर्जरी में देरी करने का कोई विकल्प नहीं था। इसलिए हमें बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए कोरोनरी आर्टरी रोग का भी इलाज किया।’
नई दिल्ली : बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 67 वर्षीय महिला को नया जीवन दिया है, जो किडनी कैंसर और हार्ट की मुख्य आर्टरीज़ में ब्लॉकेज से पीड़ित थीं, दो दिनों के अंदर उनकी 2 बड़ी सर्जरियां की गईं। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों- डॉ सुरेन्द्र कुमार डबास, वाईस चेयरमैन, ओंकोलोजी, डॉ रामजी मेहरोत्रा, चीफ़ कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जरी और डॉ विकास ठकरान, सीनियर कन्सलटेन्ट एण्ड युनिट हैड- इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी के नेतृत्व में इन सर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, जिनके अच्छे परिणाम मिले।
महिला किडनी कैंसर से पीड़ित थीं। वे इलाज के लिए बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल आई थीं। जांच में पता चला कि मरीज़ को क्लास 3 एंज़ाइना, हाइपरटेंशन और टाईप 2 डायबिटीज़ मेलिटस भी है। उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता चला कि तीन वैसल्स का उपचार जल्द से जल्द करना बहुत ज़रूरी था, ताकि कैंसर सर्जरी के दौरान कोई बड़ी कार्डियक घटना न हो।
मेडिकल टीम ने उनके इलाज के लिए पूरी योजना तैयार की। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मरीज़ को चार स्टेंट्स के लिए कम्पलीट रीवैस्कुलराइज़ेशन की ज़रूरत थी, इसके लिए उनकी ड्यूल एंटीप्लेटलेट थेरेपी भी देनी थी (ब्लड थिनर्स देकर ताकि ब्लड क्लॉट न बनें और हार्ट अटैक या स्ट्रोक की संभावना को कम किया जा सके)। नेफ्रोक्टोमी सर्जरी में देरी करने से किडनी कैंसर तेज़ी से बढ़ सकता था, ऐसे में सिंगल एंटीप्लेटलेट थेरेपी पर्याप्त नहीं थी।
स्थिति को देखते हुए बाइलेटरल मैमेरी आर्टरी ग्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी और अगले दिन रोबोटिक राईट रेडिकल नेफ्रोक्टोमी की योजना बनाई गई। नेफ्रोक्टोमी में सर्जरी के द्वारा किडनी को निकाल दिया जाता है, ऐसा कैंसर को फैलने से रोकने के लिए किया जाता है। लेकिन जिस मरीज़ में हाल ही में कोरोनरी बाइपास सर्जरी हुई हो, उनमें नेफ्रोक्टोमी करना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि ऐसे मामलों में इंटरा-ऑपरेटिव ब्लीडिंग की संभावना होती है।
डॉ सुरेन्दर कुमार डबास, वाईस चेयरमैन, ओंकोलोजी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘रोबोटिक सर्जरी ऐसे मामलों में बेहतर होती है, क्योंकि यह मिनिमल इनवेसिव है और इसमें वैस्कुलर कंट्रोल भी बना रहता है। इसमें ब्लीडिंग कम होती है साथ ही सर्जन को मैग्निफाईड 3 डी विज़ुअलाइज़ेशन भी मिलता है। सुरक्षित रोबोटिक प्रक्रिया के चलते एंटीकॉग्युलेंट्स की शुरूआत जल्दी की जा सकी, जो बायपास सर्जरी के बाद की देखभाल में फायदेमंद साबित हुआ। इस वजह से रिकवरी जल्दी हुई और उन्हें सर्जरी के छठे दिन छुट्टी दे दी गई।’
डॉ रामजी मेहरोत्रा, चीफ, कार्डियोलोजी एण्ड वैस्कुलर सर्जरी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने कहा, ‘‘हमने आपसी तालमेल में व्यापक योजना बनाकर कोरोनरी आर्टरी बाइपास सर्जरी के लिए बाइलेटरल मैमेरी आर्टरी ग्राफ्ट्स का उपयोग किया। मामले की स्थिति को देखते हुए हमने टोटल आर्टीरियल बाइपास के साथ सुरक्षित मायोकार्डियल रीवैस्कुलराइज़ेशन किया, इससे हमें अच्छे परिणाम मिले। आर्टीरियल ग्राफ्ट में बिना ब्लड थिनर्स के भी पेटेंट रहने की संभावना अधिक होती है।’
डॉ विकास ठकरान, सीनियर कन्सलटेन्ट एण्ड युनिट हैड, इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी, बीएलके- मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल ने बहु-आयामी दृष्टिकोण के महत्व पर रोशनी डालते हुए कहा, ‘‘मायोकार्डियल रीवैस्कुलराइज़ेशन के बाद कार्डियक सर्जरी चुनौतीपूर्ण होती है, अक्सर इसमें कई महीनों की देरी हो जाती है। हालांकि इस मामले में ओंकोलोजी सर्जरी में देरी करने का कोई विकल्प नहीं था। इसलिए हमें बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाते हुए कोरोनरी आर्टरी रोग का भी इलाज किया।’
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